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नेचुरोपैथ कौशल
Symptoms Of Kidney Failure हमारी दोनों किडनियां एक मिनट में 125 मिलिलीटर रक्त का शोधन करती हैं। ये शरीर से दूषित पदार्थो को भी बाहर निकालती हैं।
इस अंग की क्रिया बाधित होने पर विषैले पदार्थ बाहर नहीं आ पाते और स्थिति जानलेवा होने लगती है जिसे गुर्दो का फेल होना (किडनी फेल्योर) कहते हैं।
(1). एक्यूट किडनी फेल्योर व क्रॉनिक किडनी फेल्योर।
(2). क्रॉनिक किडनी फेल्योर
■ शुरूआत में इस रोग के लक्षण स्पष्ट नहीं होते लेकिन धीरे-धीरे थकान, सुस्ती व सिरदर्द आदि होने लगते हैं।
● कई मरीजों में पैर व मांसपेशियों में खिंचाव, हाथ-पैरों में सुन्नता और दर्द होता है।
● उल्टी, जी मिचलाना व मुंह का स्वाद खराब होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
■ कारण ■
● ग्लोमेरूनेफ्रायटिस
इस रोग में किडनी की छनन-यूनिट (नेफ्रॉन्स) में सूजन आ जाती है और ये नष्ट हो जाती है। डायबिटीज व उच्च रक्तचाप से भी किडनी प्रभावित होती है।
● पॉलीसिस्टिक किडनी
यानी गांठें होना,
चोट, क्रॉनिक डिजीज,
किडनी में सूजन व संक्रमण,
एक किडनी शरीर से निकाल देना,
हार्ट अटैक,
शरीर के किसी अन्य अंग की प्रक्रिया में बाधा, डिहाइड्रेशन या प्रेग्नेंसी की अन्य गड़बडियां।
● एक्यूट किडनी फेल्योर
पेशाब कम आना,
शरीर विशेषकर चेहरे पर सूजन,
त्वचा में खुजली,
वजन बढ़ना,
उल्टी व सांस से दुर्गध आने जैसे लक्षण हो सकते हैं।
■ कारण: ■
किडनी में संक्रमण, चोट, गर्भवती में टॉक्सीमिया (रक्त में दूषित पदार्थो का बढ़ना) व शरीर में पानी की कमी।
(Symptoms Of Kidney Failure)
●आयुर्वेद एवं प्राकृतिक उपचार
◆ आयुर्वेद में दोनों किडनियों, मूत्रवाहिनियों और मूत्राशय इत्यादि अवयवों को मूत्रवह स्रोत का नाम दिया गया है।
◆ पेशाब की इच्छा होने पर भी मूत्र त्याग नहीं करना और खानपान जारी रखना व किडनी में चोट लगना जैसे रोगों को आयुर्वेद में मूत्रक्षय एवं मूत्राघात नाम से जाना जाता है।
■ आयुर्वेदिक ग्रंथ माधव निदान के अनुसार रूक्ष प्रकृति व विभिन्न रोगों से कमजोर हुए व्यक्ति के मूत्रवह में पित्त और वायु दोष होकर मूत्र का क्षय कर देते हैं जिससे रोगी को पीड़ा व जलन होने लगती है, यही रोग मूत्रक्षय है। इसमें मूत्र बनना कम या बंद हो जाता है।
■ उपाय ■
तनाव न लें, नियमित अनुलोम-विलोम व प्राणायाम का अभ्यास करें।
(Symptoms Of Kidney Failure)
ब्लड प्रेशर
ब्लड प्रेशर बढ़ने पर समुद्री नमक, इमली, अमचूर, लस्सी, चाय, कॉफी, तली-भुनी चीजें, गरिष्ठ आहार, अत्यधिक परिश्रम, अधिक मात्रा में कसैले खाद्य-पदार्थ खाने, धूप में रहने और चिंता से बचें।
सेंधा और काला नमक खाएं, इससे रक्त संचार में अवरोध दूर होता है।
किडनी खराब होना
◆ किडनी खराब हो तो ऎसे खाद्य-पदार्थ न खाएं, जिनमें नमक व फॉस्फोरस की मात्रा कम हो।
◆ पोटेशियम की मात्रा भी नियंत्रित होनी चाहिए। ऎसे में केला फायदेमंद होता है। इसमें कम मात्रा में प्रोटीन होता है।
◆ तरल चीजें सीमित मात्रा में ही लें।
◆ उबली सब्जियां खाएं व मिर्च-मसालों से परहेज करें।
(Symptoms Of Kidney Failure)
आयुर्वेदिक औषधियां
आयुर्वेदिक औषधियों पुनर्नवा मंडूर, गोक्षुरादी गुग्गुलु, चंद्रप्रभावटी, श्वेत पर्पटी, गिलोय सत्व, मुक्ता पिष्टी, मुक्तापंचामृत रस, वायविडंग इत्यादि का सेवन विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें। नियमित रूप से एलोवेरा, ज्वारे व गिलोय का जूस पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
■ डाइट कैसी हो
गाजर, तुरई, टिंडे, ककड़ी, अंगूर, तरबूज, अनानास, नारियल पानी, गन्ने का रस व सेब खाएं लेकिन डायबिटीज है तो गन्ने का रस न पिएं।
■ इन चीजों से पेशाब खुलकर आता है।
● मौसमी, संतरा, किन्नू, कीवी, खरबूजा, आंवला और पपीते खा सकते हैं।
● रात को तांबे के बर्तन में रखा पानी सुबह पिएं।
(Symptoms Of Kidney Failure)
सिरम क्रेटनीन व यूरिक एसिड बढ़ने पर
● रोगी प्रोटीन युक्त पदार्थ जैसे मांस, सूखे हुए मटर, हरे मटर, फ्रेंचबीन, बैंगन, मसूर, उड़द, चना, बेसन, अरबी, कुलथी की दाल, राजमा, कांजी व शराब आदि से परहेज करें।
● नमक, सेंधा नमक, टमाटर, कालीमिर्च व नींबू का प्रयोग कम से कम करें।
● इस रोग में चैरी, अनानास व आलू खाना लाभकारी होता है।
एक लोक-कहावत के अनुसार-
खाइ के मूतै सोवे बाम,
कबहुं ना बैद बुलावै गाम।
यानी भोजन करने के बाद जो व्यक्ति मूत्र-त्याग करता है व बायीं करवट सोता है, वह हमेशा स्वस्थ रहता है और वैद्यों या डॉक्टरों की शरण में जाने से बचता है।
(Symptoms Of Kidney Failure)
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