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What is Ayurvedic Medicine : आयुर्वेद हमें स्वस्थ खाने के बारे में बहुत सारी बेहतरीन जानकारी देता है और सबसे महत्वपूर्ण में से एक है। इनके कई स्वस्थ्य लाभ मिलते हैं। तो आइए जानते है आयुर्वेद के बारें में कि आयुर्वेदिक दवा के फायदों के बारे में …..
स्वस्थ व्यक्ति के खानपान पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं होता है। असल में किसी भी व्यक्ति के लिए यह सलाह दी जाती है कि उसकी प्रकृति के आधार पर अलग-अलग खाद्य समूह हों जिनमें सभी छह स्वाद हों। जब शरीर में असंतुलन होता है जिसके बीमारियां होती हैं तो असंतुलन के आधार पर कुछ चीजों को खाने से रोकना पड़ता है। क्योंकि आहार स्वास्थ्य के साथ-साथ बीमारी में भी एक बड़ी भूमिका निभाता है।
आपने अक्सर लोगों को यह कहते सुना होगा कि यह आयुर्वेदिक दवा है नुकसान नहीं करेगी। इस मिथ को सबसे पहले जाने की आवश्यकता है क्योंकि जिस चीज का प्रभाव होता है उसका दुष्प्रभाव भी हो सकता है। अगर निर्धारित दवाओं या उपचारों का उचित तरीके से पालन नहीं किया जाता है तो आयुर्वेद का भी दुष्प्रभाव देखने को मिल सकता है।
कहा जाता है की अमृत की अधिकता भी जहर बन सकती है और जहर का उचित उपयोग अमृत साबित हो सकता है। आयुर्वेद को दो धाराओं में बांट कर इसकी पहचान की जा सकती है । यह वह ज्ञान है जिसे पारिवारिक परंपराओं के रूप में पीढ़ियों से मौखिक रूप से साझा किया गया है जैसे कि सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए रसोई में उपलब्ध सरल सामग्री का उपयोग करना।
आजकल जिस भी प्रोडक्ट में आयुर्वेद की जड़ी- बूटी होती है उसका बहुत महत्व होता है। मगर इस बात का ध्यान रखना जरूरी है किसका इस्तेमाल करने से पहले यह किसी खास व्यक्ति पर सूट कर रहा है या नहीं। आपने सुना होगा आयुर्वेद हमेशा संकट के समय में भी मजबूत रहा है, और आशा खो चुके कई लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया है।
लोगों द्वारा कहा जाता है कि आयुर्वेद सिर्फ बुजुर्गों के लिए होता है हालांकि आयुर्वेद की 8 शाखाएं हैं। जो अलग झ्र अलग उम्र के लोगों के साथ विशेष बीमारियों से निपटती हैं।
किसी भी बीमारी का उपचार करने का कोई शॉर्टकट नहीं होता है। हर उपचार का पालन करते समय धैर्य रखना बहुत जरूरी है। किसी भी बीमारी का तत्काल परिणाम नहीं होता है फिर चाहे वह छोटी बीमारी हो या फिर बड़ी। खाने के उपचार के लिहाज से देखा जाए तो आयुर्वेद में अधिक समय लग सकता है लेकिन अन्य उपचारों में विपरीत यह लक्षणों के बजाय बीमारी के मूल कारण पर काम करता है।
आयुर्वेद को लेकर ज्यादातर लोगों की धारणा रही है कि आयुर्वेद केवल आथोर्पेडिक या त्वचा संबंधित बीमारियों से जुड़ी पुराने विकारों का इलाज कर सकता है।
तथ्य है कि आयुर्वेद की 8 शाखाएं हैं जो विशिष्ट बीमारियों से लड़ने में काम आती है। उदाहरण के तौर पर काया चिकित्सा, सर्जरी, फ्रैक्चर, बवासीर, गांव प्रबंधन, कौमारभृत्य (बाल रोग, स्त्री रोग) की स्थितियों से संबंधित है।
आयुर्वेद के नियमों के अनुसार खुद की जीवन शैली को ढालना काफी मुश्किल समझा जाता है। दरअसल आयुर्वेद जीवन और उम्र का ही विज्ञान है। आयुर्वेद में जिन सिद्धांतों की बातें की गई हैं वह ऐसी प्रथाएं हैं जिनका हम में से अधिकांश लोग बिना जाने दैनिक आधार पर पालन करते हैं।
उदाहरण के लिए, सबसे सरल सिद्धांत जैसे ह्यब्रह्मे मुहूर्त उत्तिष्ठह्ण। इसका मतलब है कि व्यक्ति को सुबह जल्दी एक ही समय पर उठने की कोशिश करनी चाहिए। शरीर को सहारा देने वाले तीन स्तंभों को अहार (भोजन), निद्रा (नींद) और ब्रह्मचर्य के रूप में बताई गई हैं। जब हम इसके बारे में सोचते हैं, तो हमारे जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोने में बीत जाता है, और बाकी दो तिहाई खाने में।
What is Ayurvedic Medicine
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