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यूट्रस में होने वाले नॉन कैंसरस ट्यूमर को फाइब्रॉयड्स कहा जाता है। आजकल ये समस्या महिलाओं के बीच तेजी से बढ़ रही है। इसकी वजह से महिलाओं की मैरिटल लाइफ प्रभावित होती है। उन्हें कंसीव करने में परेशानी होती है और अगर कंसीव कर लें तो प्रेगनेंसी के दौरान कॉम्प्लिकेशंस का रिस्क बना रहता है।
फाइब्रॉयड्स का कोई निश्चित साइज या शेप नहीं है। इसका आकार मूंग की दाल से लेकर खरबूजे के बराबर तक हो सकता है। आमतौर पर इस समस्या का जिम्मेदार एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को माना जाता है। यहां जानिए फाइब्रॉयड्स होने की वजह, संकेत और अन्य जरूरी जानकारी।
इस समस्या की कोई सटीक वजह तो नहीं होती लेकिन डॉक्टर आनुवंशिकता, अल्कोहल का सेवन, विटामिन डी की कमी, अत्यधिक स्ट्रेस, बढ़ती उम्र और हार्मोनल बदलाव को इसकी संभावित वजह मानते हैं।
पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग, तेज पेट दर्द, पेल्विक हिस्से में दर्द, बार बार यूरिन आना, लंबे समय तक पीरियड्स, पेट फूलना, कब्ज, एनीमिया आदि संकेत फाइब्रॉयड्स होने पर सामने आते हैं। कई बार इसके कोई संकेत सामने नहीं आते।
फाइब्रॉयड्स सीधे तौर पर महिला की सेहत को प्रभावित नहीं करते, लेकिन इसकी वजह से महिला को कंसीव करने में समस्या आती है। कई बार रिलेशन के दौरान दर्द बर्दाश्त करना पड़ता है। इसकी वजह से मैरिटल लाइफ प्रभावित होती है। इसके अलावा यदि कंसीव कर लिया तो प्रीमैच्योर डिलीवरी, मिसकैरेज, शिशु की पोजीशन में गड़बड़ी आने का रिस्क रहता है। आमतौर पर ऐसे मामलों में नॉर्मल डिलीवरी मुश्किल होती है।
फाइब्रॉयड्स है या नहीं, ये स्थिति अल्ट्रासाउंड, एमआरआई और सीटीस्कैन के जरिए स्पष्ट होती है। फाइब्रॉयड्स कन्फर्म होने के बाद विशेषज्ञ दवाओं के जरिए इसका इलाज करते हैं। लेकिन अगर इसकी वजह से हैवी ब्लीडिंग या दर्द की समस्या हो, या कोई और परेशानी हो रही हो, तो विशेषज्ञ सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। सर्जरी के बाद कुछ समय तक डॉक्टर कुछ खास हिदायत देते हैं, जिसका सख्ती से पालन करना जरूरी है।
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