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India News ( इंडिया न्यूज), Sarcoma Cancer: सारकोमा कैंसर एक दुर्लभ और जानलेवा बीमारी है। यह कैंसर सॉफ्ट टिशूज या हड्डियों से शुरू होता है। यह शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। सारकोमा कैंसर शरीर के सॉफ्ट टिशूज में विकसित होता है, जिसमें तंत्रिकाएं, रक्त वाहिकाएं, फाइबर या वसायुक्त ऊतक, उपास्थि और टेंडन शामिल हैं। चूंकि इस खतरनाक कैंसर की पहचान बहुत आखिरी समय में होती है, जिसके कारण इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। आइए जानते हैं इस कैंसर के बारे में…
बता दें कि, डॉक्टरों के अनुसार, सारकोमा कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकता है। यह आमतौर पर सिर, गर्दन, छाती, हाथ और पैरों में पाया जाता है। यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर में फैलता है और किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। कई गंभीर मामलों में, यह शरीर के अंगों को बहुत नुकसान पहुंचाता है। इसे सर्जरी करके काट दिया जाता है। सारकोमा कैंसर के लक्षण इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। गांठ बनना और दर्द जैसे लक्षण सबसे आम हो सकते हैं। अन्य लक्षणों में थकान, बुखार, बिना किसी कारण के वजन कम होना, त्वचा में परिवर्तन, सूजन आदि शामिल हैं। कुछ रोगियों में त्वचा के नीचे गांठें विकसित हो सकती हैं जो दर्द रहित होती हैं।
सारकोमा कैंसर के लगभग 80% मामले सॉफ्ट टिशूज में और 20% हड्डियों में होते हैं। सॉफ्ट टिशूज में मांसपेशियां, वसा और रक्त वाहिकाएं होती हैं। सॉफ्ट टिशूज सारकोमा के विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें लिपोसारकोमा (पेट), लेयोमायोसारकोमा (गर्भाशय या पाचन तंत्र), रबडोमायोसारकोमा और फाइब्रोसारकोमा शामिल हैं।
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हड्डियों में अभी तक सारकोमा का कारण निश्चित नहीं है। हड्डियों में होने वाले सारकोमा को ओस्टियोसारकोमा, चोंड्रोसारकोमा और इविंग सारकोमा कहा जाता है। ओस्टियोसारकोमा ज्यादातर किशोरों को प्रभावित करता है। यह हाथ और पैरों की हड्डियों को प्रभावित करता है। वहीं कोंड्रोसारकोमा कार्टिलेज में मौजूद एक खतरनाक ट्यूमर है। कार्टिलेज हड्डियों और जोड़ों के बीच मूवमेंट का काम करता है। इसके अलावा इविंग सारकोमा कैंसर बच्चों के साथ-साथ युवाओं में भी पाया जाता है। यह पसलियों, कंधे की हड्डियों, कूल्हों और पैरों जैसी लंबी हड्डियों में उत्पन्न होता है।
बता दें कि सारकोमा कैंसर का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। अमेरिका के सारकोमा फाउंडेशन के अनुसार, जब कैंसर कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं, तो ट्यूमर बनता है। जो लोग किसी भी तरह के कैंसर के लिए रेडिएशन एक्सपोजर से गुजरे हैं। उन्हें सारकोमा होने का खतरा हो सकता है। इसके अलावा जेनेटिक्स भी इसका कारण हो सकता है।
बता दें कि, सारकोमा कैंसर का इलाज इसके प्रकार, आकार और स्टेज के हिसाब से किया जाता है। इसका इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, लक्षित थेरेपी और विकिरण चिकित्सा से किया जाता है। इस कैंसर का निदान करने के लिए सीटी एमआरआई, स्कैन, जेनेटिक चेकअप और एक्स-रे किया जाता है।
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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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