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Cognitive Behavioral Therapy in Misophonia : ऐसे कई लोग होते हैं जिन्हें खाना चबाने, पेन टैप करने या अन्य छोटे-छोटे शोर के कारण परेशानी महसूस करते हैं तो आप मिसोफोनिया नामक बीमारी से ग्रस्त है। क्या आपको किसी के सांस लेने, चबाने या डकार लेने की आवाज से चिढ़ होती है? इस बीमारी में किसी विशेष प्रकार की आवाज के कारण व्यक्ति को गुस्सा और घबराहट हो सकती है।
मेडिकल टर्म में मिसोफोनिया एक तंत्रिका तंत्र का मनोविकार है। हालांकि, इस तरह की आवाजें उनके लिए असहनीय हो सकते हैं। इसे ब्रेन ऐब्नॉर्मेलिटी कहा जाता है जो एक तरह का मेंटल डिसआर्डर है। ब्रेन ऐब्नॉर्मेलिटी के कारण ऐसे लोगों का ब्रेन इस तरह की आवाज को तुरंत कैच कर लेता है और फिर उनका सारा फोकस आवाज की तरफ रहता है।
इस बीमारी का इलाज बिहेवियरल थेरेपी से किया जाता है। इसमें कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी और टिन्नीटस मिसोफोनिया से रोगी का इलाज किया जाता है। मिसोफोनिया की बीमारी में मनोचिकित्सक जीवनशैली और व्यवहार में बदलाव का सुझाव देते हैं। सोने के समय में सुधार, तनाव के स्तर में कमी, रोजाना एक्सरसाइज और पोषक आहार से मिसोफोनिया के इलाज में मदद मिल सकती है।
मीजोफोनिया एक साउंड डिसआॅर्डर है। इस बीमारी में मरीज किसी खास तरह की आवाज से परेशान हो उठता है। ऐसे में व्यक्ति को किसी के सांस लेने की आवाज, खाना खाने की आवाज, घड़ी की सुई की आवाज, किसी के कुछ निगलने की आवाज या कुछ चाटने की आवाज से तकलीफ होने लगती है। इन आवाजों के कारण मिसोफोनिया से ग्रस्त व्यक्ति को तनाव, गुस्सा या चिड़चिड़ाहट होने लगती है। इन आवाजों के कारण व्यक्ति का स्वभाव आक्रामक हो जाता है।
जिस आवाज से व्यक्ति को समस्या होती है, उसके संपर्क में आते ही व्यक्ति का स्वभाव काफी अलग तरह का हो जाता है। उसकी सांसें तेज हो जाती हैं, चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है और वह अपने हाथ-पैर सिकोड़ने लगता है। कई बार व्यक्ति के शरीर में कंपन शुरू हो जाता है और वह इन आवाजों से दूर भागने की कोशिश करने लगता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति उस आवाज से अकेले में चला जाता है और घंटों एकांत में बैठा रहता है। कई बार व्यक्ति उन आवाजों से परेशान होकर आक्रामक हो जाता है और आवाज करने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने लगता है।
Cognitive Behavioral Therapy in Misophonia
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