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India News HP(इंडिया न्यूज)Himachal News: कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण के लिए करोड़ों रुपये के मुआवजे के आवंटन का लेखा-जोखा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) करेगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के जवाब से असंतुष्ट हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने फोरलेन प्रभावित एवं विस्थापित समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 सितंबर को ये निर्देश दिए। कीरतपुर से नेरचौक तक सरकारी भूमि पर बने 38 ढांचों के लिए पांच करोड़ रुपये का मुआवजा आवंटित किया गया।
हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, भूमि अधिग्रहण अधिकारी बिलासपुर को कहा कि वे उन अधिकारियों को जवाबदेह ठहराएंगे जिन्होंने अवैध मुआवजे के लिए करदाताओं के पैसे का गबन किया है। कोर्ट ने परियोजना निदेशक एनएचएआई मंडी को सरकारी भूमि पर चल रहे निर्माण कार्य के लिए करोड़ों रुपये के मुआवजे के आवंटन पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
परियोजना निदेशक ने जब अपनी रिपोर्ट पेश की तो हाईकोर्ट ने रिपोर्ट पर नाराजगी जताई। हाईकोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट कानून के दायरे में नहीं है। इस रिपोर्ट को सही नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में एनएचएआई और राज्य सरकार को भी जवाबदेह बनाया जाना चाहिए कि किस तरह से उन्होंने करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल अवैध मुआवजे के लिए किया।
इस आदेश की एक प्रति सीएजी को भी भेजने को कहा गया है। समिति के महासचिव मदन लाल शर्मा ने कहा कि हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा है। समिति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हम एनएचएआई की स्टेटस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं। इसके बाद कोर्ट ने सीएजी को सरकारी जमीन पर बने मकानों के मुआवजे के आवंटन का ऑडिट करने का आदेश दिया।
उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन के लिए 5 करोड़ रुपए का आवंटन सरकारी भूमि पर मौजूदा निर्माण के लिए था। एनएचएआई ने यह पैसा किस मद में आवंटित किया? अगर यह पैसा सड़क मद से आवंटित किया गया तो सड़क मद में कटौती कहां से हुई? इसका जवाब भी एनएचएआई से मांगा जाएगा।
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