इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने दुनियाभर के देशों को बुरी तरह प्रभावित किया है। करोड़ों लोग इसकी चपेट में आए, लाखों लोगों की मौतें हुई हैं। हालांकि इसकी दवा और वैक्सीन आने से काफी राहत मिली है। इस समय वायरस का नाम सुनते ही हर किसी के जेहन में एक ही नाम आता है कोरोना वायरस। लेकिन इंन्फ्लुएंजा-ए (आइएवी) और रेस्पिरेटरी सिंसिशियल वायरस (आरएसी) जैसे श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाले अन्य कई वायरस भी हैं जो हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत का कारण बनते हैं। इन्फ्लुएंजा और सार्स कोव-2 को छोड़कर तो इनमें से किसी भी वायरस से बचाव के लिए कोई टीका या किसी तरह का प्रभावी उपचार तक नहीं है।
क्या कहती है रिसर्च स्टडी?
ग्लासगो यूनिवर्सिटी में हाल में हुई एक रिसर्च स्टडी बताती है कि जब इंसान के शरीर पर एक से अधिक वायरस एक ही बार में हमला करते हैं तो क्या होता है और हमें इनसे बचाव के लिए क्या करना चाहिए। रिसर्चर्स के मुताबिक, इस स्थिति को ‘को-इन्फेक्शन’ कहा जाता है। रिसर्च से पता चलता है कि संक्रमण के 30 फीसदी मामलों में कारण एक से अधिक वायरस हो सकते हैं। इसका मतलब यह है कि किसी बिंदु पर दो अलग-अलग वायरस आपकी नाक या फेफड़ों की कोशिकाओं को संक्रमित कर रहे हैं। एक ही कोशिका के भीतर इन अलग-अलग वायरस का मेल होने पर वायरस का नया ही स्वरूप सामने आता है और इसे ‘एंटीजेनिक शिफ्ट’ कहते हैं।
क्या हुआ, जब 2 वायरस का संक्रमण हुआ
रिसर्च स्टडी में आईएवी और आरएसवी से कोशिका को संक्रमित किया गया। शोधकर्ताओं ने इसमें पाया कि मानव फेफड़ों की कुछ कोशिकाएं दोनों वायरस से संक्रमित हुईं और कोशिका से जो वायरस उभर कर सामने आया उसमें दोनों वायरस की विशेषताएं थीं। नए स्वरूपों में से कुछ की सतह पर दोनों वायरस के प्रोटीन जबकि कुछ में तो दोनों के जीन तक एक थे।
वैक्सीन के लिए स्टडी जरूरी, पहले चाहिए सुरक्षा
रोगाणुओं का अध्ययन टीके और उपचार के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन सर्वप्रथम आवश्यक सुरक्षा है। यहां, यह बताना भी जरूरी है कि अध्ययनकर्ताओं ने इस अध्ययन में कोई जेनेटिक इंजीनियरिंग नहीं की बल्कि मॉडल के जरिए वह समझा जो वास्तविक दुनिया में घट रहा है और यह भी उन्होंने प्रयोगशाला में सुरक्षित माहौल में किया। शोधकर्ताओं का स्पष्ट रूप से कहना है कि किसी भी बीमारी के बढ़ने के कई चरण होते हैं। बीमारियां कैसे फैलीं, उनका कारण जीवाणु, विषाणु या अन्य रोगाणु हैं। इसका अध्ययन जरूरी है। क्योंकि इनके बारे में अध्ययन करने के बाद ही उपचार के लिए कोई दवा या बचाव के लिए वैक्सीन बनाई जा सकती है। लेकिन सबसे पहले सुरक्षा जरूरी है।