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इंडिया न्यूज:
ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में कोयला अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है। इसका इस्तेमाल ईंधन के रूप में किया जाता है। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का 35 फीसदी से 40 फीसदी भाग कोयले से प्राप्त होता है। कोयले से अन्य दहनशील तथा उपयोगी पदार्थ प्राप्त किए जाते हैं।
ऊर्जा के अन्य स्रोतों में पेट्रोलियम तथा उसके उत्पाद का नाम सर्वोपरि है। लेकिन आज के समय में भारत में ही कोयले का संकट देखने को मिल रहा है। इसके चलते जनता को बिजली किल्लत से भी जूझना पड़ रहा है। तो चलिए जानते हैं क्यों भारत में कोयले का संकट गहरा रहा है? इसकी वजह क्या है।
बताया जाता है कि करीब 30 करोड़ साल पहले धरती पर घने जंगल हुआ करते थे। बाढ़ और तेज बारिश की वजह से ये जंगल जमीन में दबते चले गए। जैसे-जैसे समय गुजरता चला गया। वैसे-वैसे ये जमीन के और अंदर धंसते चले गए। बाद में यही कोयला बना। चूंकि ये पेड़-पौधों के अवशेषों से मिलकर बना है, इसलिए इसे जीवाश्म ईंधन भी कहा जाता है।
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का 70 फीसदी से अधिक कोयला संचालित संयंत्रों से ही हासिल करता है। सन् 1970 के बाद कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया और कोयले के खनन का काम ज्यादातर काम सरकारी कंपनियों के पास चला गया। भारत में 90 फीसदी से अधिक कोयले का उत्पादन कोल इंडिया करती है। कुछ खदानें बड़ी कंपनियों को भी दी गई हैं, इन्हें कैप्टिव माइन्स कहा जाता है। इन कैप्टिव खदानों का उत्पान कंपनियां अपने संयंत्रों में ही खर्च करती हैं।
कहते हैं कि 2021-22 में भारत में 77.76 करोड़ टन कोयले का उत्पादन हुआ था, जिसमें से 62.26 करोड़ टन से ज्यादा कोयले का उत्पादन कोल इंडिया ने किया था। वहीं सबसे ज्यादा कोयले की खपत करने के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है। भारत में सबसे बड़ा कोयले का भंडार झारखंड में है। यहां 83 अरब टन से ज्यादा कोयले का भंडार है। उसके बाद ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश है।
आप उदाहरण के तौर पर जानिए, गुजरात के तट पर बने दो पॉवर प्लांट ही भारत की कुल ऊर्जा जरूरत के पांच प्रतिशत तक का उत्पादन कर सकते हैं। लेकिन महंगे कोयले के कारण ये बंद हैं। बिजली कंपनियां पॉवर प्लांट के साथ खरीद को लेकर करार करती हैं। अब भारत सरकार इन प्लांट के अतिरिक्त खर्च का भार फौरी तौर पर कंपनियों पर डालने का विचार कर रही है। यदि इन प्लांट को बिजली का ही दाम दिया जाए और फौरी तौर पर इनसे महंगी दर बिजली खरीदी जाए तो बहुत हद तक बिजली संकट से बचा जा सकता है।
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