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Kushth Rogon Se Mukti Ke Mishan देश की आजादी के समय अभिशप्त कहे जाने वाले कुष्ठ रोग से अब देश मुक्त होगा। हम लेप्रोसी जैसी बीमारी से मुक्त होने के करीब हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि कुष्ठ रोग मुक्त भारत अभियान का लक्ष्य है साल 2025 तक देश को कुष्ठ रोग मुक्त करना।
इस अभियान के तहत घर-घर जाकर रोगियों की पहचान की जाएगी, संक्रमितों को मुफ्त दवा और जरूरी होने पर सर्जरी आदि की सुविधा सरकारी हेल्थ सेंटर्स पर उपलब्ध कराई जाएगी। आजादी के बाद नए भारत के सामने अशिक्षा सबसे बड़ी बाधा थी, लेकिन इसे थोड़े समय में दूर भी नहीं किया जा सकता था। इसके कारण समाज अनेक कुरीतियों व भ्रांतियों की गिरफ्त में था।
(Kushth Rogon Se Mukti Ke Mishan)
एक तो बीमारियों का इलाज नहीं था, दूसरा भ्रांतियां उन्हें और जटिल बना रही थीं। इन्हीं में थी लेप्रोसी यानी कुष्ठ रोग की बीमारी। लेप्रोसी से ग्रसित होने का मतलब समाज से पूरी तरह बहिष्कृत हो जाना था। एक्सपर्ट बताते हैं कि समाज कुष्ठ रोगी को अभिशप्त मानता था। ज्यादातर लोगों को मानना था कि रोगी ने पूर्व जन्म में बुरे कर्म किए थे और भगवान ने इसी वजह से दंडित किया है, जिससे इसे यह बीमारी हुई है।
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माइक्रोबैक्टीरियम लेप्री व माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रोमेटासिस जीवाणुओं से फैलने वाली लेप्रोसी का संक्रमण शुरुआत में स्किन और इसके बाद आंख, नाक, हाथ, पैर आदि अंगों को प्रभावित करता है। इलाज न होने पर इसके संक्रमण से अंगों का गलना शुरू हो जाता है। कई बार यह बीमारी दिव्यांगता का कारण भी बनती है।
कुष्ठ रोग से संक्रमित होने के बाद लक्षण आने में भी 5 से 20 साल तक का समय लग सकता है। ड्रापलेट्स से फैलने वाली इस बीमारी का संक्रमण, संक्रमित के संपर्क में रहने पर हो सकता है। आजादी के बाद 1954-55 में इसके निवारण के लिए राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके पूर्व देश में इस बीमारी की न कोई दवा थी और न लोगों को इसके बारे में अधिक जानकारी थी।
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एमडीटी यानी मल्टी ड्रग थेरेपी के आने से इस बीमारी पर लगाम लगनी शुरू हुई। इसके साथ ही हेल्थ मिनिस्ट्री ने सेलेब्रिटीज व शख्सियतों के माध्यम से इसे समाप्त करने के लिए अभियान चलाए, जो इस बीमारी की रफ्तार रोकने में काफी कारगर रहे।
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इससे समाज में यह संदेश गया कि वास्तव में यह जीवाणु के संक्रमण से होने वाली बीमारी है। इससे किस तरह बचना है और क्या इसके लक्षण हो सकते हैं। इससे लेप्रोसी नियंत्रित भी हुई और लोगों में जागरूकता आई कि इसके संक्रमण में रोगी का कोई दोष नहीं है।
(Kushth Rogon Se Mukti Ke Mishan)
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