Different Types Of Virus इतिहास में संभवतः पहली बार ऐसा हुआ है जब एक वायरस ने पूरी दुनिया को बदल दिया। कोरोना काल ने हमारे मन में ऐसी खौफनाक छाप छोड़ी है कि हजारों साल बाद भी इसके दर्द को महसूस किया जा सकेगा। जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो कोरोना की वजह से प्रभावित नहीं हुआ है। लाखों जिंदगियां तबाह हो गई और लाखों लोगों की रोजी-रोटी चली गई। दुनिया भर में सरकारी खजाने सिकुड़ने लगे और लाखों लोगों को दर-बदर भी होना पड़ा।
इतना होने के बावजूद अब तक यह तय नहीं है कि यह बुरा दौर कब हमसे विदा लेगा। बिडंबना यह है कि इस साल अकेले कोरोना ने ही हमें तबाह नहीं किया बल्कि कई और वायरस भी नए सिरे से हमारी जिंदगियों में घुसे आए हैं। उनकी भयानकता भी कोरोना से कम नहीं है। इनमें से तो कुछ ऐसे हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि आने वाले समय में ये वायरस दुनिया के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। आज हम इन्हीं में कुछ वायरसों की चर्चा करेंगे जिन्होंने 2021 में भारी तबाही मचायी है। (Different Types Of Virus)
एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित होने वाला इबोला बहुत ही खतरनाक बीमारी है। यह इबोला वायरस से फैलता है। इस बीमारी से पीड़ित होने वाले लगभग आधे मरीजों की मौत हो जाती है। इस बीमारी से संक्रमित होने के बाद मरीज में बुखार, थकान, मसल्स पेन, गले में खराश आदि के लक्षण दिखाई देते हैं जिसके बाद डायरिया और उल्टी होने लगती है। इस साल कांगो में इस बीमारी ने काफी तबाही मचाई। 2014 से यह बीमारी महामारी के रूप में सामने आई है। गिनी, सिएरा लियोन और लाइबेरिया इस बीमारी के प्रमुख केंद्र हैं। (Different Types Of Virus)
डब्ल्यूएचओ ने इस बीमारी को आने वाले सालों में वैश्विक स्वास्थ्य के लिए 10 सबसे अधिक खतरे वाली बीमारियों की सूची में डाला है। हालांकि 2016 तक 11 हजार से ज्यादा लोगों की जानें लेने के बाद इबोला का संक्रमण थम गया था लेकिन इस साल इसने फिर से सिर उठा लिया है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पश्चिमी अफ्रीका देश गिनी में इस साल इबोला के कुल 23 मामले सामने आए जिनमें 12 लोगों की मौत हो गई।
1999 में मलेशिया से शुरू होकर आज निपाह वायरस का प्रकोप कई देशों में है। यह वायरस सूअर से इंसानों में आया था। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक भारत के अलावा बांग्लादेश, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, फिलीपींस और थाईलैंड में भी इस साल इस वायरस का प्रकोप रहा। इस साल केरल में निपाह वायरस के कारण एक 12 साल के बच्चे की मौत हो गई थी। 4 सितंबर को केरल में निपाह वायरस से पीड़ित पांचवां मामला सामने आया। इस बीमारी में बुखार, कफ, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ और मतिभ्रम जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। दो से तीन दिन के अंदर मरीज कोमा में चला जाता है। इस बीमारी से पीड़ित होने के बाद 50 से 75 प्रतिशत लोग से मर जाते हैं। (Different Types Of Virus)
इस साल भारत में करीब सौ से ज्यादा जीका वायरस से संक्रमण के मामले सामने आए। जीका वायरस का प्रकोप भी सबसे ज्यादा केरल में रहा। इस वायरस से संक्रमण का पहला मामला यूगांडा से आया था। हल्का बुखार, स्किन पर दाने, आंखों में खुजली, बदन दर्द जैसे लक्षण इस बीमारी में दिखाई देते हैं लेकिन आमतौर पर बहुत दिनों तक जीका वायरस के लक्षण नहीं दिखाई देते। (Different Types Of Virus)
इबोला वायरस की तरह ही मर्बर्ग वायरस भी बहुत खतरनाक है। इसे इबोला का कजिन कहा जाता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इससे संक्रमित होने वाले लगभग 88 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है। यह वायरस भी इबोला कुल का ही वायरस है। 1967 में पहली बार इस बीमारी का प्रकोप जर्मनी और सर्बिया में हुआ था। लेकिन आज यह कई अफ्रीकी देशों के लिए सिर दर्द बन चुकी है। इस साल गिनी और यूगांडा में मर्बर्ग वायरस के मामले सामने आए। इस बीमारी में भी डायरिया और उल्टी के लक्षण दिखते हैं। ब्लीडिंग शुरू हो जाने के बाद अधिकांश मरीजों की मौत हो जाती है।
येलो फीवर के वायरस तेजी से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमित होते हैं। इस साल नाईजीरिया में येलो फीवर के 1312 मामले सामने आए। येलो फीवर एडिस एजिप्ति मच्छर के काटने से होता है जिसमें वायरस होते हैं। इस बीमारी में लिवर और किडनी खराब होने लगती है। बुखार, उल्टी, पेट दर्द, पीलिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। सही समय पर इलाज न हो तो 7 से 10 दिनों के अंदर मरीज की मौत हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अफ्रीका के 47 देश, मध्य अमेरिका के 34 देश और दक्षिण अमेरिका के 13 देश इस बीमारी की चपेट में है। हालांकि वैक्सीन से इस बीमारी से बचा जा सकता है। (Different Types Of Virus)
इस साल नवंबर में केरल के एक वेटेरीनरी कॉलेज के 13 स्टूडेंट्स में नोरोवायरस संक्रमण के मामले सामने आए। इस वायरस के संक्रमण से पेट संबंधित गंभीर परेशानी सामने आती हैं। डायरिया जैसी हालत हो जाती है। 1968 में यह बीमारी अमेरिका के नोरवॉक शहर से आया। अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक विश्व में डायरिया और उल्टी से संबंधित जटिलताओं के कारण बीमार हुए पांच में से एक मरीज नोरोवायरस से संबंधित है।
अफ्रीका के कई देशों रिफ्ट वैली फीवर का प्रकोप है। रिफ्ट वैली फीवर नाम के वायरस से यह बीमारी होती है। इस बीमारी में ब्लीडिंग होती है और कंफ्यूजन रहता है। जल्द ही संक्रमण लिवर तक पहुंच जाता है। यह बीमारी बहुत घातक है। अगर रिफ्ट वैली फीवर संक्रमित व्यक्ति को ब्लीडिंग शुरू हो गई तो उनमें 50 प्रतिशत की मौत तय है। इस साल केन्या में रिफ्ट वैली फीवर 32 मामले सामने आए जिनमें 11 लोगों की मौत हो गई।
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