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सालम पंजा से यौन दुर्बल्य दूर करें
सालम पंजा एक, उपचार अनेक।
सालम हिमालय और तिब्बत में 8 से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होता है।
भारत में इसकी आवक ज्यादातर ईरान और अफगानिस्तान से होती है।
सालमपंजा का उपयोग शारीरिक, बलवीर्य की वृद्धि के लिए, वाजीकारक नुस्खों में दीर्घकाल से होता आ रहा है।
समुद्र में प्रायः यात्रा करते रहने वाले पश्चिमी देशों के लोग प्रतिदिन 2 चम्मच चूर्ण एक गिलास पानी में उबालकर शकर मिलाकर पीते हैं। इससे शरीर में स्फूर्ति और शक्ति बनी रहती है तथा क्षुधा की पूर्ति होती है।
यौन दौर्बल्य : सालमपंजा 100 ग्राम,
बादाम की मिंगी 200 ग्राम,
दोनों को खूब बारीक पीसकर मिला लें।
इसका 10 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन कुनकुने मीठे दूध के साथ प्रातः खाली पेट और रात को सोने से पहले सेवन करने से शरीर की कमजोरी और दुबलापन दूर होता है, यौनशक्ति में खूब वृद्धि होती है और धातु पुष्ट एवं गाढ़ी होती है।
यह प्रयोग महिलाओं के लिए भी पुरुषों के समान ही लाभदायक, पौष्टिक और शक्तिप्रद है। अतः महिलाओं के लिए भी सेवन योग्य है।
सालम पंजा, सफेद मूसली एवं काली मूसली तीनों 100-100 ग्राम लेकर कूट-पीसकर खूब बारीक चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें। प्रतिदिन आधा आधा चम्मच सुबह और रात को सोने से पहले कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से शुक्रमेह, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, कामोत्तजना की कमी आदि दूर होकर यौनशक्ति की वृद्धि होती है।
सालमपंजा का खूब महीन चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह, दोपहर और शाम को छाछ के साथ सेवन करने से पुराना अतिसार रोग ठीक होता है।
एक माह तक भोजन में सिर्फ दही चावल का ही सेवन करना चाहिए। इस प्रयोग को लाभ होने तक जारी रखने से आमवात, पुरानी पेचिश और संग्रहणी रोग में भी लाभ होता है।
सालमपंजा, शतावरी, सफेद मूसली और असगन्ध सबका 50-50 ग्राम चूर्ण लेकर मिला लें।
इस चूर्ण को एक एक चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से पुराना श्वेतप्रदर और इसके कारण होने वाला कमर दर्द दूर होकर शरीर पुष्ट और निरोगी होता है।
सालमपंजा और पीपल (पिप्पली) दोनों का महीन चूर्ण मिलाकर आधा आधा चम्मच चूर्ण सुबह शाम बकरी के कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से कफ व श्वास का प्रकोप शांत होता है।
साँस फूलना, शरीर की कमजोरी, हाथ-पैर का दर्द, गैस और वात प्रकोप आदि ठीक होते हैं।
विन्दारीकन्द, सालमपंजा, असगन्ध, सफेद मूसली, बड़ा गोखरू, अकरकरा सब 50-50 ग्राम खूब महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से यौन शक्ति और स्तंभनशक्ति बढ़ती है।
यह योग बना बनाया इसी नाम से बाजार में मिलता है।
सालमपंजा, बहमन सफेद, बहमन लाल, सफेद मूसली, काली मूसली, बड़ा गोखरू सब 50-50 ग्राम।
छोटी इलायची के दाने, गिलोय सत्व, दालचीनी और गावजवां के फूल-सब 25-25 ग्राम।
मिश्री 125 ग्राम।
सबको अलग अलग खूब कूट पीसकर महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ दो माह तक सेवन करने से यौन दौर्बल्य और यौनांग की शिथिलता एवं नपुंसकता दूर होती है।
शरीर पुष्ट और बलवान बनता है।
सभी की दवा समस्या और वात पित्त और कफ के हिसाब से अलग अलग होती हैं। तो जरूरी है कि किसी अच्छे वैद्य की देख रेख में ही अपना इलाज शुरू करवायें।
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दोस्तो हम सेक्स समस्या का समाधान प्राकृतिक तरीके से करते हैं, जैसे शीघ्रपतन, हस्तमैथुन से आई कमजोरी, तनाव कम आना, बात करते समय चिपचिपा पदार्थ बाहर आना, इंद्री का कठोर करना , संभोग शक्ति बढ़ाना, सहवास के बाद कमजोरी आना और दूसरी बार सहवास करने को मन ना करना आदि।
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केवल इच्छुक ही समपर्क करें।
प्रकृति को अपनाए, निरोगी रहें।
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