इंडिया न्यूज:
नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी एमवे इंडिया को एक बड़ा झटका लगा है। क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एमवे इंडिया की 757.77 करोड़ रुपये की संपत्ति अपने कब्जे में कर ली है। (Amway India Pyramid Fraud Case) एमवे इंडिया पर मल्टीलेवल मार्केटिंग स्कैम चलाने का आरोप है। जो संपत्तियां जब्त की गई हैं, उनमें तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में कंपनी की जमीन, फैक्ट्री, प्लांट्स व मशीनरी, वाहन, बैंक खाते और एफडी शामिल हैं। तो चालिए जानते हैं क्या मामला है एमवे के मल्टी लेवल फ्रॉड का। कैसे लोगों को चपत लगा रही थी। डायरेक्ट सेलिंग होती क्या है? डायरेक्ट सेलिंग और पिरामिड स्कीम में क्या है अंतर।
क्या है एमवे?
एमवे एक अमेरिकी मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) कंपनी है। इस कंपनी की स्थापना 1959 में जे वॉन एंडेल और रिचर्ड डेवोस की ओर से की गई थी और इसका हेडक्वॉर्टर अमेरिका के मिशिगन में है। एमवे कंपनी हेल्थकेयर, होमकेयर, ब्यूटी समेत कई प्रोडक्ट्स बेचती है। इसकी भारतीय इकाई एमवे इंडिया इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड है।
एमवे पर किस स्कीम फ्रॉड का आरोप लगा है?
एमवे खुद के मल्टी-लेवल मार्केटिंग या डायरेक्ट सेलिंग कंपनी होने का दावा करती है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि वह पिरामिड स्कीम के जरिए फ्रॉड करती रही है।
क्यों एमवे के खिलाफ कार्रवाई हुई?
- प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि एमवे पर ये कार्रवाई डायरेक्ट सेलिंग मल्टी लेवल मार्केटिंग यानी एमएलएम नेटवर्क की आड़ में पिरामिड स्कीम फ्रॉड करने की वजह से हुई है।
- एमवे पर की गई ये कार्रवाई प्राइज चिट्स एंड मनी सकुर्लेशन स्कीम (बैनिंग) एक्ट के तहत कंपनी के खिलाफ हैदराबाद पुलिस की ओर से दर्ज एक एफआईआर के आधार पर की गई है। जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने पाया कि एमवे की ओर से पेश किए जाने वाले ज्यादातर प्रॉडक्ट की कीमत खुले बाजार में उपलब्ध प्रतिष्ठित मैन्युफैक्चरर के पॉपुलर प्रॉडक्ट्स की तुलना में बहुत ज्यादा है।
- ऐसे में सीधीसाधी जनता को सही जानकारी दिए बिना उन्हें कंपनी से जुड़ने और उसके महंगे प्रोडक्ट्स को खरीदने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे आम लोग अपनी गाढ़ी कमाई गंवा देते हैं।
- एमवे से जुड़ने वाला नया मेंबर प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल करने के लिए नहीं। बल्कि मेंबर बनकर अमीर बनने के लिए खरीदता है। क्योंकि इसके अपलाइन मेंबर्स यानी टॉप पर मौजूद मेंबर्स ऐसे ही सपने दिखाते हैं। इसके अपलाइन मेंबर्स को मिलने वाले भारीभरकम कमीशन की वजह से ही इसके प्रोडक्ट्स की कीमत बहुत महंगी हो जाती है।
प्रवर्तन निदेशालय ने एमवे की कितनी संपत्ति जब्त की?
- प्रवर्तन निदेशालय ने ये कार्रवाई प्रिवेंशन आॅफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए के तहत की है। प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में एमवे इंडिया इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसकी 757.77 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच यानी जब्त कर ली है।
- एमवे की जब्त की गई प्रॉपर्टी में तमिलनाडु के डिंडिगुल जिले में स्थित कंपनी की जमीन, एक फैक्ट्री, प्लांट, मशीनरी, गाड़ियां, बैंक अकाउंट्स और फिक्स्ड डिपॉजिट शामिल हैं। जब्त की गई संपत्तियों में चल और अचल संपत्तियों की कीमत 411.83 करोड़ रुपए है, जबकि 36 बैंक खातों में जमा 345.94 करोड़ रुपए भी इसमें शामिल हैं।
- एमवे की संपत्तियों को अटैच करने का मतलब है कि इन संपत्तियों को न ट्रांसफर किया जा सकता है और न कन्वर्ट किया जा सकता है। कुल मिलाकर एमवे इन संपत्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकती है।
एमवे पर कितने अरब के फ्रॉड का आरोप?
- प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि एमवे ने 2002-03 से 2021-22 के दौरान अपने बिजनेस आॅपरेशन से 27 हजार 562 करोड़ रुपए कमाए। इनमें से 7,588 करोड़ रुपए उसने कमीशन के लिए रूप में अपने अमेरिका और भारत के डिस्ट्रीब्यूटर्स और मेंबर्स को दिए। प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि कंपनी का पूरा ध्यान ये प्रचार करने पर है कि कैसे कोई इसका मेंबर बनकर अमीर बन सकता है। उसका ध्यान प्रोडक्ट्स पर है ही नहीं।
- एमवे 1996-97 में भारत में शेयर कैपिटल के रूप में 21.39 करोड़ रुपये लाया था और इंवेस्टर्स और मूल संस्थाओं को लाभांश, रॉयल्टी और अन्य भुगतान के नाम पर 2020-21 तक 2,859.10 करोड़ रुपए भेजे। ब्रिट वर्ल्डवाइड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और नेटवर्क ट्वेंटी वन प्राइवेट लिमिटेड ने भी नए सामानों की बिक्री की आड़ में नए सदस्यों को जोड़ने के लिए भव्य सेमिनारों का आयोजन करके एमवे के पिरामिड स्कीम के प्रचार में एक बड़ी भूमिका निभाई।
क्या है पिरामिड स्कीम?
- पिरामिड स्कीम एक ऐसा निवेश है जिसमें कोई भी व्यक्ति किसी कंपनी से जुड़कर अपने साथ और भी लोगों को जोड़ता है, जिसके बदले उसे पैसे मिलते हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में कहा है कि एमवे एमएलएम या डायरेक्ट सेलिंग की आड़ में पिरामिड फ्रॉड करती रही है।
- पिरामिड स्कीम एक पिरामिड के शेप में काम करती है। इसमें टॉप पर कुछ लोग होते हैं, जो इसके नीचे एजेंट्स जोड़ते चले जाते हैं। यानी पिरामिड स्कीम में निवेशकों या मेंबर्स की संख्या पिरामिड के लेयर की तरह बढ़ती जाती है। इसमें फ्रॉड इस तरह होता है कि इसके नीचे जुड़ने वाले लोगों से जॉइनिंग फीस के नाम पर होने वाली कमाई का फायदा टॉप पर मौजूद लोगों को होता है।
- इसमें खराब प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को डायरेक्ट सेलिंग के नाम पर बेचने का झांसा देकर बेचने वालों को बेवकूफ बनाया जाता है। इसकी वजह से डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री भी सवालों के घेरे में आ जाती है। कहते हैं कि पिरामिड स्कीम कुछ लोगों के लिए पैसा बनाने का एक स्कैम है, जो कि झूठे वादों को बेचने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इससे जोड़ने पर आधारित होती है। ऐसी स्कीम के किसी न किसी मोड़ पर ढहने की संभावना होती है क्योंकि, इसमें ऐसे प्रोडक्ट और सर्विस बेची जाती हैं जिनका अस्तित्व ही नहीं होता।
डायरेक्ट सेलिंग और पिरामिड स्कीम में अंतर क्या?
- एमएलएम या डायरेक्ट सेलिंग में कंपनी अपने प्रोडक्ट्स की बिक्री के आधार पर डिस्ट्रीब्यूटर को भुगतान करती है, जबकि पिरामिड स्कीम पूरी तरह नए मेंबर्स को जोड़ने पर टिकी होती है। वैसे तो एमएलएन या डायरेक्ट सेलिंग और पिरामिड स्कीम लगभग एक जैसे लगते हैं। लेकिन इनके काम करने के तरीके में फर्क है।
- डायरेक्ट सेलिंग में जहां कंज्यूमर प्रोडक्ट खरीदने के पैसे देता है तो वहीं पिरामिड स्कीम में कंपनी से जुड़ने यानी जॉइनिंग फीस के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं। पिरामिड स्कीम को डायरेक्ट सेलिंग जैसा दिखाने के लिए इसमें भी प्रोडक्ट्स की बिक्री का भी दिखावा किया जाता है।
- एमवे पर आरोप है कि उसने अपने पिरामिड फ्रॉड को छिपाने और उसे एमएलएम स्कीम दिखाने के लिए प्रोडक्ट्स बिक्री के दिखावे का सहारा लिया।
जांच में पाया गया कि कंपनी लोगों को जल्द अमीर बनने के झांसे के साथ खुद से जुड़ने के लिए प्रचार करती थी।
- इससे जुड़ने वाले लोग इसके प्रोडक्ट्स खरीदने के बजाय जल्द अमीर बनने के झांसे की वजह से इससे जुड़ रहे थे। वहीं इसके महंगे प्रोडक्ट्स खरीदकर लोग जहां अपनी मेहनत की कमाई गंवा रहे थे। तो वहीं टॉप पर मौजूद कंपनी के लोगों को फायदा पहुंच रहा था।
इस मामले में एमवे का क्या कहना?
- इस मामले में एमवे ने पिरामिड स्कीम चलाने से इनकार करते हुए कहा कि वह अपने नए मेंबर्स को कोई इंसेंटिव नहीं देता और मेंबर्स को केवल प्रोडक्ट्स बेचने पर पैसा दिया जाता है। एमवे का कहना है कि उस पर प्रवर्तन निदेशालय की ये कार्रवाई 2011 की एक जांच के संबंध में की गई है और वह इस जांच में पूरा सहयोग कर रही है।
- एमवे ने मीडिया से उसके बारे में कोई अफवाह नहीं फैलाने की अपील करते हुए कहा कि इससे उसके देशभर के 5.5 लाख डायरेक्ट सेलर्स की रोजी-रोटी पर असर पड़ सकता है।
पिरामिड स्कीम को अवैध घोषित कर चुकी है सरकार
दिसंबर 2021 में केंद्र सरकार ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन (डायरेक्ट सेलिंग) रूल्स के तहत डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के लिए नए नियम जारी किए थे। इसके तहत इन कंपनियों को पिरामिड स्कीम को बढ़ावा देने और डायरेक्ट सेलिंग बिजनेस की आड़ में किसी व्यक्ति को ऐसी स्कीम में रजिस्ट्रेशन करने को अवैध करार दिया था।
डायरेक्ट सेलिंग क्या है?
- डायरेक्ट सेलिंग में कंपनी कुछ एजेंट नियुक्त करती हैं, जो कंपनी से प्रोडक्ट्स को खरीदते हैं और रिटेल फॉर्मेट जैसे दुकानों या स्टोर के बजाय सीधे कस्टमर्स को उनके घरों या दूसरी जगहों पर बेचते हैं। इसमें डायरेक्ट सेलिंग कंपनियां और एजेंट प्रोडक्ट्स की बिक्री से होने वाले फायदे से कमाई करते हैं।
- इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक भारत में ऐसे करीब 60 लाख एजेंट्स हैं, जो अतिरिक्त कमाई के लिए डायरेक्ट सेलिंग के काम से जुड़े हैं। एक अनुमान मुताबिक, भारत में डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री 10 हजार करोड़ रुपए की है और पिछले 5 सालों से सालाना 12-13 पर्सेंट की दर से बढ़ रही है।
- एक्सपर्ट्स का कहना है कि मल्टी-विटामिन, और होमकेयर और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स डायरेक्ट सेलिंग के जरिए सबसे ज्यादा बिकने वाले प्रोडक्ट्स हैं। एमवे के अलावा एवन, ओरिफ्लेम, मोदीकेयर और टपरवेयर जैसी कंपनियां डायरेक्ट सेलिंग के बिजनेस में चर्चित नाम हैं। इनमें से कुछ कंपनियां कई दशकों से इस इंडस्ट्री में हैं।
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