Health Tips For Womens नई माताओं को अक्सर स्तनपान कराते वक़्त कई बार स्तन में दर्द होता है। इसके कई कारण होते हैं लेट डाउन रिफ्लेक्शन से लेकर बहुत ज्यादा सप्लाई से भी दर्द हो सकता है। जिससे निपटना ज़रूरी है।
इसके साथ ही जब आप बच्चे के बारे में सोचती हैं तो ऑक्सीटॉसिन हार्मोन निकलता है। कई बार इसकी वजह से बच्चे की आवाज सुनकर या बच्चे को तरफ देखकर आपके स्तनों से रिसाव भी होता है। कई बार जब स्तन में दूध आता है तो झनझनाहट, चुभन और टीस जैसा भी महसूस होता है। इसके अलावा भी कई कारण हैं।
कुछ महिलाओं को जरूरत से अधिक ब्रेस्ट मिल्क आता है। इसकी वजह से भी उनको सीने में दर्द होता है। जो 3 महीने के बाद में कम हो जाता है। अगर बच्चा ठीक से स्तनपान करता है तो यह दर्द कम होता है। लेकिन कई बार अगर आप उसे सही ढंग से फीड नहीं करा पाती या बच्चा लैच नहीं कर पाता तो यह समस्या बढ़ जाती है।
मैस्टाइटिस स्थिति में दूध सही तरीके से बाहर नहीं निकल पाता है। इससे स्तनों में सूजन आ जाती है और वह मिल्क डक्ट को कई बार ब्लॉक कर देता है। जिससे बहुत ज्यादा दर्द की वजह से बुखार भी आ सकता है।
ऐसा होने पर जिस स्तन में सूजन ज्यादा है या दर्द है। उस स्तन से बच्चे को फीड कराए। अगर फिर भी दर्द कम नहीं हो रहा है तो उस पर बर्फ से सिकाई करें या गर्म पानी से सिकाई करें। इसके अलावा ब्रेस्ट पंप की मदद से जो भी दूध को बाहर निकाले।
एक तरह का संक्रमण है जो बच्चे के मुंह और आपके निप्पल में हो सकता है। यदि बच्चों ने किसी तरह की एंटीबायोटिक दवा ली है तो यह संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है।
प्रसव के बाद में अगर पीरियड आता है तो भी दर्द होने की आशंका रहती है। सही फिटिंग की ब्रा नही पहनने से भी दर्द होता है।
हर 2 घंटे पर बच्चे को फीड कराएं। समय-समय पर स्तनों को सहलाएं और मसाज दें। दर्द होने पर गर्म पानी से स्तनों की सिकाई करें। अगर बच्चा ठीक से लैच नहीं कर पाता तो ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करें।
(Health Tips For Womens)
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