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India News (इंडिया न्यूज), Heart Attack Risks of Loud Music: क्या तेज आवाज में डीजे बजाने से किसी को हार्ट अटैक आ सकता है? ये सवाल इसलिए क्योंकि हाल ही में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में डीजे की तेज आवाज की वजह से एक 13 साल के बच्चे की मौत हो गई। दरअसल, वो दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए जा रहे जुलूस में डांस कर रहा था, लेकिन तेज आवाज की वजह से वो डीजे से गिर गया और उसकी मौत हो गई।
ये पहला ऐसा मामला नहीं है, इससे पहले भी देश के अलग-अलग हिस्सों में डीजे की तेज आवाज की वजह से हार्ट अटैक या मौत की खबरें आ चुकी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या तेज आवाज में गाना गाने या संगीत सुनने से हार्ट अटैक आ सकता है। क्या इससे बचने की जरूरत है? आखिर तेज आवाज सेहत के लिए कितना खतरनाक है?
एक रिपोर्ट के अनुसार, 12 से 35 वर्ष की आयु के लगभग 100 करोड़ लोगों को तेज आवाज में संगीत सुनने और लंबे समय तक तेज आवाज के संपर्क में रहने के कारण सुनने की क्षमता खोने का खतरा है। तेज आवाज से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, अगर डेसिबल का स्तर तय सीमा से अधिक बढ़ जाता है, तो ना केवल सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, बल्कि इससे कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। चिड़चिड़ापन और इसके अलावा दिल की बीमारियां भी हो सकती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हमारे कान सीधे दिल से जुड़े होते हैं। इसका मतलब है कि जो भी आवाज कानों में पड़ती है, वो नसों के जरिए दिल तक पहुंचती है। जब डीजे की आवाज लगातार कानों में पड़ती है, तो दिल की धड़कन बढ़ जाती है, जिससे तनाव, चिंता और डर बढ़ सकता है। इस स्थिति में कान की नसों में खून गाढ़ा होने लगता है और अगर ऐसा लंबे समय तक होता रहे, तो हार्ट अटैक आ सकता है। अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक, हार्ट अटैक का खतरा उन लोगों को सबसे ज्यादा होता है, जो बहुत शोर वाले इलाकों में रहते हैं। उदाहरण के लिए, एयरपोर्ट वाले इलाकों में हार्ट अटैक का खतरा 72% बढ़ जाता है। बच्चों, बुजुर्गों या किसी बीमारी से पीड़ित लोगों को तेज आवाज से सबसे ज्यादा खतरा होता है।
ध्वनि की तीव्रता डेसिबल (DB) में मापी जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, 70 डेसिबल या इससे कम की ध्वनि हमारे लिए सुरक्षित है। इससे अधिक शोर में रहना खतरनाक हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, आजकल इस्तेमाल होने वाले म्यूजिक डिवाइस, ईयरफोन, ईयरबड्स की ध्वनि 60% वॉल्यूम लेवल पर ही 75-80 डेसिबल तक होती है, जो फुल वॉल्यूम पर 110 डेसिबल तक पहुंच जाती है। अगर कोई व्यक्ति दिन में 8 घंटे से अधिक समय तक 85 डेसिबल से अधिक के शोर में रहता है, तो उसकी सुनने की क्षमता कम हो सकती है।
Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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