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जानिए बवासीर होने के लक्षण और बचाव का तरीका

इंडिया न्यूज:
व्यक्ति के शरीर में फाइबर की कमी बवासीर यानी (पाइल्स) का मुख्य कारण माना जाता है। बवासीर आजकल सामान्य समस्या बन गई है। कहते हैं कि बवासीर किसी को भी हो सकती है, लेकिन महिलाओं में इसकी समस्या ज्यादा सुनने को मिलती है। बताया जाता है कि बवासीर का मुख्य कारण कब्ज, खराब जीवनशैली, ज्यादा मिर्च मसाले वाला खान पान को माना जाता है। बवासीर होने पर व्यक्ति को सबसे ज्यादा मल त्यागने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं बवासीर होने पर कौन-कौन से लक्षण नजर आ सकते हैं। इस बीमारी से बचने के तरीके क्या हैं।

बवासीर कितने प्रकार की होती हैं

खूनी बवासीर: खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं। मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है, या पिचकारी के रूप में आने लगता है।

  • मल त्यागने के बाद मस्से अपने से ही अन्दर चले जाते हैं। गंभीर अवस्था में यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते। इस तरह के बवासीर का तुरंत उपचार कराएं।

बादी बवासीर: बादी बवासीर में पेट की समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरूआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।

  • इसमें भी असहनीय पीड़ा होती है, और रोगी दर्द से छटपटाने लगता है। मलत्याग करते समय, और उसके बाद भी रोगी को दर्द बना रहता है। वह स्वस्थ तरह से चल-फिर नहीं पाता, और बैठने में भी तकलीफ महसूस करता है। इलाज कराने से यह समस्या ठीक हो जाती है।

बवासीर होने के लक्षण

  • गुदा के पास गांठ या सूजन: गुदा के पास गांठ या सूजन बवासीर का एक मुख्य लक्षण माना जाता है। बवासीर होने पर गुदा के पास दर्दनाक सूजन, गांठ महसूस होती है। इस गांठ की वजह से बैठने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी कारण व्यक्ति को मल त्याग में सबसे ज्यादा दिक्कत आती है। अगर ये लक्षण नजर आता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • गुदा में तेज खुजली: बवासीर मलाशय के अंदर या बाहर हो सकता है। आंतरिक बवासीर मलाशय के अंदर होता है, जबकि बाहरी बवासीर गुदा के आसपास की त्वचा में महसूस होती है। बवासीर की वजह से गुदा में तेज खुलजी होने लगती है। यह एरिया काफी सेंसिटिव हो जाता है, जो जलन और खुजली पैदा करता है। बवासीर के दौरान रोगी को पेट दर्द का भी सामना करना पड़ता है। क्योंकि इस दौरान कब्ज बन जाती है। इसकी वजह से पेट में दर्द, मरोड़े आना आम है। अगर बार-बार यह समस्या होती है तो एक्सपर्ट से जरूर मिलें।
  • गुदा से बलगम निकलना: कभी-कभी बवासीर के कारण गुदा से बलगम जैसा तरल पदार्थ भी बाहर निकल सकता है। गुदा से बलगम का रिसाव बवासीर का एक लक्षण होता है। यह संक्रमण का संकेत हो सकता है। इसलिए बवासीर के दौरान रोगी को अपने गुदा क्षेत्र की अच्छे से सफाई करनी चाहिए। अगर बलगम का स्त्राव होता है, मल त्याग के दौरान दर्द होता है। इस स्थिति को नजरअंदाज न करें। इस स्थिति में डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
  • गुदा के पास का क्षेत्र लाल होना: अगर आपको गुदा के पास का क्षेत्र लाल नजर आता है, या उस पर दर्द अधिक होता है तो यह बवासीर का एक लक्षण है। बवासीर के रोगियों को गुदा में दर्द की समस्या का सामना अकसर करना पड़ता है। बवासीर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मल त्याग के दौरान रोगी को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसमें रोगी को तेज दर्द, चुभन महसूस होती है।

बचाओ के तरीके

  • नारियल का तेल: नारियल की जटाओं को जलाकर राख या भस्म बना लें। इसे ताजे मट्ठे में मिलाकर सुबह खाली पेट नियमित रूप से पिएं। इससे बवासीर की समस्या में काफी राहत महसूस होगी।
  • एलोवेरा: एलोवेरा के सूजनरोधक और चिकित्सकीय गुणों से बवासीर की जलन कम हो जाती है, और कब्ज की समस्या नहीं होती। यह आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के पाइल्स के इलाज में लाभदायक है। गुदा के बाहर के मस्सों में एलोवेरा जेल लगाएं। यह जलन और खुजली को शांत करता है। एलोवेरा के 200-250 ग्राम गूदे को खाएं। इससे कब्ज नहीं होगी और मलत्यागने में आसानी होगी।
  • सेब का सिरका: सेब का सिरका अपने कषाय गुणों के कारण रक्तवाहिनियों को सिकोड़ने में मदद करता है। खूनी बवासीर में एक गिलास पानी में सेब के सिरके का एक चम्मच डालकर दिन में दो बार पिएं। बादी बवासीर में सेब के सिरके में रुई भिगाकर गुदा में रखें। इससे जलन और खुजली से राहत मिलेगी।
  • जैतून के तेल का इस्तेमाल: जैतून के तेल में सूजन ठीक करने वाले गुण होते हैं। यह रक्तवाहिकाओं में आई सूजन को कम करता है। जैतून के तेल को बादी बवासीर के मस्सों पर लगाएं।
  • बादाम का तेल: शुद्ध बादाम के तेल में रुई को डुबोएं, तथा बादी बवासीर में मस्सों पर लगाएं। यह सूजन और जलन को कम करता है।
  • नींबू: नींबू के रस में अदरक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पाइल्स की दिक्कत दूर करने में फायदा पहुंचेगा।
  • गर्म पानी: बाथ टब में गर्म पानी डालकर 10-15 मिनट तक बैठें। यह बवासीर के दर्द, और जलन से आराम पाने का सबसे अच्छा इलाज है।

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