इंडिया न्यूज:
आज कल कई महिलाएं अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग यानी मां के दूध की बजाय ज्यादातर फॉर्मूला मिल्क बच्चे को पिला रही हैं। फॉर्मूला मिल्क कंपनियां इतनी चालाकी से अपने प्रोडक्ट का प्रमोशन करती हैं, जिससे उनके प्रमोशन को एडवर्टाइजमेंट का नाम भी नहीं दिया जा सकता। यह बिजनेस देश-दुनिया में बड़े पैमाने पर चल रहा है। यही कारण है भारत में फॉर्मूला मिल्क का बिजनेस 4.2 लाख करोड़ सालाना तक पहुंच गया है। अब सवाल ये उठता है कि फॉर्मूला मिल्क क्या छोटे बच्चों के लिए फायदेमंद है। अगर नहीं, तो इसके नुकसान क्या हैं।
फॉर्मूला मिल्क क्या है ?
फॉर्मूला मिल्क एक तरह का आर्टिफिशियल मिल्क पाउडर होता है। इसे आप पाउडर बेस्ड मिल्क भी कह सकते हैं। यह शुगर, फैट, विटामिन और प्रोटीन को मिलाकर बनता है।
क्या ये फॉर्मूला मिल्क नवजात को पिलाना चाहिए ?
- कई बार डॉक्टर मां को फॉर्मूला मिल्क पिलाने की सलाह देते हैं, लेकिन ऐसा तब होता है, जब एक मां ब्रेस्ट फीडिंग कराने की स्थिति में नहीं होती। याद रखें कि फॉमूर्ला मिल्क एक आर्टिफिशियल मिल्क है, जिसे आप सिर्फ एक विकल्प मान सकते हैं। इसका मतलब बिलकुल नहीं कि ये स्तनपान की तरह काम करता है।
- वहीं एक दिन में बच्चे को छह से आठ बार फॉर्मूला मिल्क दिया जा सकता है। हालांकि, इसकी मात्रा बच्चे की सेहत पर निर्भर करती है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
मां के दूध और फॉर्मूला मिल्क में अंतर क्या?
मां के दूध में ग्लिसरॉल मोनोलॉरेट (जीएमएल) नामक एक ऐसा कंपोनेंट पाया जाता है, जो हानिकारक बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है। ये हेल्दी बैक्टीरिया को ग्रो करने में मदद करता है। मां के दूध में जीएमएल गायों के दूध की तुलना में करीब 200 गुना अधिक होता है, जबकि फॉर्मूला मिल्क में इसकी मात्रा न के बराबर होती है। इसमें मां के दूध जैसी कोई भी खासियत नहीं होती है।
मां के दूध से बच्चों क्या लाभ ?
- एलर्जी से छुटकारा: मां का दूध हर लिहाज से सुरक्षित है। इसलिए स्तनपान करने वाले बच्चों में एलर्जी की संभावना कम होती है।
- स्वस्थ हड्डियों का विकास: मां के दूध में प्रोटीन और विटामिन की मात्रा पर्याप्त होती है। इसमें मौजूद कैल्शियम बच्चे की हड्डियों मजबूत बनाता है।
- बेहतर दृष्टि: इसमें डीएचए होता है, जिससे आगे चलकर बच्चे की दृष्टि यानी आंखों की रोशनी भी तेज होती है।
- सम्पूर्ण आहार: मां के दूध में सभी पोषक तत्व होते हैं, जो शिशु के सम्पूर्ण विकास के लिए आवश्यक होते हैं। इसे संपूर्ण आहार माना जाता है।
- ग्रोथ बेहतर: मां के दूध में मौजूद कोलोस्ट्रम नवजात की ग्रोथ में मदद करता है।
- स्ट्रॉन्ग इम्यूनिटी: इसमें विटामिन-ए, प्रोटीन और एंटीबॉडीज होते हैं, जो बच्चों की इम्यूनिटी पावर को बढ़ाते हैं।
- हेल्दी डाइजेस्टिव सिस्टम: मां के दूध में प्रोबायोटिक होते हैं, जिससे बच्चों को पेट से रिलेटेड परेशानियां होने की आशंका कम होती हैं।
- मेंटल डेवलपमेंट: मां के दूध में लॉन्ग-चेन पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं, जो बच्चों के मेंटल डेवलपमेंट में मदद करते हैं।
फॉर्मूला मिल्क का नुकसान क्या ?
जो बच्चे मां का दूध पीते हैं, उनकी तुलना में फॉर्मूला मिल्क पीने वाले बच्चे फिजिकल, मेंटल और इमोशनल तौर पर कमजोर होते हैं। बच्चे इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण बार-बार बीमार होते हैं। इंफेक्शन के कारण डायरिया और निमोनिया का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे बच्चे मानसिक रूप से कमजोर हो सकते हैं। बड़े होने पर मोटापे का खतरा ज्यादा होता है। बच्चे के दांत सही तरह से नहीं आते हैं। मां और बच्चे के बीच इमोशनल अटैचमेंट कम होता है। इसमें कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने से बच्चे का कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है।
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
यह भी पढ़ें: पेट से जुड़ी समस्याएं दूर करें ये चार चीजें
यह भी पढ़ें: कम नमक का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद, जाने कैसे