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Painless Delivery मां बनना जीवन का बेहद सुखद एहसास है शायद इसलिए लोग मां बनने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन जब प्रसव का समय आता है तो औरतों होने वाला दर्द असहनीय होता है। लोगों का मानना ये भी है की बच्चे के साथ मां का भी जन्म होता है। अगर आप भी इस असहनीय पीड़ा का विकल्प सोच रही हैं तो इपीडयूरल के बारे में सोच सकती हैं।
प्रसव पीड़ा के दौरान इस्तेमाल होने वाले एनेस्थिशिया को इपीडयूरल कहते हैं जोकि स्पायनल कोलन में दिया जाता है। इपीडयूरल कैन्योला रीड की हड्डी में दिया जाता है। इससे शरीर के निचले हिस्से में दर्द का पता नहीं चलता। इपीडयूरल लोकल एनेस्थिशिया और कुछ दवाओं का कॉम्बीनेशन है।
यह निर्भर करता है महिला के सर्विक्स के खुलने के ऊपर। प्रसव पीडा के दौरान जब गर्भाशय चार से पांच सेटीमीटर तक खुल जाता है तब इपीडयूरल दिया जाता है। इसके अलावा मां की अवस्था पर भी निर्भर करता है, उसे डोज कब दिया जाए। प्रसव के दौरान अक्सर सिजेरियन करने की नौबत आ जाती है।
ऐसे में शरीर पर चीरा लगता उसमें इंफेक्शन के चांसेस रहते हैं। इस प्रकार के प्रसव में ब्लड लॉस और सिर दर्द की समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है। अगर ब्लड इंफेक्शन और स्कीन इंफेक्शन हो तो इपीडयूरल का इस्तेमाल नहीं होता है। लो प्लेटलेट काउंट और ब्लड थिनर की समस्या पर भी इसका इस्तेमाल मुश्किल है।
इपीड्यूरल के बाद लो बीपी, सिर में दर्द आम है। कई बार कैथटर हटाने के बाद एक दो घंटे में एनेस्थिशिया का असर खत्म हो जाता है। इसके बाद थोड़ी सी जलन बर्थ कैनल पर महसूस हो सकती है।
कई बार प्रसव के दौरान महिलाओं का बीपी हाई हो जाता है। ऐसे में सीजेरियन करने में दिक्कत आ सकती है मगर इपीडयूरल बीपी के अलावा डायबेटिक और उम्रदराज मांओं को भी दिया जाता है।
(Painless Delivery)
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