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India News HP(इंडिया न्यूज)Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दिल्ली में बने हिमाचल भवन को जब्त करने के आदेश दिए हैं। दिल्ली के मंडी हाउस में बने हिमाचल भवन को जब्त करने का आदेश एक मध्यस्थता पुरस्कार के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया है। इस पर हिमाचल भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार एक के बाद एक नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। अब हिमाचल भवन को जब्त करने का आदेश प्रदेश और राज्य सरकार पर एक दाग की तरह है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस अजय मोहन गोयल की सिंगल बेंच ने जब्त करने का यह आदेश दिया है।
हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू के नेतृत्व वाली सरकार पर कटाक्ष करते हुए इसे नया रिकॉर्ड बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार पिछले दो सालों से यही काम कर रही है। बिंदल ने कहा, “कभी हिमाचल प्रदेश में गायब समोसे की जांच होती है तो कभी शौचालय टैक्स लगा दिया जाता है। हिमाचल प्रदेश की हालत यह हो गई है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य सरकार भुगतान नहीं कर पा रही है।”
बिंदल ने आगे कहा कि हिमाचल प्रदेश का हर वर्ग आज सरकार से परेशान है। सत्ता में आते ही कांग्रेस ने संस्थाओं को बंद कर दिया, जिससे आम लोगों को आज तक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बिंदल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश हिमाचल प्रदेश सरकार और हिमाचल प्रदेश पर दाग की तरह हैं। इसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।
वर्ष 2009 में सरकार ने कंपनी को 320 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट आवंटित किया था। यह प्रोजेक्ट लाहौल स्पीति में स्थापित किया जाना था। उस समय सरकार ने प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिए सड़क निर्माण का काम बीआरओ को दिया था। समझौते के अनुसार सरकार को ही कंपनी को मूलभूत सुविधाएं मुहैया करानी थी ताकि कंपनी समय पर प्रोजेक्ट का काम शुरू कर सके लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
कंपनी ने वर्ष 2017 में रिट याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि सुविधाएं न मिलने के कारण कंपनी को प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा और यह प्रोजेक्ट सरकार को दे दिया गया। इस पर सरकार ने अपफ्रंट प्रीमियम जब्त कर लिया। सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने 64 करोड़ रुपये का अपफ्रंट प्रीमियम चुकाने के आदेश जारी किए हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के एमपीपी और बिजली विभाग के प्रधान सचिव को यह भी जांच करने को कहा है कि क्या किसी विशेष अधिकारी या अधिकारियों की गलती के कारण 64 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि 7 प्रतिशत ब्याज के साथ अदालत में जमा नहीं की गई है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 15 दिनों के भीतर जांच पूरी करने को कहा है। साथ ही अगली तारीख पर अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करने को भी कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी।
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