India News(इंडिया न्यूज), Zero Dose Children: जीरो डोज बच्चे वे होते हैं जिन्हें अभी तक कोई भी टीका नहीं लगा है। ये वो बच्चे हैं जिन तक टीकाकरण की सेवाएं नहीं पहुंच पाई हैं। इनमें कई टीके शामिल होते हैं, जैसे डीटीपी (डिप्थीरिया, टिटनेस, और पर्टुसिस) की पहली खुराक, हेपेटाइटिस बी, और अन्य। ये टीके जन्म के तुरंत बाद से लगाए जाते हैं और कुछ टीके गर्भवती महिलाओं को भी लगाए जाते हैं।
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जीरो डोज बच्चों की संख्या बहुत अधिक है और कोविड-19 महामारी के बाद यह संख्या और बढ़ गई है। रिपोर्ट के अनुसार, पहले जहाँ 1.39 करोड़ बच्चे जीरो डोज थे, अब यह संख्या बढ़कर 1.45 करोड़ हो गई है। ये संख्या 2019 की तुलना में 17 लाख अधिक है। 2023 में बिना टीकाकरण वाले और कम टीकाकरण वाले बच्चों की संख्या भी 2.1 करोड़ हो गई है, जो पहले की तुलना में 27 लाख ज्यादा है।
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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत उन 10 देशों में से एक है जहां दुनिया के 69 फीसदी जीरो डोज बच्चे रहते हैं। टीकाकरण बच्चों को इम्यूनिटी (प्रतिरक्षा) देता है, जिससे उन्हें खसरा, पोलियो, काली खांसी, और अन्य जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है। इन टीकों से बच्चों का इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाने की क्षमता बढ़ाता है, जो बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। Zero Do se Children
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यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, जीरो डोज बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी चिंताजनक है और इसे कम करने के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। भारत में टीकाकरण अभियान को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि हर बच्चे तक ये सेवाएं पहुंच सकें और उन्हें बीमारियों से बचाया जा सके। टीकाकरण से बच्चों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है और उनकी जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसलिए, समाज के हर हिस्से में टीकाकरण की जागरूकता फैलाना और इसे प्राथमिकता देना बहुत जरूरी है। हर बच्चे का टीकाकरण होना चाहिए ताकि वे सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जी सकें। Zero Dose Children
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