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Breast Cancer : महिलाओं को रोजाना बढ़ रही बीमारी ब्रेस्टं कैंसर चिंता बढ़ाने वाली है। क्याा आप जानती हैं कि आज भारत में ब्रेस्टक कैंसर किस हद तक अपने पैर पसार चुका है। अगर थोड़ी सी लापरवाही हुई तो कोई भी महिला इसकी चपेट में आ सकती है और उसे इलाज के कठिन चरणों से गुजरना पड़ सकता है। खास बात है भारत के मेट्रो शहरों में महिलाओं की एक बड़ी आबादी आज ब्रेस्टइ कैंसर के निशाने पर हैं।
स्पेशलिस्ट कहती हैं कि भारत में ब्रेस्टं कैंसर को लेकर एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। देश में 30 साल के आसपास की महिलाओं में भी इस बीमारी के मामले अब बढ़ने लगे हैं। वहीं करीब 5 फीसदी के आसपास 30 साल से कम उम्र की महिलाएं भी हैं जो कैंसर की चपेट में आ रही हैं। जबकि अभी तक 50 साल से ऊपर की महिलाओं को ही स्तहन कैंसर अपना शिकार बनाता था। वहीं एक और खास बात है कि देश में ब्रेस्टक कैंसर से पीड़ित होने वाली ग्रामीण महिलाओं की अपेक्षा शहरी महिलाओं की संख्याे काफी ज्याहदा है।
भारत सरकार के नेशनल कैंसर रजिस्ट्रीत प्रोग्राम की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में 712,758 महिलाओं में ब्रेस्टा कैंसर की बीमारी पाई गई है। प्रति 29 महिलाओं में से एक महिला स्तान कैंसर से जूझ रही है। जहां ग्रामीण महिलाओं में 60 में से एक में ये बीमारी है। वहीं 22 में से एक शहरी महिला को ब्रेस्ट कैंसर की समस्या है। वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट बताती हैं कि 2016 में कैंसर के 14.5 लाख नए मामले सामने आए थे जो 2020 में बढ़कर 17.3 लाख हो सकते हैं। वहीं एनसीआरपी के मुताबिक कुल कैंसर मरीजों में करीब 57 फीसदी मामले ब्रेस्टं कैंसर के मरीजों के हैं। लिहाजा आंकड़े काफी चिंताजनक हैं।
अगर ब्रेस्ट् में कोई गांठ या मस्साा हो, इसके आकार में बदलाव होने लगे, सूजन के साथ दबाने पर दर्द हो, त्वलचा का रंग लाल होने लगे, निपल में से खून आ रहा हो, निप्पल सिकुड़ने लगे, त्च चा में जलन या डिंपलिंग होने लगे, अगर किसी महिला के अंडरआर्म या बगल में गांठ हो तो वह भी स्तेन या ब्रेस्टि कैंसर का लक्षण हो सकता है। इसके लिए तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना जरूरी है। महिलाओं को चाहिए कि वे अपने स्ततनों की इस प्रकार जांच खुद ही करती रहें।
देश के बड़े और मेट्रो शहरों में महिलाएं सबसे ज्याेदा ब्रेस्टक कैंसर से पीड़ित हैं। इन बड़े शहरों में वे शहर शामिल हैं जहां तेजी से औद्योगीकरण हो रहा है और आधुनिक सुख-सुविधाएं बढ़ने के साथ ही यहां की आबोहवा खराब हो रही है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के आंकड़े बताते हैं कि देश के कुछ मेट्रो शहर जैसे दिल्लील, मुंबई, बंगलुरू, भोपाल, कोलकाता चेन्नई और अहमदाबाद में लगातार ऐसी महिलाएं सामने आ रही हैं जिन्हें स्तबन कैंसर की शिकायत है। इन शहरों में मामले सामने आने के पीछे महिलाओं का ज्याेदा जागरुक होना भी है लेकिन मामले बढ़ रहे हैं तो यह तय है कि बीमारी बढ़ रही है। इसके अलावा भी कुछ प्रमुख कारण हैं।
भागदौड़ और तनाव भरी जीवनशैली, शारीरिक कसरत या व्या।याम की कमी, प्रदूषित खानपान और पोषणयुक्त भोजन की कमी के कारण भी कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। महिलाओं की शादीशुदा जिंदगी का देर से शुरू होना, देरी से बच्चों का होना या संतान का न होना, ग्रामीण के मुकाबले शहरी महिलाओं का जल्दीच परिपक्व होना और मासिक चक्र का जल्दील शुरू हो जाना, हार्मोनल असंतुलन भी इसके जिम्मेुदार हैं।
कुछ मामलों में अनदेखी या लापरवाही के कारण भी गंभीरता आ जाती है। अगर शुरुआत में ही बीमारी का पता चल जाए तो हालात खराब नहीं होते लेकिन महिलाओं की अपनी बीमारी के प्रति झेलने और लापरवाही का रवैया होने के चलते ज्या दा नुकसान हो रहा है।
कैंसर होने के बाद डॉक्टसर इलाज करते हैं लेकिन उससे पहले महिलाओं को चाहिए कि वे इस बीमारी को अपने पास न आने दें। इसके लिए महिलाएं पहले से जागरूक रहें, अगर ये बीमारी हो भी जाती है तो डॉक्टएर से परामर्श लेने में हिचकें नहीं। महिलाएं अपने आहार में भोजन के अलावा साबुत अनाज, फल-सब्जियां, जूस आदि रोजाना शामिल करें। महिलाएं रोजाना व्यारयाम करें या फिर रोजाना पैदल चलें।
सप्तामह में तीन घंटे दौड़ लगाने या 13 घंटे पैदल चलने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर की आशंका 23 फीसदी कम होती है। किसी भी प्रकार का गुटका, तंबाकू या धूम्रपान, शराब कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। इसलिए नशीली चीजों से परहेज करें। अगर मोटापा बढ़ रहा है तो उसे कम करें। खानपान का ध्या न रखें, बच्चोंप को स्त नपान कराएं, 30 साल की उम्र के बाद कोई संशय होने पर स्त नों की जांच कराएं।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी फिटनेस व्यवस्था या चिकित्सकीय सलाह शुरू करने से पहले कृपया डॉक्टर से सलाह लें।
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