इंडिया न्यूज:
दुनियाभर में कई प्रकार फूलों के पौधे होते हैं जो भगवान को चढ़ाने के साथ-साथ कई बीमारियों को भी दूर करने में मदद करते हैं। उन्हीं में से एक है मालती का पौधा। जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। इस पौधे को मधुमालती भी कहते हैं। मधुमालती एक तरह की बेल होती है, जिसे लोग घरों को सजाने के लिए लगाते हैं। तो चलिए जानते हैं मालती के पौधे के आयुर्वेदिक फायदे क्या हैं।
किन नामों से जानते हैं मालती के पौधे को
आसामी में कहते हैं-मालती। बंगाली में इसे कहते हैं-मधुमंजरी। बायोलॉजिकल नाम है-कॉम्ब्रेटम इंडिकम। तेलुगु में इसका नाम है- राधामनोहरम। अंग्रेजी में इसका नाम है-रंगून क्रीपर है।
रंग बदलते हैं मालती के फूल
लाल, गुलाबी, सफेद रंग के गुच्छों में खिलने वाले इसके फूल रंग बदलते हैं। पहले दिन सूर्योदय जब इसके फूल खिलते हैं तो ये सफेद रंग के होते हैं। दूसरे दिन वही फूल गुलाबी रंग में बदल जाते हैं और तीसरे दिन गाढ़े लाल रंग में बदल जाते है। फूलों का रंग बदलना ज्यादा से ज्यादा परागण के लिए अलग-अलग तरह के कीटों को अपनी ओर अट्रैक्ट करने का तरीका होता है।
ये बेल वाला पौधा है, किसी भी मिट्टी में लग जाता है। मधुमालती के पौधे को बड़े गमले या जमीन पर लगाएं। नया पौधा लगाने के लिए इसकी कलम लगानी चाहिए। 3-4 इंच लंबी कलम लें, जिसमें 2-3 पत्तियां होनी चाहिए। अब कलम का 1 इंच हिस्सा मिट्टी में दबा देना है। कोशिश करें कि इसे आप थोड़ी छाया वाली जगह रखें। चाहें तो इसके ऊपर एक पॉलिथीन बैग लगा सकते हैं। दिन में दो बार थोड़ा-थोड़ा पानी देते रहें। एक महीने में इसकी जड़ आ जाएगी।
इसमें गोबर या सूखे पत्तियों से बना खाद डाल सकते हैं।
मालती का पौधा लगाते समय इन बातों का ध्यान रखें?
मालती का पौधा बेल की तरह होता है। इसे लगाते समय ध्यान रखें कि इसके आस-पास कोई सहारा जरूर होना चाहिए। सहारे की मदद से ही यह ऊपर बढ़ सकेगा। दिन-भर में कम से कम इसे 4 घंटे धूप जरूर मिलना चाहिए। जिस साल इस पौधे को आप लगा रहे हैं उस साल कम से कम सप्ताह में इसे 2 बार पानी जरूर दें। सर्दी के मौसम में सप्ताह में एक बार या फिर जब जड़ें सूखी दिखाई दें तब पानी डालें। हालांकि, जब पौधा बड़ा हो जाए तो कभी-कभी पानी देने से भी काम चल जाएगा। जब इसकी बेल ज्यादा बढ़ने लगे तो इसे छांट दें। ताकि ये सही तरीके से बढ़े और आपने जिस जगह इसे लगाया है वहां की शोभा बढ़ सके।
मालती के पत्तों और फूल के आयुर्वेदिक फायदे क्या
इसके काढ़े से सर्दी और खांसी में राहत मिलती है। ल्यूकोरिया (सफेद पानी) के इलाज के लिए मालती के पत्तों और फूल का रस पीना लाभदायक माना जाता है। पेट अगर भरा-भरा और फूला लग रहा है तो इसकी पत्ती उबालकर पानी पीने से राहत मिलती है। इसकी जड़ों का काढ़ा पेट के कीड़े को मारने में मदद करता है।
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