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India News HP (इंडिया न्यूज़) HP High Court: फोरलेन प्रभावित एवं विस्थापित समिति ने कीर्तुपुर-नेरचौक फोरलेन के किनारे गोबिंद सागर झील व इसके सहायक नालों में अवैध रूप से मलबा डालने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को मलबा डालने पर रोक लगाने व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर हाईकोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए थे, लेकिन प्रदेश सरकार ने इस संबंध में हाईकोर्ट में कोई जवाब दाखिल नहीं किया।
आदेशों के अनुसार जवाब दाखिल न करने पर मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार पर लगाई गई 50 हजार रुपये की कॉस्ट जमा करवाने के लिए तीन अक्तूबर तक का समय दिया है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर 30 अक्तूबर को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
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इसी माह के पहले सप्ताह में हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई में समय पर जवाब दाखिल न करने पर सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना जमा कराने के लिए तीन अक्तूबर तक का समय दिया गया है। मामले से संबंधित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 30 अक्तूबर को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। जवाब के लिए मांगा दो सप्ताह का समय आखिरकार जिले के पंडोगा औद्योगिक क्षेत्र में काटे गए पेड़ों के स्थान पर नए पेड़ न लगाने और सीईटीपी प्लांट लगाने के मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्य अरण्यपाल और उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एनजीटी नई दिल्ली में पेश हुए। हिमाचल प्रदेश के एडवोकेट जनरल समेत विभाग की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने अगले दो सप्ताह में जवाब देने के लिए समय मांगा है।
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साथ ही एनजीटी ने तीन सप्ताह में विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अब अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल प्रिंसिपल बेंच), नई दिल्ली में 19 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान उद्योग विभाग के प्रधान सचिव आरडी नाजिम और प्रधान मुख्य वन संरक्षक पवनेश कुमार पेश हुए थे।
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