India News,(इंडिया न्यूज),Trauma: आज के इस युग में हम अपने जीवन में इतने व्यस्त हो जाते है कि, हम अपने शरीर को भूल जाते है और छोटी छोटी चिजों को नजर अंदाज कर देते है। लेकिन आपको पता है हमारी छोटी सी लापरवाही कितनी खतरनाक हो सकती है। उस मेसे एक है ट्रॉमा ये एक चिंताजनक या परेशान करने वाली घटना की प्रतिक्रिया है, जो किसी व्यक्ति को लंबे समय तक परेशान कर सकती है।
ट्रॉमा से पीड़ित व्यक्ति की फिजिकल, मेंटल और स्पिरिचुअल हेल्थ पर गहरा असर पड़ सकता है। एक अध्यन में पता चला कि, ट्रॉमा नया और पुराना दोनों तरह का हो सकता है। ट्रॉमा के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। इससे व्यक्ति की पूरी दिनचर्या प्रभावित होती है। ऐसे में व्यक्ति को ट्रॉमा से बाहर निकालना बहुत जरूरी हो जाता है। ट्रॉमा से निकलने से लिए थेरेपी और हीलिंग का सहारा लिया जा सकता है। लेकिन इससे पहले आपको थेरेपी और हीलिंग से जुड़े अलग-अलग दृष्टिकोणों के बारे में जानना बहुत जरूरी है। तो आइए, डॉ चांदनी तुगनैत से जानते हैं ट्रॉमा थेरेपी और हीलिंग के विभिन्न तरीकों के बारे में-
सिंगल इंसिडेंट ट्रॉमा
ट्रॉमा एक सिंगल और परेशान करने वाली घटना की तरफ इशारा करता है। जैसे- दुर्घटना, हमला या प्राकृतिक आपदा। इस स्थिति में थेरेपी या हीलिंग का फोकस किसी विशेष दर्दनाक घटना या उससे जुड़ी भावनाओं पर होता है।
कॉम्प्लेक्स ट्रॉमा
जब किसी व्यक्ति को लंबे समय तक दर्दनाक अनुभव होते हैं, तो यह कॉम्प्लेक्स ट्रॉमा हो सकता है। इसमें बचपन में दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा या युद्ध संबंधी ट्रॉमा आदि शामिल हैं। इस स्थिति में थेरेपी या हीलिंग का उद्देश्य ट्रॉमा के प्रभावों और लक्षणों को कम करना होता है।
डेवलपमेंटल ट्रॉमा
यह ट्रॉमा उपेक्षा, लगाव या फिर बचपन के किसी ट्रॉमा की वजह से हो सकता है। इसमें थेरेपी और हीलिंग के माध्यम से व्यक्ति की स्वयं की भावना, संबंधों और शुरुआती अनुभवों के प्रभावों को जानने की कोशिश की जाती है।
योग और ध्यान
ट्रॉमा में आने पर व्यक्ति को योग और ध्यान लगाने की कोशिश करनी चाहिए। इससे दिमाग और मन शांत होता है। इससे तनाव कम होता है और आपको अच्छा महसूस होता है।
आर्ट थेरेपी
ट्रॉमा होने पर आर्ट थेरेपी की भी मदद ली जा सकती है। इसमें संगीत, नृत्य आदि को शामिल किया जा सकता है।
एनर्जी:
ट्रॉमा होने पर एनर्जी बेस्ड थेरेपी लेना फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें चक्र बैलेंस, एंजेल हीलिंग, रेकी या कलर थेरेपी आदि शामिल हैं। इससे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
माइंडफुल ब्रीदिंग
इसमें ट्रॉमा का इलाज करने के लिए माइंडफुल ब्रीदिंग का अभ्यास किया जा सकता है। इससे नर्वस सिस्टम को रेगुलेट करने और रिलैक्सेशन को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
ग्राउंडिंग एक्सरसाइज
ग्राउंडिंग तकनीकों की मदद से भी ट्रॉमा से निपटा जा सकता है। इसके लिए ग्राउंडिंग ऑब्जेक्ट्स का उपयोग करें। साथ ही, आप ग्राउंडिंग विजुअलाइजेशन की भी प्रैक्टिस कर सकते हैं।
नेचर थेरेपी
इसमें आपको प्रकृति के साथ समय बिताना होता है। इससे आपको रिलैक्स महसूस होता है। तनाव कम होता है और नेचर के प्रति लगाव बढ़ता है।
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