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Benefits of Grivasana and Paschimottasana योगाभ्यास भारतीय ऋषि-मुनियों का दिया हुआ अनमोल उपहार है। योगाभ्यास से मन, मस्तिष्क और शरीर स्वस्थ्य रहता है। शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए योगाभ्यास से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
किसी भी बड़े योगाभ्यास को करने से पहले छोटे-छोटे अभ्यास को करना जरूरी होता है। इससे शरीर तैयार होता है। इन अभ्यासों को सूक्ष्म अभ्यास कहते हैं। रोजाना योग करने से सेहत को फायदा मिलता है। आज ग्रीवासन और पश्चिमोत्तासन के बारे में बताएंगे।
सबसे पहले शरीर संचालन के लिए कुछ जरूरी योगाभ्यास करेंगे। इस अभ्यास को खड़े होकर करना है। खड़े होने के बाद दाएं हाथ को आगे की ओर उठा ले। उसे नियत रहने दें। उसके बाद बाएं पैर को उपर उठाए। कोशिश करें कि बायां पैर दाएं हाथ में सट जाए। इस अभ्यास में शरीर को सीधा रखें। शरीर को झुकाएं नहीं। बिना शरीर को झुकाएं पैर को उपर की तरफ उठाएं। इस अभ्यास को 10 बार करें।
इसके बाद दूसरे पैर से भी ऐसा ही करें। अब थोड़ी देर रिलेक्स हो जाएं। इसके बाद इसी क्रिया को पैर पीछे की ओर ले जाकर करें। पैर जितना पीछे जा रहा है, उतना ही पीछे जाने दें। इस अभ्यास के बाद रिलेक्स हो जाए। दोनों हाथों को पीछे की ओर ले जाते हुए शोल्डर को पीछे की ओर ले जाएं।
इससे शोल्डर को आराम मिलेगा। अब इसी मुद्रा में हाथ को पीछे ले जाते हुए दोनों हाथ को जोड़कर मुट्ठी बना ले। फिर सांस को लेते हुए क्षमतानुसार पीछे की ओर मुड़ें और फिर आगे आ जाए। यह अभ्यास 10 बार करें। फिर रिलेक्स हो जाएं और फिर 10 बार यही अभ्यास करें। यदि कमर में दर्द है, तो इस अभ्यास को ना करें।
इस अभ्यास के बाद दोनों पैरों के बीच में थोड़ा गैप बना लें। फिर दोनों हाथों को आगे की ओर जोड़ ले। इसके बाद कमर को पीछे की ओर ले जाएं और सांस लेते हुए कमर को पीछे की ओर क्षमतानुसार नीचे ले जाएं। फिर कमर और गर्दन को आगे की ओर क्षमतानुसार झुकाएं। इस तरह से यह अभ्यास 10-10 बार करें।
इससे शोल्डर में मजबूती आएगी और शरीर की चर्बी भी बहुत कम होगी। इस अभ्यास के बाद रिलेक्स हो जाएं, दोनों पैर के बीच में दूरी को बढ़ा दें। दाएं हाथ उपर की ओर उठा लें और फिर दूसरी पैर की तरफ क्षमतानुसार झुक जाएं। इसी तरह यही क्रिया दूसरे पैर की ओर झुक कर करें। इसमें दोनों हाथों को पहले एक पैर की तरफ साइड बाय साइड झुकाएं और फिर यही क्रिया दूसरी तरफ भी करें।
यह अभ्यास 10-10 बार करें। इसमें उपर जाते हुए सांस को लें फिर नीचे आते हुए सांस को छोड़ दें। इसके बाद दोनों हाथ को कंधे तक उठा लें। फिर वृताकार पथ में हाथ को ट्विस्ट करें। इससे कमर और पेट के पास की चर्बी भी कम होगी। यह अभ्यास 10-10 का तीन बार करें।
अब थोड़ी देर रिलेक्स हो जाए। ग्रीवासन करने के लिए दोनों हाथों को कमर पर रख लें और धीरे-धीरे गर्दन को पीछे की ओर क्षमतानुसार झुकाएं। इस स्थिति में कुछ सेकेंड के लिए सिर को स्थिर छोड़ दें। फिर गर्दन को आगे की ओर झुका लें और रिलेक्स हो जाएं।
इस अभ्यास को करने के बाद गर्दन को घुमा कर दाईं ओर लाएं फिर वहां थोड़ी देर स्थिर रखें फिर घुमा कर बाईं ओर लाएं और थोड़ी देर स्थिर रखें। इस अभ्यास के बाद सिर दाईं तरफ झुकाएं और फिर बाईं तरफ झुकाएं। इस अभ्यास को करने से गर्दन में मजबूती रहेगी और सर्वाइकल की दिक्कत भी नहीं होगी।
इस अभ्यास को करने के बाद अब बैठकर कुछ अभ्यास करना चाहिए। इसमें पहला अभ्यास है पश्चिमोत्तान। अगर साइटिका और पेट से जुड़ी कोई समस्या है तो यह अभ्यास न करें। डायबेटिक पेशेंट के लिए यह अभ्यास बहुत अच्छा है। इस अभ्यास को करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को बाहर की ओर फैलाते हुए जमीन पर बैठ जाएं।
पैरों की उंगलियों को आगे और एक साथ रहनी चाहिए। श्वास लें, अपनी बाहों को ऊपर उठाएं और जहां तक संभव हो शरीर को आगे की ओर झुकाने के लिए झुकें। आगे की ओर झुकते समय सास छोड़े। इस अभ्यास में पेट को थाई में सटाते हुए सिर को घुटनों से आगे ले जाएं। आपके दोनों हाथ पैर से आगे होने चाहिए। यह अभ्यास 10-10 बार करें। इसे करने के बाद पैर को घुटनों तक मोड़ लें और उसके उपर अपनी थाई को बिठा ले। थोड़ा देर रिलेक्स रहे और फिर घुटनों पर खड़ें हो जाएं।
हाथ को बैक पर रख लें और अब सांस लेते हुए सिर को पीछे की ओर क्षमतानुसार झुकाएं फिर धीरे-धीरे सिर को आगे की ओर ले आएं। यह अभ्यास 10-10 बार करें। इस अभ्यास को करने से कंधे और रीढ़ में अच्छा खिंचाव मिलता है। इसके अलावा मन शांत रहता है और तनाव से छुटकारा मिलता है। इस अभ्यास को करने से चिंता, सिरदर्द और थकान कम करने मे सहायता मिलती है।
(Benefits of Grivasana and Paschimottasana)
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