इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
Menopause Also Affects The Mental Health Of Women: जल्दी मेनोपॉज हो जाने के कारण महिलाओं में कई शारीरिक परेशानी उम्र से पहले होने लगती हैं। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, आर्थराइटिस जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है इसलिए उन्हें अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए। ये वह समय होता है जब महिलाएं अपने शरीर में कई बदलाव महसूस करती हैं और मानसिक उतार-चढ़ाव से गुजरती है। जागरूकता और परिवार का साथ महिलाओं को कई खतरों से बचा सकता है।
मासिक चक्र के दौरान हॉर्मोन का स्तर बढ़ने और घटने पर स्त्राव के गाढ़ेपन में बदलाव होता रहता है। जब आपकी उम्र बढ़ती है और आप रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के आसपास पहुंच जाती है, तो हो सकता है आप अपने माहवारी चक्र की अवधि में बदलाव पाएं। मेनोपॉज का असर महिलाओं के मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है। पीरियड्स बंद होने के कारण महिलाओं को लगने लगता है कि वे बूढ़ी हो रही हैं। बेडौल होता शरीर उनके कॉन्फिडेंस को कम कर देता है। इसका असर उनके रिश्तों पर भी पड़ने लगता है। सेक्स इच्छा में कमी आ जाने के कारण पति को भी उनसे शिकायतें बढ़ जाती हैं।
बदलती जीवनशैली के कारण महिलाओं को उम्र से पहले मेनोपॉज हो रहा है, जिसका असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। मेनोपॉज का मतलब सिर्फ पीरियड्स का बंद होना नहीं है, बल्कि इसके कारण महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे मोटापा, हॉट फ्लैशेज, वेजाइनल ड्राईनेस, मूड स्विंग, डिप्रेशन, नींद न आना, थकान, बालों का झड़ना आदि।
मेनोपॉज की वजह से डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन आम समस्या है। इस अव्यवस्थित मानसिक स्थिति का दुष्प्रभाव महिलाओं के शरीर और दिमाग के साथ रिश्तों पर भी पड़ने लगता है। मेनोपॉज के कारण महिलाओं को होनेवाली दिक्कतों के बारे में जानकारी न होने के कारण घरवाले उनके स्वभाव में अचानक आए बदलावों और गुस्से को ठीक तरह से समझ नहीं पाते इसलिए इस बारे में परिवार का भी जागरूक होना जरूरी है। यदि परिवार इस स्थिति को समझे और महिलाओं का साथ दे, तो मेनोपॉज की परेशानियों को कम करने में काफी हद तक मदद मिलेगी।
महिलाओं को चाहिए कि वे समझें कि पीरियड्स के शुरू होने की तरह ही उनका खत्म होना भी एक सामान्य प्रक्रिया है। इसके लिए यदि महिलाएं खुद को पहले से ही तैयार कर लें, तो कई तकलीफों से बच सकती हैं। जैसे कि योग और एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें। जंक या पैकेट फूड के सेवन से बचें और हेल्दी डाइट लें। अपने शौक के लिए समय निकालें ताकि आप खुश रह सकें।
सेक्स इच्छा में कमी हो तो पति से इस बारे में बात करें, हो सके तो डॉक्टर से संपर्क करें। नाकारात्मक भावनाओं से बचने के लिए ऐसे लोगों के साथ रहें जो आपको मोटिवेट करते हैं। जरूरत पड़े तो मनोचिकित्सक की सलाह लें। अपने शरीर और मानसिक स्थिति में आ रहे बदलावों के बारे में परिवार को बताएं, ताकि वे आपको समझें और आपका साथ दें।
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