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Super Cold : भारत में कोरोना के मामले अभी धीमी गति से बढ़ रहे हैं हालांकि सर्दियों का मौसम शुरू होने के साथ ही कोविड जैसे लक्षणों वाली और बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। दिवाली से पहले ठंडे हुए मौसम के चलते अस्पतालों में इस बार कोरोना के मामले काफी कम हैं लेकिन इन्फ्लूएंजा यानी फ्लू और सुपर कोल्ड के मरीज बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के बाद से कमजोर हुए रेस्पिरेटरी सिस्टम के चलते फ्लू और सुपर कोल्ड जैसी बीमारियां भी खतरनाक होती जा रही हैं जबकि हर साल इनके मरीज दवाओं से ठीक हो जाते थे।
इस समय कोरोना के मामले काफी कम हैं लेकिन आती सर्दियों के कारण इन्फ्लूएंजा और कॉमन कोल्ड या सुपर कोल्ड का संक्रमण बढ़ गया है। खासतौर पर सर्दियां शुरू होते ही या थोड़ा सा सर्द-गर्म होते ही ये दोनों बीमारियां बच्चों को जल्दी चपेट में लेती हैं। खास बात यह है कि फ्लू और सुपर कोल्ड कभी-कभी कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो जाता हैं और मरीज को वेंटिलेटर तक पहुंचा देता हैं। इनमें भी मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। (Super Cold)
चूंकि पिछले साल से कोरोना भी चल रहा है ऐसे में अधिकांश मरीज फ्लू या कोल्ड होने पर इसलिए भी अस्पताल आ रहे हैं कि कहीं कोविड तो नहीं हुआ, लिहाजा उन्हें इन बीमारियों का इलाज मिल पा रहा है। हालांकि कोरोना और इन दोनों बीमारियों के लक्षणों में पर्याप्त अंतर है।
कोरोना की प्रमुख पहचान बुखार का आना है। पिछले साल देखा गया कि कोरोना के माइल्ड लक्षणों वाले मरीजों को बुखार भी नहीं था, लेकिन एक बात जो स्पष्ट थी वह ये कि लोगों को कोरोना होने पर सूंघने की क्षमता और स्वाद चला गया था। ऐसा 14 दिन से लेकर महीनों तक रह सकता है। इतना ही नहीं कई बार बदले लक्षणों में कोरोना में उल्टी, दस्त, नाक का बंद होना या गले में दर्द होना भी पाया गया है। हालांकि अगर बुखार तेज नहीं है तो इसमें भी घबराने की जरूरत नहीं है और खुद को आइसोलेट करके ठीक किया जा सकता है।
कोरोना के बाद पहली बार सुपर कोल्ड शब्द सामने आ रहा है वरना यह कॉमन कोल्ड ही है। यह आमतौर पर सर्दियां शुरू होने से पहले मौसम में आए बदलाव के कारण होता है। इस दौरान लोग ठंड और गर्मी दोनों के बीच में उलझे हुए रहते हैं। मौसम भी ठंडा होता है लेकिन अगले पल गर्मी लगती है। ऐसे में सर्द-गर्म से जुकाम, नाक बहना या जाम हो जाना, खांसी, सीने में दर्द, कफ का जकड़ना, खराश और सर्दी लगने या गले में दर्द होने की समस्याएं बढ़ जाती हैं। बच्चों को ये परेशानी खासतौर पर होती है। बड़े भी इसकी चपेट में आते हैं।
इन्फ्लूएंजा या फ्लू से होने वाला सर्दी जुकाम वायरस जनित होता है। यह आमतौर पर एक दूसरे से फैलता है। अगर किसी को फ्लू है और उसके संपर्क में कोई आता है तो उसे भी फ्लू हो सकता है। यह मरीज में एक से डेढ़ हफ्ते तक रह सकता है। इसमें भी मरीज को सर्दी-जुकाम होता है और शरीर में बुखार रहता है। हालांकि बुखार बहुत तेज नहीं होता। इसमें नाक लगातार भी बह सकती है। मुंह और नाक लाल रहती है। सिरदर्द भी रह सकता है। मांसपेशियों में जकड़न या दर्द, सूखी खांसी, बहुत ज्यादा थकान भी हो सकती है।
इन बीमारियों में डॉक्टर से इलाज लेने के साथ ही कुछ जरूरी उपाय हैं जो बचाव के लिए और अन्य लोगों में बीमारियां न फैलें इसके लिए करने चाहिए। हमेशा खांसते या छींकते समय मुंह और नाक पर टिशु पेपर या रूमाल रखें। इसके अलावा बाहर जाते समय भी धूल या मिट्टी से बचने के लिए नाक को ढकें। आपको चाहे फ्लू हो या कॉमन कोल्ड, अपने इस्तेमाल किए गए रूमाल या टिशु को सीधे कूड़ेदान में डालें और अपने हाथ साबुन या सेनिटाइजर से साफ कर लें। ये चीजें किसी अन्य के संपर्क में न आएं।
कोशिश करें कि कोरोना होने पर कम से कम दो हफ्ते और फ्लू होने पर कम से कम 5 दिन और सर्दी-जुकाम होने पर खुद को दो दिन आइसोलेट रखें। इस दौरान विशेष रूप से दरवाज़े के हैंडल, हैंडरेल और नल को अगर छुएं तो नियमित रूप से किसी कीटाणुरहित से साफ करें। फ्लू या सर्दी से ग्रसित मरीजों के संपर्क में आने से बचें। इस दौरान बच्चों का खास ध्यान रखें, उन्हें न तो बेहद गर्म कपड़े पहनाएं जिससे पसीना आए और न ही एकदम हल्के कपड़े पहनाएं कि सर्दी लग जाए। उन्हें सामान्य तापमान पर रखें।
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