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India News (इंडिया न्यूज),Health: दिल्ली समेत आसपास के कई इलाकों में वायु प्रदूषण काफी बढ़ा हुआ है। प्रदूषण बढ़ने से अस्थमा, COPD और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन इस मौसम में नाक से संबंधित एलर्जी भी कई लोगों को अधिक परेशान करती है। इससे बार-बार छींक आना और साइनस जैसी परेशानी हो जाती है। आमतौर पर माना जाता है कि यह एलर्जी किसी को हो सकती है, ऐसा नहीं है। नाक से संबंधित एलर्जी का खतरा कुछ लोगों में अधिक होता है। आइए इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानते हैं।
आपको बता दें कि एक्सपर्ट्स के अनुसार, हर व्यक्ति के शरीर में माइक्रोबायोम होता है। माइक्रोबायोम बिगड़ जाता है तो इससे नाक की एलर्जी होने का रिस्क अधिक होता है। माइक्रोबायोम और एलर्जी का संबंध यह है कि शरीर मेंमाइक्रोबायोम का असंतुलन होने से माइक्रोबायोम में अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन काफी बिगड़ जाता है, जिससे इम्यूनिटी भी कमजोर हो सकती है और इंफेक्शन का रिस्क बढ़ता।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नोएडा में सीनियर कंसल्टेंट (ईएनटी विभाग) डॉ बी वागीश पडियार बताते हैं कि माइक्रोबायोम के असंतुलन से इम्यून सिस्टम अधिक सक्रिय हो जाता है। इससे एलर्जी की प्रतिक्रिया होती है। नाक की एलर्जी की वजह से छींक आना, नाक बंद होना, और आंखों में जलन भी होती है। अगर किसी व्यक्ति को बढ़लते मौसम या फिर धूल- मिट्टी और प्रदूषण में अधिक छींक आ रही है तो इसका मतलब यह हो सकता है कि व्यक्ति का माइक्रोबायोम बिगड़ा है, हालांकि इसका पता आसानी से चल जाता है। अगर बदलते मौसम में आपको एलर्जी होती है और यह हर साल हो रहा है तो ये इसका लक्षण है। एलर्जी की वजह से छींक आना या नाक बंद होने के अलावा और भी कई लक्षण दिखते हैं। इनमें आंखों में जलन और लालिमा, नाक से पानी निकलना, सिरदर्द और सांस संबंधी परेशानियां होने लगती हैं।
बता दें कि कुछ लोग हल्की एलर्जी होने पर भी एंटीबायोटिक की दवा लेते हैं, लेकिन कितना सही है? इस बारे में डॉ वागीश कहते हैं कि इस तरह एंटीबायोटिक दवा लेना सेहत के लिए अच्छा नहीं है। अधिक एंटीबायोटिक खाने से शरीर में एंटीबायोटिक रजिस्टेंस हो सकता है। इस कारण शरीर पर दवाओं का असर होना बंद हो सकता है। जो 1 खतरनाक स्थिति है। पिछले कुछ सालों में एंटीबायोटिक का शरीर पर असर न करने के मामले बढ़ भी तेजी से रहे हैं और ये मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
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