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Dalai Lama: चीन को बड़ा झटका, दलाई लामा ने 8 साल के अमेरिकी बच्चे को दी धर्मगुरु के रूप में मान्यता

Divya Gautam • LAST UPDATED : March 28, 2023, 2:36 pm IST
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Dalai Lama: चीन को बड़ा झटका, दलाई लामा ने 8 साल के अमेरिकी बच्चे को दी धर्मगुरु के रूप में मान्यता

Dalai Lama: बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने चीन को झटका दिया है। उन्होंने एक 8 साल के बच्चे को तिब्बती बौद्ध धर्म में तीसरे सबसे महत्वपूर्ण धर्मगुरु के रूप में 10वें खालखा जेट्सन धम्पा रिनपोछे के रूप में मान्यता दी है। बच्चे का जन्म अमेरिका में हुआ था। धर्मशाला में इस महीने की शुरुआत में हुए एक कार्यक्रम में दलाई लामा ने यह घोषणा की थी।

तिब्बत के बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने आठ साल के अमेरिका में जन्मे मंगोलियाई बच्चे को एक आध्यात्मिक नेता के अवतार के रूप में नामित किया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बच्चे को तिब्बती बौद्ध धर्म में तीसरे सबसे महत्वपूर्ण नेता के रूप में 10वें खालखा जेट्सन धम्पा रिनपोछे के रूप में 10वें खालखा जेट्सन धम्पा रिनपोछे के रूप में मान्यता मिली है। एक समारोह के दौरान दलाई लामा और उस बच्चे की फोटो को क्लिक किया गया था सोशल मीडिया पर शेयर की गई तस्वीरों में देखा गया कि 87 वर्षीय दलाई लामा से एक बच्चा लाल वस्त्र और मास्क पहने मिल रहा है। इस कार्यक्रम में दलाई लामा ने इस बच्चे को 10 वें खालखा जेटसन धम्पा रिनपोछे का पुनर्जन्म बताया है बच्चे को दलाई लामा मंदिर में रीति-रिवाजों के तहत उसके माता-पिता के समक्ष गद्दी पर बिठाया गया।

1937 में दलाई लामा को मिली थी मान्यता 

दलाई लामा 1937 में जब दो साल की थे, तब उन्हें पिछले नेता के पुनर्जन्म के रूप में मान्यता दी गई थी। यह समारोह मार्च की शुरुआत में धर्मशाला में हुआ था, लेकिन इसकी जानकारी बाद में समाने आई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मंगोलियाई  बच्चा अगुइदई और अचिल्टाई अल्टानार नाम के जुड़वां बच्चों में से एक है। बच्चे के पिता एक यूनिवर्सिटी में मैथ्स के प्रोफेसर हैं और उसकी दादी गरमजाव सेडेन मंगोलियाई संसद की सदस्य रही हैं इनके माता-पिता का नाम अलतनार चिंचुलुन और मोनखनासन नर्मंदख है।

चीन को बड़ा झटका 

मंगोलिया बच्चे को धर्मगुरु चुनना चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है दरअसल, चीन तिब्बती बौद्ध धर्म की परंपरा में किसी अपने की नियुक्ति करना चाह रहा था। चीन घोषणा भी कर चुका था कि देश केवल उन बौद्ध नेताओं को ही मान्यता देगा जिसे चीनी सरकार चुनेगी इसके पीछे उसकी मंशा थी कि वह तिब्बत में किसी विद्रोह की आशंका को दबा सके।

1995 में दलाई लामा ने जब दूसरे सबसे बड़े धर्मगुरु पंचेन लामा को चुना था तब चीन ने उन्हें कैद कर लिया था और उसकी जगह पर अपने पसंद के धर्मगुरु को नियुक्त कर दिया था।

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