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India News (इंडिया न्यूज),Kidney Dialysis: आपने अक्सर किडनी की बीमारियों से पीड़ित मरीजों के बारे में सुना होगा कि अमुक मरीज डायलिसिस करवा रहा है। मरीज को हफ़्ते में दो या तीन बार किडनी डायलिसिस के लिए अस्पताल ले जाया जाता है। डायलिसिस में एक दिन की भी देरी नहीं की जा सकती, क्योंकि इससे मरीज को परेशानी हो सकती है। किडनी फेल होने के बाद डायलिसिस मेडिकल साइंस में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, लेकिन क्या डायलिसिस के बाद किडनी ठीक हो सकती है? अगर डायलिसिस बंद कर दिया जाए तो क्या होगा? या डायलिसिस करवाने वाला मरीज कितने दिन तक जीवित रह सकता है?
अब सवाल यह है कि क्या डायलिसिस के बाद किडनी ठीक हो जाती है, तो ध्यान रखें कि डायलिसिस का किडनी पर कोई असर नहीं होता, किडनी इलाज से ठीक हो जाती है। हालांकि, अगर एक्यूट किडनी फेलियर है, यानी किसी कारण से किडनी ने अचानक काम करना बंद कर दिया है और डायलिसिस देना पड़ रहा है, तो इलाज से ठीक हो सकती है, लेकिन अगर क्रॉनिक किडनी फेलियर है, किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हुआ है और किडनी डायलिसिस हो रही है, तो मेडिकल साइंस में अब तक ऐसा नहीं हुआ है कि क्रॉनिक बीमारी में डायलिसिस के बाद किडनी ठीक हो जाए और डायलिसिस से छुटकारा मिल जाए।
डायलिसिस के बाद मरीज कितने दिन तक जीवित रह सकता है, यह कई बातों पर निर्भर करता है। दिल्ली एम्स में ही ऐसे कई मरीज हैं जो पिछले 15-15 सालों से किडनी डायलिसिस करवा रहे हैं और अभी भी जीवित हैं। जबकि विदेशों में डायलिसिस पर जीवित रहने की अवधि 20-25 साल है। हालांकि, यह कई बातों पर निर्भर करता है।
क्रॉनिक किडनी डिजीज है और किडनी डायलिसिस पर आ गई है तो डायलिसिस रोकना संभव नहीं है। हालांकि, एक्यूट किडनी फेलियर में ऐसा नहीं होता। ऐसे में डायलिसिस के बाद मरीज कितने दिन जिंदा रहेगा, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि मरीज को कोई हार्ट डिजीज है या कोई और बीमारी, इसका अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग असर हो सकता है।
मेडिकल कंडीशन को छोड़ दें तो दो अहम बातों में से पहली है आर्थिक स्थिति। अगर मरीज बिना किसी आर्थिक परेशानी के नियमित डायलिसिस और इलाज ले रहा है तो उसे कोई खास परेशानी नहीं होगी। वह लंबे समय तक डायलिसिस पर जिंदा रह सकेगा। बस जरूरी है कि डायलिसिस नियमित हो।
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मरीज की इच्छाशक्ति मजबूत है। उसे यह स्वीकार करना होगा कि उसे हफ्ते में 3 दिन डायलिसिस के लिए अस्पताल जाना है, पांच घंटे डायलिसिस की लंबी प्रक्रिया से गुजरना है और यह प्रक्रिया सालों तक चलती रहेगी। यदि वह इसे स्वीकार नहीं कर पाता, परेशान हो जाता है और इसे बोझ समझता है तो इससे उपचार में समस्या आती है।
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Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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