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इंडिया न्यूज:
दुनिया के 7 अजूबों में से एक है उत्तर प्रदेश के आगरा जिले का ताजमहल। पूरी दुनिया में ताजमहल को प्यार की निशानी के रूप में जाना जाता है। इस खूबसूरत कारीगरी की मिसाल मानी जाने वाली इमारत को देखने के लिए हर वर्ष दुनियाभर से लोग आगरा घूमने आते-जाते हैं।
बता दें एक राजा की अपनी रानी से बेइंतहा प्यार की निशानी के रूप में जानी जाने वाली ये इमारत ताजमहल अपने आप में कई राज भी समेटे हुए है। अभी हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में ताजमहल को लेकर मामला दर्ज किया गया है, जिसमें ताजमहल के बंद पड़े लगभग 22 कमरे खोले जाने की बात कही गई है। ये कोई पहली बार नहीं है कि ताजमहल को लेकर विवाद हो रहा है, इससे पहले भी कई बार विवाद हो चुके हैं। तो आइए जानते हैं क्या है ताजमहल के बंद कमरों का राज। इसको लेकर क्यों उठे सवाल।
बता दें इस याचिका के दायर होते ही राजनीति सुलग उठी। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा जान बूझकर मुद्दों को भटका रही है। कुछ दिनों पहले ही अयोध्या में तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर आचार्य परमहंस को भी अयोध्या जाने से रोका था। इसके पहले भी विवाद गहराया था, जब कुछ हिंदू दलों के कार्यकतार्ओं ने ताजमहल के अंदर हनुमान चालीसा पढ़ी थी।
ताजमहल को लेकर विवाद की शुरूआत इतिहासकार पीएन ओक की किताब ‘ट्रू स्टोरी आफ ताज’ से शुरू हुआ था। इस किताब में ताजमहल के शिव मंदिर होने से संबंधित कई दावे किए गए थे। कुछ इतिहासकारों का दावा है कि ताजमहल में मुख्य मकबरे व चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे बने हैं, जिन्हें बंद कर दिया गया है। इतिहासकारों का मानना है कि चमेली फर्श पर यमुना किनारा की तरफ बेसमेंट में नीचे जाने को दो जगह सीढ़ियां बनी हैं। इनके ऊपर लोहे का जाल लगाकर बंद कर किया गया है। करीब 45 साल पहले तक सीढ़ियों से नीचे जाने का रास्ता खुला था। इन्हीं 22 कमरों को खोलने के लिए याचिका दायर की गई है।
वकील रूद्र विक्रम सिंह ने कहा कि ताजमहल की चार मंजिला इमारत के ऊपरी और निचले हिस्से में 22 कमरे हैं जो स्थायी रूप से बंद हैं और पीएन ओक और कई हिंदू उपासकों जैसे इतिहासकारों का मानना है कि उन कमरों में शिव का मंदिर है। चूंकि ताजमहल प्राचीन स्मारक है, और स्मारक के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये का निवेश किया जा रहा है। स्मारक के बारे में सही और पूर्ण ऐतिहासिक तथ्यों को जनता के सामने प्रकट किया जाना चाहिए।
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