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Impact Of The Russo Ukraine War: जानिए, रूस-यूक्रेन युद्ध से किन देशों में गहरा सकता है अनाज का संकट?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 7, 2022, 2:16 pm IST

Impact Of The Russo Ukraine War

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Impact Of The Russo Ukraine War: कहते हैं ना ” कि दो की लड़ाई में तीसरे को फायदा या नुकसान”। इन दिनों यही हाल है रूस और यूक्रेन की लड़ाई का है। क्योंकि इस जंग में ना चाहते हुए भी कई देशों को इस लड़ाई का नुकसान झेलना पड़ रहा है-जैसे कि अनाज की कमी होना है। कुछ देश तो ऐसे भी हैं जहां पर गेहूं के दाम 14 वर्षों में सबसे अधिक हो गए हैं। बता दें कि गेहूं की कमी को लेकर मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के देशों पर संकट के बादल गहराते जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं रूस और यूक्रेन युद्ध का खामियाजा किस-किस देश को भुगतना पड़ सकता है।

आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन की जंग से मध्य एशिया में अनाज का संकट गहराने लगा है। इसकी एक बड़ी वजह यूक्रेन का वो फैसला भी है जिसमें उसने युद्ध के चलते खाने-पीने की चीजों के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है। बता दें कि जिन चीजों पर यूक्रेन ने एक्सपोर्ट रोका है उसमें मांस, राई, जई, चीनी, बाजरा और नमक शामिल है। केवल कार्न, पाल्ट्री, अंडा और तेल को इस रोक से बाहर रखा गया है।

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अनाज के कीमतों में बढोतरी

Impact Of The Russo Ukraine War

  • अमेरिकी मीडिया अनुसार यूक्रेन के कई सुपरमार्केट्स में खाने पीना का सामान समाप्ती की कगार पर है। और जंग की वजह से रास्ते बाधित होने के चलते सामान आ नहीं पा रहा है। वहीं रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद गेहूं के दामों में बढोतरी देखी गई है। कहते हैं कि रूस और यूक्रेन मिलकर पूरे विश्व में एक्सपोर्ट होने वाले गेहूं में करीब 30 फीसदी का सहयोग देते हैं।
  • रूस के हमले के बाद काला सागर समेत दूसरे रास्तों से जाने वाला सामान बाधित हुआ है। इसकी वजह से ही गेहूं के दाम भी बढ़े हैं। विश्व में रूस जहां गेहूं का सबसे एक्सपोर्टर है। वहीं यूक्रेन चौथे नंबर पर आता है। ये दोनों देश मिलाकर विश्व को लगभग 20 फीसदी मकई भी एक्सपोर्ट करते हैं।
  • कई मध्य पूर्वसरकारों और विशेष रूप से मिस्र, लेबनान, लीबिया और तुर्की में लगातार अनाज की कीमतों में वृद्धि हो रही है, जिस कारण वहां की जनता के लिए इसका भुगतान करना मुश्किल हो गया है। बढ़ी हुई कीमतों के कारण तेजी से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, जिसमें रोटी के लिए सब्सिडी को कम करने या समाप्त करने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
  • रूस और यूक्रेन के युद्ध से अनाज के साथ कई खाने पीने वाली चीजों की कीमतें बढ़ सकती हैं जैसे कि ब्रेड, दूध, मीट समेत अन्य चीजें भी शामिल हैं। फूड एंड एग्रीकल्चर आगेर्नाइजेशन (एफएओ) की 2020 बैलेंस शीट से लिए गए आंकड़ों के अनुसार लेबनान अकेला ही अपनी खपत का करीब 81 फीसद गेहूं यूक्रेन से और करीब 15 फीसद रूस से खरीदता है।
  • इसी तरह से तुर्की करीब 66 फीसद गेहूं रूस से तो 10 फीसद यूक्रेन से खरीदता है। मिस्र भी करीब 60 फीसद गेहूं रूस से तो 25 फीसद यूक्रेन से खरीदता है। रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग का असर भी इन देशों पर सबसे अधिक पड़ सकता है।

क्या पुतिन सरकार भी भुगतेगी खामियाजा?

दरअसल रूस और यूक्रेन की लड़ाई आज 12वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। इस दौरान यूक्रेन से विमानों की आवाजाही भी बंद है। वहीं यूक्रेन में कुछ देशों के जरिए सड़क मार्ग से सामानों को भेजने की कवायद शुरू है। यदि इन दोनों देशों का युद्ध और ज्यादा लंबे समय तक चलता रहा तो गेहूं की दिक्कत न सिर्फ मध्य एशिया को बल्कि यूक्रेन को भी झेलनी पड़ सकता है। वहीं पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाई गई रोक का खामियाजा पुतिन सरकार को भुगतना पड़ सकता है।

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