इंडिया न्यूज (Thyroid Problem)
गलत खानपान की वजह से लोगों को कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। उन्हीं में से एक है थायइाइड की समस्या। थायराइड में वजन बढ़ने के साथ हार्मोन असंतुलन हो जाते हैं। स्टडी अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायराइड विकार दस गुना ज्यादा होता है। इसका मुख्य कारण है महिलाओं में ऑटोम्यून्यून की समस्या ज्यादा होना है। अक्सर थाइरॉइड के लक्षणों को शुरूआती दौर में भांप ही नहीं पाते हैं और बाद में इसके लक्षणों की अनदेखी हमें हाइपोथाइरॉइड या हाइपरथाइरॉइड की स्थिति तक पहुंचा देती है। तो चलिए जानते हैं थायराइड कितने प्रकार का होता है लक्षण क्या हैं।
थायराइड क्या है?
थाइराइड मानव शरीर का मेटाबॉलिक पावर हाउस है। यह गर्दन के अंदर तितली की आकार में होती है, जिसे अवटु ग्रंथि भी कहा जाता है। इससे दो प्रकार के हार्मोन उत्सर्जित होते हैं। अवटु ग्रंथि से हार्मोन कम निकलने या हार्मोन के अंडरएक्टिव रहने पर हाइपोथॉयराडिज्म की समस्या होती।
थायराइड कितने प्रकार का होता है?
हाइपरथायरायडिज्म से एट्रियल फिब्रिलेशन, ऑटोम्यून्यून और फ्रैक्चर होने की संभावना रहती है। वहीं हाइपोथायरायडिज्म, मायक्सेडेमा कोमा और मृत्यु का कारण बनता है। थायरॉइड समस्याओं का सबसे आम कारण ऑटोम्यून्यून थायराइड रोग (एआईटीडी) है। यह एक वंशानुगत यानी जेनेटिक स्थिति है। जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी उत्पन्न करती है। ये थायराइड ग्रंथियों को अधिक हार्मोन बनाने के लिए उत्तेजित करती है।
थायराइड के लक्षण क्या?
- मोटापा: हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में अक्सर तेजी से वजन बढ़ता है। इतना ही नहीं शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। वहीं हाइपरथाइरॉइड में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम हो जाता है।
- थकान, अवसाद या घबराहट: अगर बिना अधिक मेहनत करने के बाद भी आप थकान महसूस करते हैं या छोटी-छोटी बातों पर घबराहट होती है तो इसकी वजह थायराइड हो सकती है।
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द: हाइपोथाइरॉडड यानी शरीर में टीएसएच अधिक और टी3,टी4 कम होने पर मांसपेशियों में जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है।
- गर्दन में सूजन: थायराइड बढ़ने पर गर्दन में सूजन की संभावना बढ़ जाती है। गर्दन में सूजन या भारीपन का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
- पेट खराब होना: लंबे समय तक कान्सटिपेशन की समस्या हाइपोथाइरॉइड में होती है जबकि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया की दिक्कत बार-बार होती है।
- हार्मोनल बदलाव: महिलाओं को पीरियड्स के दौरान थाइरॉइड की स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है। वहीं हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स रहते हैं। थाइरॉइड की स्थिति में गर्भ धारण करने में भी दिक्कत हो सकती है।
- बालों और त्वचा की समस्या: खासतौर पर हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में त्वचा में रूखापन, बालों का झड़ना, भौंहों के बालों का झड़ना जैसी समस्याएं होती हैं जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का तेजी से झड़ना और संवेदनशील त्वचा जैले लक्षण दिखते हैं।
थायराइड का घरेलू इलाज
- हरी धनिया: हरी धनिया को पीसकर एक गिलास पानी में घोल कर पिएं। इससे थायरॉइड रोग से आराम मिलेगा।
- त्रिफला चूर्ण: प्रतिदिन एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। यह बहुत फायदेमंद होता है।
- हल्दी और दूध: प्रतिदिन दूध में हल्दी पका कर पीने से भी थायराइड का उपचार होता है।
- लौकी: खाली पेट लौकी का जूस थायराइड रोग में उत्तम काम करता है। यह रोग को शांत करता है।
- काली मिर्च: थायराइड के घरेलू उपचार में नियमित रूप से भोजन में थोड़ी मात्रा में काली मिर्च का सेवन करें।
मुलेठी: मुलेठी का सेवन करें। मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख घटक ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड थायरॉइड कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है।
- अश्वगंधा चूर्ण: रात को सोते समय एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गाय के गुनगुने दूध के साथ लें। इसकी पत्तियों या जड़ को भी पानी में उबालकर पी सकते हैं। अश्वगंधा हार्मोन्स के असंतुलन को दूर करता है।
- तुलसी: दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच ऐलोवेरा जूस मिला कर सेवन करें। इससे थायरॉइड रोग ठीक होता है।
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