संबंधित खबरें
हिमाचल प्रदेश में भीषण ठंड का अटैक, 4 जिलों में ऑरेंज अलर्ट
Primary Teacher Union: सिरमौर में प्राथमिक शिक्षक संघ की बैठक, छुट्टियों के शेड्यूल में बदलाव पर चर्चा
Himachal Weather: हिमाचल में बदला मौसम का मिजाज, 23-24 दिसंबर को बारिश और बर्फबारी का अनुमान
सदन में सरकार ने दिया ये जवाब, हिमाचल में कोरोना वॉरियर्स को क्या मिलेगा दोबारा रोजगार?
हिमाचल विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त, 4 दिन तक 21 घंटे से ज्यादा चली कार्यवाही
शिमला में भयंकर अग्निकांड लकड़ी की बिल्डिंग खाक, लाखों का नुकसान
India News HP (इंडिया न्यूज) HP Politics: आर्थिक संकट के बीच वेतन और पेंशन के भुगतान में देरी को लेकर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर आमने-सामने हैं। मंगलवार को विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन के बाहर दोनों ने प्रदेश की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया। विपक्ष के आरोपों पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कोई आर्थिक संकट नहीं है। हमने आर्थिक संकट पर काबू पा लिया है और अब राजकोषीय अनुशासन लाकर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए फैसले लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष सदन में वित्तीय कुप्रबंधन पर चर्चा करे, हम किसी भी नियम के तहत चर्चा के लिए तैयार हैं।
सीएम सुक्खू ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से कहा कि वह जनता को बताना चाहते हैं कि वित्तीय कुप्रबंधन क्यों हुआ और किस तरह पूर्व की डबल इंजन वाली भाजपा सरकार ने सरकारी खजाने को लूटा। उन्होंने कहा कि बिजली और पानी के बिल माफ किए गए। करीब 600 संस्थान खोले गए। विपक्ष इन सभी विषयों पर चर्चा के लिए प्रस्ताव लाए, अगर वह नहीं लाते हैं तो हम इस मुद्दे को चर्चा के लिए लाएंगे। हम जनता को यह बताना चाहते हैं कि नीतिगत निर्णय न लेने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है। गरीबों को मुफ्त बिजली और पानी मिलना चाहिए, अमीरों को नहीं। चर्चा इस नजरिए से होनी चाहिए कि जयराम सरकार ने पांच साल में किस तरह राज्य के खजाने को लूटा।
सुक्खू ने कहा कि सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। हम बिजली के बिलों में एकरूपता लाकर उन्हें कम करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में 50 हजार रुपये से अधिक मासिक आय वालों से 100 रुपये पानी का बिल लिया जाएगा। शराब के ठेकों की नीलामी से राजस्व बढ़ा है। सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के सहयोग से हम राज्य की इकॉनमी को आगे ले जा रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहली बार ऐसी स्थिति बनी है कि कर्मचारियों को महीने की 3 तारीख के बाद भी वेतन नहीं मिला है। इसका सीधा मतलब है कि हिमाचल गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है। जयराम ठाकुर ने विधानसभा परिसर में कहा कि सीएम कभी कहते हैं कि संकट है, कभी कहते हैं कि कोई संकट नहीं है। कभी कहते हैं कि हिमाचल 2027 तक देश का सबसे समृद्ध राज्य बन जाएगा। अगर प्रदेश सरकार के सामने ऐसी स्थिति है कि वह कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ है तो सरकार को इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए। जयराम ने कहा कि हिमाचल आर्थिक दृष्टि से दिवालिया होने की कगार पर खड़ा नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि विकास कार्य ठप हो गए हैं।
ऐसे में हमने कल विधानसभा में नियम-67 के तहत नोटिस दिया था कि सारी कार्यवाही रोककर इस विषय पर चर्चा कराई जाए। जयराम ने कहा कि केंद्र से वित्तीय सहायता के साधन बेहद खास हैं। केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान मिलता है, उसे नहीं रोका गया है। इसके अलावा वे केंद्र से क्या मदद चाहते हैं और संकट तो प्रदेश का है। मुख्यमंत्री को जिम्मेदारी के साथ यह स्वीकार करना चाहिए। बार-बार केंद्र पर आरोप लगाना ठीक नहीं है। जयराम ने कहा कि सत्ता पाने के लिए झूठे आश्वासन दिए गए। जब वे आश्वासनों को लागू करने के लिए आगे बढ़े तो प्रशासनिक संकट खड़ा हो गया। हिमाचल इस समय भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.