इंडिया न्यूज ( Home Remedies for Skin Problem)
इस उमस भरे मौसम में व्यक्ति को दाद, खाज, खुजली की समस्या ज्यादा होती है। क्योंकि बरसात में तापमान में नमी होती है, जिसकी वजह से ह्यूमिडिटी ज्यादा होने से बैक्टीरिया ज्यादा पनपते हैं। इसके कारण दाद, खाज, खुजली जैसी बीमारी हो जाती है। कई बार ये परेशानियां गंभीर भी हो जाती हैं। तो चलिए जानेंगे दाद खाज खुजली को दूर करने के लिए घरेलू उपाय क्या हैं।
दाद क्या है?
दाद को टिनिया, डमेर्टोफाइटोसिस कहा जाता है। यह स्किन फंगल इंफेक्शन है। यह स्किन पर लाल धब्बे और चकत्ते जैसा दिखाई देता है, जिसमें खुजली के साथ-साथ जलन भी होती है। दाद पैर, कमर, दाढ़ी या अंडरआर्म पर हो सकता है। दाद होने का मुख्य कारण मिट्टी और हमारी हवा में पाए जाने वाले फफूंद हैं।
दाद कितने प्रकार का होता है?
- टिनिया क्रूरिस: इसे जॉक इच भी कहते हैं। ये कमर, भीतरी जांघों और नितंबों के आसपास की स्किन पर होता है। यह पुरुषों और किशोर लड़कों में सबसे आम होता है।
- टिनिया कॉर्पोरिस: इसे शरीर का दाद कहा जाता है। ये अक्सर गोल आकार के साथ लाल चकत्ते के रूप में पाया जाता है।
- टिनिया कैपिटिस: इसे स्कैल्प का दाद कहा जाता है जो सिर की स्किन पर बालों की जड़ों में होता है। ये छोटे जख्म के रूप में शुरू होता है जो खुजली के साथ ही पपड़ी के रूप में बालों की जड़ों में हो जाता है। ये अक्सर बच्चों में होता है।
- टिनिया पेडिस: इसे एथलीट फुट भी कहते हैं, इस प्रकार का दाद पैर में होता है।
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क्यों होता है दाद?
बता दें आयुर्वेद में दाद को दद्रु कहते हैं। दद्रु एक प्रकार का दोष है, जो कफ-वात से जुड़ा है। ये बॉडी में टॉक्सिन को इकठ्ठा करता है। टॉक्सिन टिश्यू में जमा होता है, जिसे आयुर्वेद की भाषा में रस (न्यूट्रिएंट्स प्लाज्मा) कहते हैं। टॉक्सिन ब्लड मसल्स और लसीका में जमा होता है, जिससे दाद होने का रिस्क बढ़ जाता है। दाद होना नॉर्मल है, यह बॉडी के किसी भी हिस्से पर हो सकता है।
दाद, खाज, खुजली के लक्षण: त्वचा पर गोल उभरे हुए लाल चकत्ते होना। लाल या गुलाबी रंग के हल्के चकत्ते। स्किन पर ब्राउन या ग्रे रंग के चकत्ते दिखना। चकत्तों पर खुजली होना।
दाद, खाज, खुजली दूर करने का तरीका
- नारियल तेल: नारियल तेल में एंटी इन्फ्लेमेशन और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। यह स्किन के लिए फायदेमंद माना जाता है। नारियल तेल स्किन को नरिश करने के साथ-साथ स्किन पर होने वाले इंफेक्शन को भी ठीक करने में उपयोगी है। मानसून में खुजली हो रही हो तो नारियल तेल लगाएं, जल्द ही आराम मिलेगा।
- अमलतास: अमलतास को आरग्वध कहा जाता है। अमलतास में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। अमलतास के सेवन या इसका लेप लगाने से दाद में राहत मिलती है। साथ ही ये स्किन पर होने वाली जलन को भी कम करता है।
- पलाश: पलाश एक खूबसूरत फूल है। पलाश में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी फंगल और एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जिससे ये दाद में होने वाली खुजली, जलन और सूजन को कम करता है।
- हल्दी: हल्दी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं। खाज-खुजली के लिए हल्दी बहुत उपयोगी है। हल्दी को पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को दाद पर लगाएं। सूखने पर हल्दी के पेस्ट की दूसरी लेयर लगा लें। कुछ ही दिनों में दाद गायब हो जाएगा। इस नुस्खे को एक हफ्ते लगातार अपनाएंगे तो दाद, खाज, खुजली ठीक हो जाएगी।
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- टमाटर का रस: टमाटर के रस में हल्दी पाउडर मिलाकर इस पेस्ट को दाद वाली जगह पर लगाएं, खुजली से राहत मिलेगी। बारिश में फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ गया है। टमाटर में लाइकोपीन होता है जो एक एंटीआॅक्सीडेंट है। यह स्किन में मौजूद फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करता है।
- बेकिंग सोडा और नींबू: इस मौसम में स्किन पर खुजली होने की समस्या से निजात पाने के लिए नहाते समय एक बर्तन में 2 टेबलस्पून बेकिंग सोडा और 1 टेबलस्पून नींबू पानी डालकर मिला लें। इस पेस्ट को स्किन पर अच्छी तरह लगाएं और 5 से 10 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें। इसके बाद धो लें। इस प्रक्रिया को हर दिन कम से कम एक बार जरूर करें। खुजली से आराम मिलेगा।
- चंदन: चंदन पाउडर में थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर इस लेप को खुजली वाली जगह पर लगाएं। सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें। चंदन लेप के रोजाना इस्तेमाल से जल्द ही खुजली की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- नीम: नीम का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के लिए किया जाता है। खुजली जैसी समस्या से निपटने के लिए नीम का इस्तेमाल बरसों से किया जा रहा है। अगर बारिश के मौसम में खुजली की समस्या से जूझ रहें हैं तो नीम के पत्तों को पीसकर खुजली वाली जगह पर लगाएं। नीम में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो खुजली को खत्म करने में मदद करते हैं।
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