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India News (इंडिया न्यूज), Leaves for Piles: पहाड़ों में कई औषधीय पौधे मौजूद हैं। इनके इस्तेमाल से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इसी तरह आयुर्वेद के अनुसार पांच ऐसे पत्ते हैं। जिनके सेवन से बिना सर्जरी के बवासीर का इलाज संभव है। लोकल 18 से बात करते हुए आयुर्वेदिक डॉक्टर ऐजल पटेल कहते हैं कि मूली, हल्दी, एलोवेरा, तुलसी और नीम के पत्तों का सेवन कर बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज किया जा सकता है। हल्दी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करते हैं। मूली में फाइबर की प्रचुर मात्रा पाचन तंत्र को ठीक करती है। एलोवेरा जलन को कम करने में मददगार है। तुलसी कब्ज से राहत दिलाती है। नीम के पत्तों में मौजूद एनाल्जेसिक गुण किडनी को साफ करते हैं।
तुलसी के पत्तों में सूजनरोधी और जीवाणुरोधी गुण होते हैं। यह पाचन में सुधार और कब्ज को कम करने में मदद करता है। इसके सेवन से दर्द और सूजन कम होती है। तुलसी के पत्तों के रस और शहद के मिश्रण का नियमित सेवन बवासीर के इलाज में मददगार है।
एलोवेरा के पत्तों में सुखदायक और सूजनरोधी गुण होते हैं। यह जलन को कम करने में मददगार है। एलोवेरा के ताजे पत्तों से जेल निकाला जा सकता है और प्रभावित जगह पर लगाया जा सकता है। आंतरिक उपचार के लिए एलोवेरा के जूस का सेवन किया जा सकता है।
हल्दी में सूजन-रोधी गुण होते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह पाचन स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है। हल्दी के ताजे पत्तों को पीसकर बाहरी हिस्से पर पेस्ट के रूप में लगाया जा सकता है। आंतरिक लाभों के लिए, आप हल्दी को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं और हल्दी वाली चाय का सेवन कर सकते हैं।
फाइबर से भरपूर मूली के पत्ते आंतों की कार्यप्रणाली को बढ़ावा देते हैं। इसके सूजन-रोधी गुण बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। आंतरिक लाभों के लिए, आप सलाद में मूली के पत्तों को शामिल कर सकते हैं, या इसके रस का सेवन कर सकते हैं।
नीम के पत्तों में सूजन-रोधी और दर्द निवारक गुण होते हैं। इनमें सूजन और बेचैनी को कम करने की क्षमता होती है। इसे पानी में उबालकर इसके ठंडे घोल का सेवन करने से गुदा साफ हो जाता है। नीम के पत्तों के रस का सेवन करने से आंतरिक लाभ मिलते हैं। जिससे बवासीर की जड़ खत्म हो जाती है।
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