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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने विज्ञान भवन में (डिपॉजिटर्स फर्स्ट गारंटीड टाइम-बाउंड डिपॉजिट इंश्योरेंस पेमेंट अप टू 5 लाख रुपये) (Rs 5 Lakh Deposit Guarantee) प्रोग्राम को संबोधित करते हुए कहा था कि गलत नीतियों के कारण पहले बैंक संकट (bank collapses) में आने पर लोगों की कमाई डूब जाती थी, उन्हें पछताने के अलावा कुछ नहीं मिलता था।
लेकिन अब बैंक डूबने की स्थिति में ग्राहकों को पांच लाख रुपये तक का भुगतान किए जाने का प्रावधान किया गया है। पहले बैंक डूबने या दिवालिया होने पर डिपॉजिटर को केवल एक लाख रुपये तक मिलता था, लेकिन अब सरकार ने इस बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक कर दिया है।
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आपको बता दें कि ये इंश्योरेंस (deposit insurance) कवर करीब 98.1 फीसदी खातों में मिलेगा। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये औसत 80 फीसदी है। ये भी घोषणा हुई है कि अब यह बीमा की राशि जमाकर्ता को 90 दिनों के अंदर मिल जाएगी, जिसके लिए पहले कोई समय सीमा तय नहीं थी। ऐसे में बैंक (Bank depositors) डूबता है या दिवालिया होता है तो बीमा की राशि (Depositor safety) 90 दिनों के अंदर खाताधारक को मिलेगा।
Deposit insurance reforms: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में बैंक जमा गांरटी (banking system) को एक लाख से बढ़ाकर 5 लाख करने की घोषणा की थी। यानी, बैंकों के डूबने पर ग्राहकों को 90 दिन के भीतर अधिकतम 5 लाख रुपए मिलेंगे। इसके बाद 28 जुलाई को कैबिनेट ने इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉपोर्रेशन (एमेंडमेंट) बिल, 2021 को मंजूरी दी थी। सरकार ने ये कदम पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक, येस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक संकट के चलते लाखों ग्राहकों की परेशानी को देखते हुए लिया था।
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DICGC: बैंक डूबने या बंद होने की स्थिति में अब आपको अधिकतम 5 लाख रुपए तक मिलेंगे। इसमें मूलधन और ब्याज सभी शामिल होंगे। आपके खाते में भले ही 10 करोड़ रुपए जमा हों, लेकिन आपको 5 लाख रुपए ही मिलेंगे। अगर आपके खाते में 5 लाख से कम रुपए जमा हैं तो जितने जमा हैं उतनी रकम आपको दी जाएगी।
ये रकम आपको डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) देगा। डीआईसीजीसी रिजर्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है। देश के हर बैंक को इसके अंतर्गत रजिस्टर्ड किया जाता है। साथ ही भारत में जिन विदेशी बैंकों की शाखाएं हैं, वो भी इसके दायरे में हैं।
आपको 90 दिन के अंदर रकम वापस मिल जाएगी। बैंक डूबने या बंद होने के 45 दिन में ही डीआईसीजीसी ग्राहकों के खातों से जुड़ी सभी जानकारी जुटाएगी। जांच-पड़ताल के बाद अगले 45 दिन में राशि ग्राहक को लौटा दी जाएगी। पहले इसमें 8-10 साल लग जाते थे। क्योंकि रिफंड के लिए सरकार बैंक को मर्ज करने या बेचने की कार्यवाही पूरी करती थी उसके बाद ही ग्राहकों के रुपए लौटाए जाते थे।
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स्कीम भारत में काम कर रहे सभी कमर्शियल बैंकों पर लागू होती है। इनमें विदेशी, ग्रामीण और सहकारी बैंक आते हैं। सहकारी समितियां स्कीम के दायरे से बाहर हैं। स्कीम के दायरे में सेविंग, करंट, फिक्स्ड और रिकरिंग डिपॉजिट सहित सभी तरह के खाते आते हैं।
पांच लाख रुपए तक की रकम की गारंटी तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉपोर्रेशन लेता है, लेकिन इससे ज्यादा रकम की गारंटी को लेकर फिलहाल कुछ स्पष्ट नहीं है। अगर आपके रुपये दो अलग-अलग बैंकों में जमा हैं और दोनों ही डूब जाएं तो आपको दोनों अकाउंट पर गारंटी मिलेगी। यानी, दोनों बैंकों में पांच-पांच लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित रहेगी, लेकिन अगर एक ही बैंक में आपके अलग-अलग अकाउंट हैं तो ये रकम पांच लाख रुपये ही होगी।
पीपीएफ और बाकी केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत किया गया आपका निवेश सुरक्षित रहेगा। दरअसल ये केंद्र सरकार की स्कीम होती है, इसलिए इनकी गारंटी भी केंद्र सरकार देती है। बैंक केवल एक माध्यम होता है। बैंक के डूबने का इन योजनाओं के निवेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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