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जानें आखिर क्यों ताजमहल को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल हुई याचिका?

India News Desk • LAST UPDATED : May 9, 2022, 2:09 pm IST
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जानें आखिर क्यों ताजमहल को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल हुई याचिका?

इंडिया न्यूज:
दुनिया के 7 अजूबों में से एक है उत्तर प्रदेश के आगरा जिले का ताजमहल। पूरी दुनिया में ताजमहल को प्यार की निशानी के रूप में जाना जाता है। इस खूबसूरत कारीगरी की मिसाल मानी जाने वाली इमारत को देखने के लिए हर वर्ष दुनियाभर से लोग आगरा घूमने आते-जाते हैं।

बता दें एक राजा की अपनी रानी से बेइंतहा प्यार की निशानी के रूप में जानी जाने वाली ये इमारत ताजमहल अपने आप में कई राज भी समेटे हुए है। अभी हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में ताजमहल को लेकर मामला दर्ज किया गया है, जिसमें ताजमहल के बंद पड़े लगभग 22 कमरे खोले जाने की बात कही गई है। ये कोई पहली बार नहीं है कि ताजमहल को लेकर विवाद हो रहा है, इससे पहले भी कई बार विवाद हो चुके हैं। तो आइए जानते हैं क्या है ताजमहल के बंद कमरों का राज। इसको लेकर क्यों उठे सवाल।

याचिका पर कल हो सकती है सुनवाई

जानें आखिर क्यों ताजमहल को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल हुई याचिका ?

  • जैसा कि आप जानते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में ताजमहल को लेकर अयोध्या में बीजेपी के मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह ने एक याचिका दायर की है। इसमें कहा गया था कि ताजमहल के 22 कमरे खोले जाएं ताकि पता चल सके कि उसके अंदर देवी देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख हैं या नहीं। बताया जा रहा है कि 10 मई 2022 यानि कल मंगलवार को अदालत उनकी याचिका पर सुनवाई कर सकती है।
  • दरअसल फारसी, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला की अनोखी शैली से बने ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में यमुना के किनारे सफेद संगमरमर से बनवाया था। 1666 में शाहजहां तो मर गया, मगर ताजमहल को लेकर विवाद जिंदा रहा। यदा कदा आवाजें आती रहीं कि ताजमहल दरअसल तेजोमहालय है और हिंदुओं की आस्था का केंद्र है।

मानसिंह के महल का तर्क

  • याचिकाकर्ता ने मांग की है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को इजाजत दी जाए ताकि वो ताजमहल के अंदर 22 कमरे खोलें। रजनीश सिंह के वकील रूद्र विक्रम सिंह का तर्क है कि 1600 ईसवी में आए तमाम यात्रियों ने अपने यात्रा वर्णन में मानसिंह के महल का जिक्र किया है। वकील रूद्र विक्रम सिंह ने कहा कि ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1653 में बनकर तैयार हुआ था।
  • 1651 का औरंगजेब का एक पत्र सामने आया जिसमें वह लिखता है कि अम्मी का मकबरा मरम्मत कराने की जरूरत है, ऐसे तमाम तथ्यों के आधार पर अब पता करने की जरूरत है कि ताजमहल के बंद इन कमरों में क्या है। हाई कोर्ट से मांग की गई है कि इस मामले में सरकार एएसआई व इतिहासकारों की एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाकर रिपोर्ट दाखिल करे।

भाजपा जानकर मुद्दों को भटका रही: कांग्रेस

बता दें इस याचिका के दायर होते ही राजनीति सुलग उठी। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा जान बूझकर मुद्दों को भटका रही है। कुछ दिनों पहले ही अयोध्या में तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर आचार्य परमहंस को भी अयोध्या जाने से रोका था। इसके पहले भी विवाद गहराया था, जब कुछ हिंदू दलों के कार्यकतार्ओं ने ताजमहल के अंदर हनुमान चालीसा पढ़ी थी।

कैसे शुरू हुआ विवाद

ताजमहल को लेकर विवाद की शुरूआत इतिहासकार पीएन ओक की किताब ‘ट्रू स्टोरी आफ ताज’ से शुरू हुआ था। इस किताब में ताजमहल के शिव मंदिर होने से संबंधित कई दावे किए गए थे। कुछ इतिहासकारों का दावा है कि ताजमहल में मुख्य मकबरे व चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे बने हैं, जिन्हें बंद कर दिया गया है। इतिहासकारों का मानना है कि चमेली फर्श पर यमुना किनारा की तरफ बेसमेंट में नीचे जाने को दो जगह सीढ़ियां बनी हैं। इनके ऊपर लोहे का जाल लगाकर बंद कर किया गया है। करीब 45 साल पहले तक सीढ़ियों से नीचे जाने का रास्ता खुला था। इन्हीं 22 कमरों को खोलने के लिए याचिका दायर की गई है।

शाहजहां की पत्नी के लिए बदला स्मारक!

जानें आखिर क्यों ताजमहल को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल हुई याचिका ?

  • ऐसा भी कहा जाता है कि ताजमहल का नाम शाहजहां की पत्नी मुमताज महल के नाम पर रखा गया था। हालांकि कई किताबों में शाहजहां की पत्नी का नाम मुमताज-उल-जमानी नहीं मुमताज महल के रूप में वर्णित किया गया। यह भी तथ्य है कि एक मकबरे का निर्माण पूरा होने में 22 साल लगते हैं जो वास्तविकता से परे है।
  • याचिका में कहा गया कि इतिहास की कई किताबों में यह है कि 1212 ईस्वी में राजा परमर्दी देव ने तेजो महालय मंदिर महल (वर्तमान में ताजमहल) का निर्माण किया था। मंदिर बाद में जयपुर के तत्कालीन महाराजा राजा मान सिंह को विरासत में मिला था। उसके बाद संपत्ति राजा जय सिंह द्वारा आयोजित और प्रबंधित की गई थी, लेकिन शाहजहां (1632 में) द्वारा कब्जा कर लिया गया था और बाद में इसे शाहजहां की पत्नी के लिए स्मारक में बदल दिया गया था।

स्मारक के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये का निवेश?

वकील रूद्र विक्रम सिंह ने कहा कि ताजमहल की चार मंजिला इमारत के ऊपरी और निचले हिस्से में 22 कमरे हैं जो स्थायी रूप से बंद हैं और पीएन ओक और कई हिंदू उपासकों जैसे इतिहासकारों का मानना है कि उन कमरों में शिव का मंदिर है। चूंकि ताजमहल प्राचीन स्मारक है, और स्मारक के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये का निवेश किया जा रहा है। स्मारक के बारे में सही और पूर्ण ऐतिहासिक तथ्यों को जनता के सामने प्रकट किया जाना चाहिए।

क्या कहना है जनता का…

  • वहीं लोगों की मानें तो इन 22 कमरों तक पहुंचने का रास्ता ताज के वेंटीलेशन के लिए बनाए गए रास्तों से होकर जाता है। लेकिन कोई इन कमरों तक न पहुंच सके इसके लिए इन रास्तों को ईंट और चूना भरकर हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है। इसके अलावा कर्ई ऐसे सिद्धांतकार हैं जो यह कहते हैं कि ताजमहल के बेसमेंट में जो कक्ष बने है वह मार्बल के बने हैं।
  • ऐसा कहा जाता है कि तहखाने में कार्बन डाइआॅक्साइड की अगर मात्रा बढ़ जाएगी तो वह कैल्शियम काबोर्नेट में बदल जाएगी। कार्बन डाइआॅक्साइड मार्बल्स को पाउडर का रूप देने शुरू कर देता है और उसकी वजह से दीवारों को नुकसान पहुंच सकता है। ताजमहल की दीवारों को नुकसान से बचाने के लिए तैखानों को बंद कर दिया गया। ताजमहल विश्व धरोहर है और इसे इसी रूप में देखा जाना चाहिए।

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