इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Crisis in Pakistan’s Politics: पाकिस्तान में सियासी हालातों में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जहां एक ओर इमरान खान सरकार अविश्वास प्रस्ताव की चुनौती से पार पाने की कोशिश कर रही है। तो वहीं, दूसरी ओर विपक्षी दल इमरान खान सरकार को सत्ता से बेदखल करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है। क्योंकि कोर्ट की तरफ से आज (यानि 9 अप्रैल को) अविश्वास प्रस्ताव कराने का आदेश दिया गया था। तो चलिए जानते हैं पाकिस्तान की राजनीति में आज क्या होगा। सत्ता के आखिरी दिन क्या-क्या कर सकते हैं इमरान।
नेशनल असेंबली में वोटिंग प्रक्रिया क्या?
- आज शनिवार को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर ओपन वोट के जरिए वोटिंग हो रही। अविश्वास प्रस्ताव से पहले सदन में घंटी बजाई जाएगी ताकि सभी सदस्य तय समय पर सदन में मौजूद रहें। इसके बाद सदन के दरवाजे बंद कर दिए जाएंगे।
- नेशनल असेंबली में आईज यानी समर्थन और नोज यानी विरोध की दो लॉबी बनी होगी। यानी जो सांसद अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेंगे वे आईज लॉबी के गेट की ओर चले जाएंगे। यहां पर असेंबली का स्टाफ उनके नाम पर टिक का निशान लगा कर उनके साइन लेगा। इसी तरह नोज वाली लॉबी में विरोध करने वालों का वोट लिया जाएगा।
- नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी सदस्य असेंबली में दोबारा आएंगे और वोटों की गिनती के बाद स्पीकर नतीजे की घोषणा करेंगे। यदि प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कामयाब हो जाता है तो स्पीकर लिखित रूप में पाकिस्तान के राष्ट्रपति को सूचित करेंगे और सचिव की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी होगा।
इमरान की उम्मीदों पर कैसे फिरा पानी? (Crisis in Pakistan’s Politics)
- पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने एकमत से विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के डिप्टी स्पीकर के फैसले को असंवैधानिक करार दिया। चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने कहा कि ने कहा कि नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी का 3 अप्रैल को दिया अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने का फैसला गलत था।
- कासिम सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव को विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था। साथ ही शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के नेशनल असेंबली को भंग करने के फैसले को भी अवैध करार देते हुए असेंबली को दोबारा बहाल करने का आदेश दिया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पाक संविधान के आर्टिकल 58 के मुताबिक, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद नेशनल असेंबली को भंग नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने नेशनल असेंबली को फिर से बहाल करते हुए 9 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराए जाने का आदेश दिया।
आज अविश्वास प्रस्ताव में क्या हो सकता है?
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इमरान खान के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर शनिवार यानी 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे से वोटिंग होगी। 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में बहुमत साबित करने के लिए 172 सदस्यों का समर्थन जरूरी है। 2018 में सहयोगी पार्टियों के साथ सरकार गठन के समय इमरान खान के पास 179 सांसदों का समर्थन था, जिनमें इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी पीटीआई के 155 सदस्य थे।
- इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के एक दर्जन सदस्यों की बगावत और हाल ही में सहयोगी दल एमक्यूंएम-पी के समर्थन वापस लेने से इमरान के पास अब 164 सदस्य रह गए हैं और वह बहुमत के आंकड़े 172 से दूर हो गए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने पर इमरान खान की हार तय है।
- अविश्वास प्रस्ताव में हारने यानी बहुमत साबित न कर पाने पर इमरान के पास पीएम पद से इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। अगर ऐसा होता है, तो इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव से हटाए जाने वाले पहले पाकिस्तानी पीएम होंगे। इससे पहले दो बार पाक पीएम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन दोनों ही बार वोटिंग से पहले ही पीएम ने इस्तीफा दे दिया था।
अगर इमरान अविश्वास प्रस्ताव हार जाते हैं तो क्या होगा? (Crisis in Pakistan’s Politics)
- अगर इमरान अविश्वास प्रस्ताव हार जाते हैं, तब भी असेंबली अगस्त 2023 तक यानी अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा होने तक जारी रह सकती है। अगस्त 2023 के बाद 60 दिन के अंदर चुनाव कराने होंगे। इमरान के हारने के बाद नेशनल असेंबली में नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए वोंटिग होगी, जो अगस्त 2023 तक यानी सदन के बाकी बचे कार्यकाल के लिए पीएम पद पर रह सकता है।
- नया पीएम चुनने के लिए वोटिंग होने पर शहबाज शरीफ ही पीएम बनेंगे, क्योंकि विपक्ष ने उन्हें अपना नेता चुन लिया है। पीएम पद की उम्मीदवारी के लिए लिए असेंबली में कोई भी पार्टी अपने कैंडिडेट का नाम आगे कर सकती है। इस रेस में शहबाज शरीफ सबसे आगे हैं। नया पीएम या तो असेंबली का कार्यकाल पूरा होने यानी अगस्त 2023 तक पद पर रह सकता है या उससे पहले ही तुरंत ही आम चुनाव करवा सकता है।
क्या इमरान अविश्वास प्रस्ताव से पहले देंगे इस्तीफा
- इमरान खान के पास एक विकल्प अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही इस्तीफा देने का होगा। अविश्वास प्रस्ताव हारकर इस्तीफा देने की शर्मिंदगी से बचने के लिए इमरान वोटिंग से पहले ही इस्तीफा दे सकते हैं।
- इमरान मार्च के पहले हफ्ते में विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से अलग-अलग तरीकों से बचते रहे हैं, जिनमें अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करवा के असेंबली भंग करवाना भी शामिल है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग में हारने पर इमरान के पास पीएम पद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
पीएम पद से हटने के बाद क्या होता है? (Crisis in Pakistan’s Politics)
पाकिस्तान में पीएम को पद से हटाने के बाद उनके खिलाफ न्यायिक जांच कराने का चलन रहा है। इमरान के पीएम पद से हटने के बाद नई सरकार उनके खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करा सकती है। खुद इमरान के सत्ता में आने के बाद 2019 में पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व पीएम नवाज शरीफ को घोटालों के मामले में जेल जाना पड़ा था। वहीं पिछले साल विपक्षी नेता शाहबाज शरीफ को भी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जेल जाना पड़ा था।
कौन बन सकता है पीएम?
- पाकिस्तान में इमरान के विश्वास मत हारने के बाद विपक्ष की ओर से पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज यानी पीएमएल-एन के नेता शहबाज शरीफ पीएम बन सकते हैं। नई सरकार में पीएमएल-एन और आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी यानी पीपीपी प्रमुख दल होंगे। नवाज शरीफ की पीएमएल-एन के नेशनल असेंबली में 84 और पीपीपी के 47 सांसद हैं। पीएमएल-एन के पास संख्याबल ज्यादा होने के चलते ही शहबाज शरीफ को विपक्ष की ओर से पीएम घोषित किया गया है।
- वहीं एक्सपर्ट्स मानना है कि पंजाब सूबे में मजबूत आधार वाली पीएमएल-एन और सिंध की ताकतवर पार्टी पीपीपी कभी धुर विरोधी रही हैं। इमरान सरकार पीएमएल-एन और पीपीपी के सभी बड़े नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर केस चला रही थी। नवाज शरीफ और जरदारी जेल भी जा चुके हैं इसलिए दबाव में आकर इन पार्टियों ने एक साथ आने का समझौता किया है।
- एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन पार्टियों का मुख्य एजेंडा इमरान को हटाना था इसलिए आगे सरकार चलाने के दौरान इनमें अहम का टकराव हो सकता है। पीएमएल-एन और पीपीपी दोनों के नेता इससे पहले एक दूसरे पर हमलावर रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि विपक्ष की सरकार बनने पर भी जल्द चुनाव होने की घोषणा हो सकती है।
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