India News(इंडिया न्यूज), Folic Acid: कई बच्चों को जन्म से ही गंभीर दिमागी बीमारियाँ, ब्रेन या स्पाइन संबंधी समस्याएँ होती हैं। ये बच्चे बिस्तर से उठने और सामान्य गतिविधियाँ करने में असमर्थ होते हैं, जिससे वे पूरी तरह अपने माता-पिता पर निर्भर होते हैं। आजकल, प्रेग्नेंसी अल्ट्रासाउंड और अन्य जांचों के माध्यम से डॉक्टर इन समस्याओं का पता गर्भ में ही लगा लेते हैं।

गंभीर मामलों में, डॉक्टर गर्भवती महिला को बच्चे को जन्म न देने या गर्भपात की सलाह भी देते हैं। लेकिन, जब गर्भवती महिला पूरी तरह स्वस्थ होती है, तो फिर भी ऐसा क्यों होता है? डॉक्टरों के अनुसार, इन न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के पीछे एक प्रमुख कारण भारत में महिलाओं द्वारा प्रेग्नेंसी के दौरान की गई एक महत्वपूर्ण गलती या लापरवाही है।

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फॉलिक एसिड की महत्ता

दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी, डॉ. अजय चौधरी के अनुसार, अभी तक के रिसर्च और केसेज में यह देखा गया है कि अक्सर महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान फॉलिक एसिड की गोलियाँ नहीं लेती हैं या उन्हें लेने में लापरवाही कर देती हैं। गर्भावस्था के पहले महीने में ही भ्रूण का ब्रेन और स्पाइन की नसें बनती हैं और इस दौरान अगर महिला के शरीर में फॉलिक एसिड की कमी होती है या उसका पर्याप्त सेवन नहीं होता है, तो यह न्यूरोलॉजिकल डिफेक्ट्स का कारण बन सकता है।

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फॉलिक एसिड की कमी के परिणाम

फॉलिक एसिड की आवश्यक खुराक न लेने के कारण बच्चों में ब्रेन या स्पाइन संबंधी समस्याएँ होना आम है। अगर इन समस्याओं का पता गर्भावस्था के दौरान ही चल जाता है तो समय रहते उचित कदम उठाए जा सकते हैं, वरना बच्चा इन गंभीर बीमारियों के साथ जन्म लेता है।

निष्कर्ष

इसलिए, गर्भवती महिलाओं के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वे फॉलिक एसिड की आवश्यक खुराक नियमित रूप से लें। इसके लिए डॉक्टर की सलाह अवश्य मानें और गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें। फॉलिक एसिड की कमी को पूरा करने के लिए संतुलित आहार और पूरक गोलियाँ लेना आवश्यक है, जिससे नवजात शिशु स्वस्थ और तंदुरुस्त पैदा हो सके।

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