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श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी!अब आसानी से कर सकोगे बगलामुखी माता के दर्शन; बनकर तैयार हुआ…

BY: Poonam Rajput • LAST UPDATED : December 4, 2024, 1:53 pm IST
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श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी!अब आसानी से कर सकोगे बगलामुखी माता के दर्शन; बनकर तैयार हुआ…

HP News

India News (इंडिया न्यूज़),HP News: पंडोह में माता बगलामुखी मंदिर तक पहुंचने के लिए एक नया रोपवे तैयार किया गया है, जिसे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को उद्घाटन किया। यह 750 मीटर लंबा रोपवे 53.89 करोड़ रुपये की लागत से बना है और अब श्रद्धालु और पर्यटक सिर्फ तीन मिनट में मंदिर तक पहुंच सकेंगे, जबकि पहले उन्हें 14 किलोमीटर का लंबा रास्ता तय करना पड़ता था।

रोपवे में होंगी दो ट्रालियां

रोपवे में दो ट्रालियां होंगी, जिनमें से एक में 16 लोग बैठ सकते हैं। बाखली गांव के स्थानीय लोगों को यात्रा में छूट दी गई है, जबकि पर्यटकों के लिए एक तरफ का टिकट 30 रुपये और दोनों ओर का टिकट 50 रुपये होगा। अतिरिक्त सामान (5 किलो तक का हैंडबैग) ले जाने की अनुमति है, लेकिन यदि सामान का वजन 66 किलो से अधिक हो, तो अतिरिक्त टिकट लिया जाएगा। रोपवे की सुविधा पर्यटकों को नेचर पार्क बाखली तक भी पहुंचने में मदद करेगी, जो कुल्लू, मनाली, कसोल और लाहुल-स्पीति आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।
यह रोपवे न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक नई यात्रा अनुभव प्रदान करेगा, जिससे प्रकृति के अद्भुत दृश्य देखने का अवसर मिलेगा।

कितना पुराना है  माता बगलामुखी मंदिर का इतिहास

माता बगलामुखी मंदिर का इतिहास प्राचीन है और यह हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के पंडोह क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म की प्रसिद्ध देवी, माता बगलामुखी को समर्पित है, जो विशेष रूप से रक्षात्मक शक्ति और शत्रुओं को पराजित करने के लिए जानी जाती हैं। बगलामुखी देवी का मुख्यत: पूजा व मंत्र साधना से संबंध है, और उन्हें संकटों से मुक्ति, विघ्नों को दूर करने तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की देवी माना जाता है।
ट्रंप ने ये कैसा फैसला ले लिया?

मंदिर का इतिहास बहुत पुराना बताया जाता है, लेकिन इसकी शिलालेखों या अन्य ऐतिहासिक साक्ष्यों से इसे स्थापित करने की कोई सटीक तिथि नहीं मिलती। लोकमान्यता के अनुसार, यह मंदिर बहुत समय पहले स्थापित हुआ था, और यह क्षेत्र विशेष रूप से तंत्र साधना और देवी के पूजा स्थलों के रूप में प्रसिद्ध रहा है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, मंदिर का निर्माण हजारों साल पहले हुआ था, और इसे विभिन्न राजवंशों द्वारा पुनर्निर्मित और सुसज्जित किया गया था। मंदिर क्षेत्र की धार्मिक महत्ता और इसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता इसे श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बनाती है।

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