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Heart Disease Symptoms and Causes : दिल से जुड़ी बीमारियों को लेकर कई तरह की भ्रांतियां अभी भी बनी हुई है। अक्सर लोग सीने में होने वाले दर्द कभी-कभी सामान्य भी होते हैं, ऐसा मानकर जांच कराने को गंभीरता से नहीं लेते हैं। ऐसा करना कई बार घातक साबित होता है। अब स्वीडन की करोलिंस्का इंस्टीट्यूट-ए मेडिकल यूनिवर्सिटी के साइंटिस्टों ने एक व्यापक स्टडी में पाया है कि दो ऐसे प्रोटीन हैं, जो ब्लड में कोलेस्ट्रॉल पार्टिकल्स के कैरियर (वाहक) का काम करते हैं और उनके जरिए हार्ट से जुड़ी बीमारियों के खतरे का ज्यादा सटीकता के साथ पता लगाया जा सकता है।
इस स्टडी आधार पर रिसर्चर्स ने दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे का पता लगाने के लिए नई गाइडलाइंस जारी किए जाने की भी सिफारिश की है। उनका मानना है कि इससे हार्ट से जुड़ी बीमारियों का इलाज समय पर शुरू किया जा सकेगा, और ऐसा करने से कॉम्प्लिकेशंस और मौत के मामले कम होंगे। इस स्टडी के निष्कर्ष पीएलओएस मेडिसिन नामक जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। आपको बता दें कि कार्डियोवस्कुलर यानी हार्ट और ब्लड वेसल संबधी बीमारियां दुनियाभर में मौत का एक सर्वाधिक सामान्य कारण बन गया है। इसमें स्ट्रोक, मायोकार्डियल इंफ्रैंक्शन यानी हार्ट अटैक और ऐथरोस्क्लरोसिस यानी धमनियों (आर्ट्री) की दीवार पर फैट कॉलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों का जमना जैसी बीमारियां शामिल हैं। (Heart Disease Symptoms and Causes)
आमतौर पर हार्ट रोग के खतरे का पता लगाने के लिए बैड एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) कॉलेस्ट्रॉल के लेवल का संकेतक माना जाता है। कुछेक स्थितियों में अन्य प्रकार के फैट पार्टिकल्स को एपोलिपोप्रोटीन के साथ मापा जाता है। यह ब्लड में कॉलेस्ट्रॉल के वाहक का काम करता है। कार्डियोवस्कुलर रोगों के रिस्क का पता लगाने के लिए मौजूदा दिशानिर्देश में एपोलिपोप्रोटीन एपो बी की जांच की सिफारिश की गई है। यह बैड कॉलेस्ट्रॉल का वाहक होता है। (Heart Disease Symptoms and Causes)
ये जांच अधिकतर टाइप -2 डायबिटीज, हाई बीएमआई (मोटापे के शिकार) और ज्यादा ब्लड लिपिड वाले व्यक्तियों के लिए अपनाई जाती है। रिसर्च से पता चला है कि एपोलिपोप्रोटीन एपो ए-1 भी एक अहम संकेत है। यह गुड प्रोटेक्टिव और सूजन रोधी एलडीएल कॉलेस्ट्रॉल का वाहक होता है। एपो बी और एपो ए-1 के अनुपास की गणना, जोखिम गुणक को प्रदर्शित करता है, जिससे कि बैड फैट पार्टिकल्स (धमनियों में जमाव बढ़ाने वाले) और गुड प्रोटक्टिव एपो ए-1 (जमाव को रोकने वाले) के बीच संतुलन का पता चलता है। (Heart Disease Symptoms and Causes)
इस स्टडी में रिसर्चर्स ने 1.37 लाख से ज्यादा स्वीडिश लोगों के एपो बी/एपो ए-1 के वैल्यू का कार्डियोवस्कुलर रोगों के रिस्क के जुड़ाव का विश्लेषण किया। इसकी उम्र 25 से 84 वर्ष के बीच थी और इन पर 30 वर्षों तक नजर रखी गई। इस दौरान 22 हजार लोगों को किसी न किसी प्रकार का कार्डियोवस्कुलर रोग हुआ। विश्लेषण के परिणाम से सामने आया कि एपो बी/एपो ए-1 का ज्यादा वैल्यू होने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है और ऐसे लोगों को कोरोनरी सर्जरी की जरूरत होती है। यह भी देखा गया कि एपो ए-1 कम होने से खतरा कई गुना बढ़ जाता है। जिन लोगों में एपो बी/ एपो ए-1 का वैल्यू 70 प्रतिशत पाया गया, उन्हें हार्ट अटैक का खतरा तीन गुना ज्यादा था।
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