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How To Detect Future Diseases न्यूयॉर्क की स्टेट यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ बफैलो के साइंटिस्टों ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की एक नई प्रणाली विकसित की है, जो मरीज में उम्र बढ़ने के साथ होने वाली गंभीर बीमारियों की जानकारी पहले से दे देगी। इस शोध को ‘जर्नल ऑफ फार्माकोकायनेटिक्स एंड फार्माकोडायनेमिक्स’ में प्रकाशित किया गया है।
इस मॉडल में उपापचय यानी मेटाबॉलिक और कार्डियोवस्कुलर यानी धमनी और हार्ट संबंधी बायोमार्कर का प्रयोग किया जाएगा। इसे मापने की जैविक प्रक्रिया के जरिये शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल, बॉडी मास इंडेक्स, ग्लूकोज और ब्लड प्रेशर का आंकलन कर सेहत का हाल पता लगाया जाएगा। साथ ही लोगों के लाइफटाइम में उससे होने वाली बीमारियों का अंदेशा भी वैज्ञानिक आधार पर आंका जाएगा।
(How To Detect Future Diseases)
इस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मॉडल के जरिये व्यक्ति की उम्र बढ़ने से उसके पाचन और श्वसन संबंधी रोगों के खतरे का आंकलन होगा। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में होने वाले परिवर्तन का कोशिकाओं, मानसिक स्थिति और व्यवहार संबंधी गतिविधियों पर विपरीत असर पड़ता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ बफैलो के स्कूल ऑफ फार्मेसी एंड फार्मास्युटिकल साइंस के प्रोफेसर मुरली रामनाथन का कहना है कि इस जानकारी से हम किसी बीमारी के विकास क्रम को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। साथ ही भावी मरीजों को भी अपने बचाव के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
उन्होंने आगे कहा कि कई क्लिनिकल थैरेपी के जरिये मरीजों को उस बीमारी की ओर बढ़ने से रोका जा सकता है। इस मॉडल से दीर्घावधिक क्रॉनिक ड्रग थेरेपी का भी आंकलन किया जा सकेगा, जिससे डाक्टरों को डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के इलाज में निगरानी रखने में भी मदद मिलेगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मतलब एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करने से है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कंप्यूटर साइंस का सबसे उन्नत रूप माना जाता है और इसमें एक ऐसा दिमाग बनाया जाता है, जिसमें कंप्यूटर सोच सके, यानी कंप्यूटर का ऐसा दिमाग, जो इंसानों की तरह सोच सके।
(How To Detect Future Diseases)
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