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पटाखों की आवाज कहीं न छिन ले आपके कानों की सुनने की क्षमता! एक्सपर्ट ने किया चौंकाने वाला खुलासा

Firecrackers Damage Ear: दिवाली हो या अन्य खुशी का मौका पटाखों की शोर एक परंपरा सी बन गई है, लेकिन क्या आप जानते है कि इस तेज धमाकेदार आवाज हमारे कानों के लिए कितनी नुकसानदेह है.

Written By: shristi S
Last Updated: October 21, 2025 13:54:36 IST

Firecrackers Cause Hearing Loss: जब भी खुशी मानने की बात आती है तो लोग सबसे पहले आतिशबाजी और पटाखें जलाने की सोचते है. दिवाली का त्योहार हो, शादी या फिर कोई और खुशी का मौका पटाखों का शोर एक परंपरा बन चुकी है. रंग बिरंगे आतिशबाजी के साथ तेज धमाके होते है, वो भले ही कुछ पलों के लिए रोमांच पैदा करें, लेकिन आपके कानों की सुनने की क्षमता (Hearing Ability) को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं.

पटाखों की आवाज कितनी तेज होती है?

आपको जानकर हैरानी होगी कि एक सामान्य पटाखे या बम की आवाज 150 से 175 डेसिबल (dB) तक पहुंच सकती है. तुलना के लिए समझिए —

  • सामान्य बातचीत की आवाज: 60 डेसिबल
  • ट्रैफिक का शोर: 90 डेसिबल
  • जेट इंजन के पास की आवाज: 140 डेसिबल
अब जब पटाखों की आवाज 175 डेसिबल तक जाती है, तो यह हमारे कानों के लिए सीधी चोट जैसा काम करती है. डॉक्टरों के अनुसार, 85 डेसिबल से ऊपर की आवाजें लंबे समय तक सुनने पर हमारे कानों को नुकसान पहुंचाने लगती हैं.

पटाखों से होने वाले कानों के नुकसान

तेज आवाजें सिर्फ अस्थायी झनझनाहट नहीं पैदा करतीं, बल्कि कई बार स्थायी सुनने की क्षमता खोने (Permanent Hearing Loss) तक की नौबत आ सकती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक पटाखों के कारण मुख्य रूप से ये दिक्कतें होती हैं:

  • टिनिटस (Tinnitus): इसमें कानों में लगातार भनभनाहट, सीटी या घंटी जैसी आवाज सुनाई देती रहती है, भले ही आस-पास कोई आवाज न हो.
  • इयरड्रम फटना (Eardrum Rupture): अचानक तेज धमाके से कान का पर्दा फट सकता है, जिससे दर्द, खून आना और सुनने की क्षमता घट सकती है.
  • हियरिंग लॉस (Hearing Loss): कई बार सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती है, जबकि कुछ मामलों में यह अचानक भी जा सकती है.
  • हाइपराक्यूसिस (Hyperacusis): इसमें व्यक्ति को सामान्य आवाजें भी बहुत तेज लगने लगती हैं, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी कठिन हो जाती है.

कैसे करें अपने कानों की सुरक्षा?

  • पटाखों से दूरी बनाएं: कोशिश करें कि आप खुद पटाखे न जलाएं और दूसरों से भी कम से कम दूरी रखें.
  • ईयरप्लग का इस्तेमाल करें: अगर कहीं शोर-शराबे वाली जगह जाना जरूरी है, तो ईयरप्लग या नॉइज़-कैंसलिंग हेडफ़ोन पहनें.
  • बच्चों का विशेष ध्यान रखें: बच्चों के कान बेहद संवेदनशील होते हैं, इसलिए उन्हें तेज आवाजों से बचाएं.
  • अगर कान में दर्द या भनभनाहट महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
  • जागरूकता फैलाएं: दूसरों को भी बताएं कि त्योहार की खुशी शांति और सुरक्षा के साथ भी मनाई जा सकती है.

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