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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Adequate Sleep Is Essential For Health: अच्छे स्वास्थ्य के लिए जैसे अच्छा खानपान जरूरी है वैसे ही अच्छी नींद भी। लंबे समय तक काम करने, पारिवारिक, सामाजिक या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण लोग सोने के सामान्य आवश्यक घंटों से कम सो रहे हैं। इसका उदाहरण है कि पर्याप्त नींद ना लेने वाले लोग अक्सर गाड़ी चलाते समय या कार्य करने के दौरान सो जाते हैं क्योंकि ऐसे लोगों को दिन के समय भी सुस्ती आती रहती है। तो चलिए जानते हैं इंसान को कितने घंटे तक सोना चाहिए।
समय पर सोने और उठने का एक उचित स्लीपिंग पैटर्न बनाएं। सोते समय कॉफी, चाय, कोल्ड ड्रिंक जैसे पेय पदार्थों का सेवन न करें। शराब एवं धूम्रपान से बचें। कमरे के माहौल को आरामदायक और शांत बनाएं। सोने के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल को सीमित करें क्योंकि रोशनी, टेलीविजन या संगीत के साथ सोने से श्रवण और दृश्य संकेतों के माध्यम से नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। प्रकाश के संपर्क में आने पर नींद के लिए आवश्यक मेलाटोनिन हार्मोन का स्राव कम हो जाता है। सोने से पहले चहलकदमी करें। सोने से कम से कम एक घंटे पहले अपने मोबाइल फोन और लैपटॉप को अलग रख दें। संतुलित पौष्टिक आहार लें।
आनंद बालासन (हैप्पी बेबी): इस आसन को करने से कूल्हे और कमर के निचले हिस्से से तनाव दूर करने में मदद मिलती है। इसे करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों घुटनों को मोड़ लें। उसके बाद हाथों की मदद से पंजे को पकड़ लें। इसके बाद घुटनों को अपनी छाती की साइड में लाएं। इससे कंधों और सिर को आराम मिलता है। इस स्थिति में 30 सेकंड तक रहें।
वयस्क लोगों में सामान्य सोने का समय 7 से 9 घंटे तक होता है। कम नींद से दिमाग को आराम नहीं मिल पाता है। इससे तनाव बढ़ता है जिसका सीधा असर कार्य क्षमता पर पड़ता है। नतीजतन, गुस्सा, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। याददाश्त कमजोर होने लगती है। रोजमर्रा की सामान्य बातें भी भूलने लगता है। इसकी वजह से व निर्णय लेने की क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है।
मेटाबॉलिजम रेट (भोजन से मिलने वाली ऊर्जा इस्तेमाल की दर) पर प्रभाव पड़ता है। इससे शरीर में चर्बी बढ़ने लगती है जिसका दिल के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी आने लगती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने पर व्यक्ति रोगों की चपेट में जल्दी आता है।
महज एक दिन की कम नींद भी इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ाती है, यानी खून में शक्कर की मात्रा बढ़ जाती है। लंबे समय तक नींद की कमी से डायबिटीज का खतरा बढ़ता जाता है। पेट और पाचन पर भी नकारात्मक असर डालती है और इससे तनाव बढ़ता है। हॉर्मोन असंतुलित हो जाते हैं जिसकी वजह से आजकल महिलाओं में थायरॉयड, पीसीओडी जैसी कई हार्मोनल परेशानियां का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा महिलाओं को चिड़चिड़ेपन, मूड स्विंग, पीरियड की अनियमितता और मोटापा जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।
Adequate Sleep Is Essential For Health
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