Should You Exercise During Your Period Or Not: महिलाओं में हर माह होने वाले महावारी यानी पीरियड्स के दिन बड़े दर्द भरे होते हैं। ऐसे में हर महिला को ये लगता है कि पीरियड के दौरान एक्सरसाइज करनी चाहिए या नहीं इसे लेकर मन में एक संशय बना रहता है। तो आइए आज के इस लेख के जरिए जानते हैं कि पीरियड में एक्सरसाइज करना चाहिए या नहीं, व इससे जुड़े कुछ टिप्स।
आपको बता दें कि पीरियड में एक्सरसाइज करनी चाहिए। क्योंकि कहा जाता है कि कुछ एक्सरसाइज के जरिए पीरियड्स में होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, पीरियड के दौरान एक्सरसाइज करने से अन्य दिनों के मुकाबले शरीर अधिक सक्रिय हो सकता है। साथ ही पीरियड में होने वाले ऐंठन को कम करने के लिए हल्के एक्सरसाइज करना फायदेमंद होता है।
हालांकि, पीरियड के दौरान हर महिला की स्थिति एक समान नहीं होती। ऐसे में अगर किसी को अधिक ब्लड फ्लो की समस्या हो तो शारीरिक क्षमता अनुसार पीरियड में एक्सरसाइज करें या फिर एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लेनी चाहिए।
मासिक धर्म चक्र के दौरान हार्मोन में बदलाव की वजह से कुछ महिलाओं को कमजोरी महसूस होने लगती है। इस तरह की कमजोरी को दूर करने के लिए एक्सरसाइज करना फायदेमंद होता। एक्सरसाइज करने से शरीर ऊजार्वान बना रहता है। साथ ही इससे मांसपेशियों की ताकत भी बनी रहती है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अन्य दिनों की तरह पीरियड में एक्सरसाइज करने से शरीर में ताकत बनी रहती है।
पीएमएस यानी प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम पीरियड आने से एक या दो सप्ताह पहले शुरू होता है। इस दौरान महिलाओं को सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, चिड़चिड़ापन, मूड में बदलाव, अवसाद, स्तन में सूजन की समस्या होने लगती है। इन समस्याओं को कम करने के लिए पीरियड में एक्सरसाइज करना फायदेमंद है।
पीरियड से लगभग दो सप्ताह पहले यानी ओव्यूलेशन के समय एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है। वहीं ओव्यूलेशन के बाद एस्ट्रोजन तेजी से कम होता है व प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ना शुरू होता है, जिससे अधिक थकान व सुस्ती महसूस होने लगती है। ऐसे में सुबह के समय एक्सरसाइज करने से न केवल शरीर एक्टिव रह सकता है बल्कि मूड भी बेहतर होता है।
डाउनवर्ड डॉग पोज के जरिए भी पीरियड्स में थोड़ी बहुत राहत पाई जा सकती है। इस एक्सरसाइज को करने से कंधों, बाहों, पिंडलियों व छाती में खिंचाव उत्पन्न होता है, जिससे कंधे, पेट व क्वाड्रिसेप्स की मांसपेशियों के साथ टखने मजबूत हो सकते हैं।
प्लैंक पोज करना काफी आसान है। पीरियड्स के समय इसका अभ्यास काफी लाभदायक हो सकता है। प्लैंक पोज से हाथ, कलाई और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।
मासिक धर्म के दौरान कोबरा मुद्रा यानी भुजंगासन करने के भी लाभ देखे जा सकते हैं। इसके जरिये छाती और पेट की मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न होता है। साथ ही यह रीढ़ की हड्डी के लचीलापन को बनाए रखने में मददगार हो सकता है।
सभी एक्सरसाइज करने के बाद शवासन मुद्रा आराम पाने के लिए किया जा सकता है। इसे करने के लिए शव की मुद्रा में लेटकर, हाथों और पैरों को आराम से अलग करके छोड़ दिया जाता है व आंखे बंद करके पूरे शरीर को सचेत रूप से आराम करने दिया जाता है।
पीरियड में एक्सरसाइज करने की सोच रहे हैं तो कपालभाति प्राणायाम अच्छा विकल्प है। कपालभाति एक एक ब्रिदिंग एक्सरसाइज है, जिसमें तेजी से सांस छोड़ने की प्रक्रिया की जाती है। पीरियड में होने वाली समस्याओं से राहत पाने के लिए नियमित रूप से ये प्राणायाम करना लाभकारी होता है।
पीरियड्स के दौरान कैट काऊ पोज भी किया जा सकता है। इस एक्सरसाइज में पेट की मांसपेशियों, गर्दन और पीठ में खिंचाव आता है। साथ ही यह रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
मासिक धर्म के लिए चाइल्ड पोज भी अच्छा मन जाता है। इसके जरिए पीठ के निचले हिस्से व कूल्हों में खिंचाव महसूस हो सकता है। यह तनाव को दूर करने, पीठ से जुड़ी समस्या, थकान, गैस और सूजन आदि को कम करने में मददगार हो सकता है।
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