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बुखार से लेकर कैंसर तक…यहां मरीजों की जिंदगी के साथ हो रहा खिलवाड़; जांच में सैकड़ों दवाओं के सैंपल मिले फेल

BY: Poonam Rajput • LAST UPDATED : November 30, 2024, 10:12 am IST
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बुखार से लेकर कैंसर तक…यहां मरीजों की जिंदगी के साथ हो रहा खिलवाड़; जांच में सैकड़ों दवाओं के सैंपल मिले फेल

Himachal News

India News (इंडिया न्यूज़),Himachal News:  हिमाचल प्रदेश के दवा उद्योग में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें 38 दवाओं के सैंपल जांच में फेल पाए गए हैं। ये दवाएं बुखार, दमा, ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग की जाती हैं। यह घटना न केवल दवा उद्योग की साख पर सवाल उठाती है, बल्कि मरीजों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा बनकर उभरी है। सभी फेल हुए बैचों को बाजार से तुरंत हटाने का आदेश दिया गया है। बता दें कि, मरीजों द्वारा इन दवाओं का उपयोग स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यह खुलासा अक्टूबर में जारी अलर्ट के बाद हुआ।

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जांच में फेल दवाएं:

  • बुखार: बायोसिटामोल
  • दमा: मोंटीलुकास्ट
  • ब्लड प्रेशर: टारविग्रेस
  • कैंसर: लिपोसोमल
  • अन्य: स्टेमेरिल, रेबेप्रोजोल, ट्रिपिसन आदि

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नकली और खराब दवाओं से बचाव के उपाय

स्पेलिंग मिस्टेक, फेडेड रंग, और असामान्य फॉन्ट नोटिस करें। बारकोड और बैच नंबर वेरिफाई करें। मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट की जांच करें। रंग, आकार, या टेक्सचर में गड़बड़ी पाए जाने पर डॉक्टर से संपर्क करें। ऑनलाइन खरीदारी में सतर्क रहें। वहीं यदि नकली दवा मिलते ही तुरंत स्थानीय ड्रग विभाग में शिकायत दर्ज करें। डॉक्टर से संपर्क कर वैकल्पिक इलाज के लिए सलाह लें।

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हिमाचल प्रदेश के दवा उद्योग पर प्रभाव

हिमाचल प्रदेश देश का एक प्रमुख फार्मा हब है, जहां बड़ी संख्या में दवा निर्माण कंपनियां स्थापित हैं। बार-बार गुणवत्ता में गड़बड़ी के कारण राज्य की साख पर असर पड़ रहा है। ऐसी घटनाएं स्वास्थ्य क्षेत्र में जनता के भरोसे को कमजोर करती हैं। इस घटना से हिमाचल प्रदेश के दवा उद्योग की साख को गहरा धक्का लगा है। यह सुनिश्चित करना राज्य और केंद्रीय सरकार की जिम्मेदारी है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। साथ ही, मरीजों की सुरक्षा के लिए दवाओं की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी और नियमित जांच बहुत जरूरी है।

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