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Today Is The 30Th Day Of Ukraine Russia War : आखिर भारत क्यों रूस को दे रहा अहमियत?

PUBLISHED BY: Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 25, 2022, 2:31 pm IST
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Today Is The 30Th Day Of Ukraine Russia War : आखिर भारत क्यों रूस को दे रहा अहमियत?

Today Is The 30Th Day Of Ukraine Russia War

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Today Is The 30Th Day Of Ukraine Russia War: यूक्रेन पर हमले का एक माह बीतने को है। इसके बावजूद रूस यूक्रेन पर निर्णायक जीत नहीं हासिल कर पाया। वहीं इन दो देशों की आपसी जंग में कई देश रूस के खिलाफ खड़े हैं लेकिन भारत देश रूस के साथ नजर आ रहा है।

क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और आम सभा में रूस के खिलाफ प्रस्तावों के दौरान भारत अनुपस्थित जरूर रहा। लेकिन रूस की आलोचना नहीं की। इतना ही नहीं भारत ने रूस से क्रूड आयल खरीदने का करार कर लिया। इस बात से अमेरिका को काफी झटका लगा है। तो चलिए जानते है आखिर क्या वजह है कि भारत रूस को इतनी तवज्जो दे रहा है। (Russia Ukraine War Vs India)

क्या भारत के लिए रूस को छोड़ना आसान है?

  • आपको बता दें कि पहला कारण भारत की भौगोलिक और सामरिक स्थिति में उसके लिए रूस से नजदीकी बनाए रखना हित में है। वहीं भारत रूस का बड़ा हथियार खरीदार है। तीसरा कारण अमेरिका के साथ भारत की घनिष्ठता रूस जैसी नहीं हो सकी है।
  • भारत के रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाले मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट आॅफ डिफेंस स्टडीज एंड एनेलिसिस से जुड़े एसोसिएट फैलो का कहना है कि भारत के लिए रूस को छोड़ना आसान नहीं हैं। क्योंकि भारत के दो हिस्से हैं, एक ऊपरी भाग जो लैंडलॉक्ड है मतलब कि (चारों तरफ भूमि से घिरा है)।
  • दूसरा तटीय भारत और भारतीय भूभाग का निचला हिस्सा है जोकि तीन तरफ समंदर से घिरा है। भारत के लैंडलॉक्ड हिस्से की सुरक्षा के लिए रूस के साथ सक्रिय भागीदारी जरूरी है। वहीं जो तटीय इलाका है वहां चीन के प्रभाव को कम करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में क्वाड से सहयोग जरूरी है। (What Is India Stand On Russia Ukraine War)
  • बता दें कि भारत की सबसे बड़ी सुरक्षा चिंता यह है कि उसकी उत्तरी सीमा से सटा चीन ताकतवर हो रहा है। गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव काफी बढ़ा है और दोनों ही देशों की सेनाओं ने सीमा पर मौजूदगी भी बढ़ाई है।
  • वहीं रक्षा विश्लेषक का कहना है कि भारत की सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती पाकिस्तान नहीं, बल्कि चीन है। भारत के रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध दोनों ही देशों के चीन के खिलाफ संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं और इसलिए ही ये संबंध बेहद अहम हैं। उधर अमेरिका भारत पर अपने पाले में आने का दबाव बना रहा है, लेकिन भारत के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा।

क्या भारत रक्षा उपकरणों के लिए रूस पर निर्भर है?

Today Is The 30Th Day Of Ukraine Russia War

  • रक्षा से जुड़ा ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां भारत और रूस के बीच मजबूत संबंध ना हों। हालांकि, हाल के सालों में भारत ने फ्रांस से रफाल लड़ाकू विमान खरीदे हैं। बावजूद इसके भारतीय वायुसेना में अधिकतर विमान रूस के ही हैं। रूस भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करता है और भारत अपने रक्षा उपकरणों की मरम्मत के लिए भी रूस पर निर्भर है।
  • बताया जाता है कि भारत को कई कारणों से रूस की जरूरत पड़ती है। इनमें रक्षा जरूरतों से लेकर दूसरी चीजें शामिल हैं। भारत अभी अपनी 50-80 फीसदी रक्षा जरूरतें रूस से ही पूरी करता है। भारत रूस की आलोचना इसलिए भी नहीं कर रहा है क्योंकि भारत के सभी उन्नत हथियार रूस से ही आते हैं। उदाहरण के तौर पर अभी हाल ही में भारत ने रूस से अति उन्नत एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 खरीदा है। इसकी एक खेप भारत को मिल भी चुकी है। एसएसएन और ब्राह्मोस भी इसके उदाहरण हैं।

क्या भारत को रूस की जरूरत है?  (Today Is The 30Th Day Of Ukraine Russia War)

  • अमेरिका मध्य पूर्व से पीछे हट रहा है और अफगानिस्तान को छोड़कर जा चुका है। इससे यहां के सुरक्षा हालात भी बदले हैं। भारत के सामने चुनौती है कि वो अपने आप को इन क्षेत्रों में प्रासंगित बनाए रखे। कहा जा रहा है कि भारत को मध्य एशिया में अपना प्रभाव बनाए रखने और तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान में अपने आप को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए भी रूस की जरूरत है। खासकर अमेरिका के मध्य पूर्व और अफगानिस्तान से चले जाने के बाद ये जरूरत और बढ़ गई है। पहले इन क्षेत्रों में अमेरिका ही मुख्य सुरक्षा प्रदाता था।
  • भारत संघाई सहयोग संगठन का भी हिस्सा है और यहां अपनी सक्रियता को बनाए रखने के लिए रूस से बेहतर संबंध जरूरी हैं। यही नहीं, नॉर्थ-साउथ मैरीटाइम कॉरिडोर जिसमें भारत के अलावा ईरान, रूस और मध्य एशियाई देश हैं, उसमें बने रहने के लिए भारत को रूस की जरूरत है। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इसमें पाकिस्तान और चीन नहीं हैं। बता दें इन सभी कारणों की वजह से ही भारत रूस के साथ संबंध खराब करने का खतरा नहीं उठा सकता है। भारत को अपने राष्ट्रीय हित सर्वोपरि रखने ही होंगे।

रूस कमजोर पड़ा तो भारत पर क्या पड़ेगा असर?

  • यूक्रेन युद्ध को एक माह हो रहा है और रूस अभी यूक्रेन को झुका नहीं सका है। इतनी तबाही होने के बावजूद यूक्रेन युद्ध के मैदान में डटा है। पश्चिमी रक्षा विश्लेषकों का आंकलन कहता है कि रूस के लिए हालात मुश्किल हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी रूस अलग-थलग पड़ गया है। यदि इस युद्ध में रूस कमजोर होता है तो फिर भारत को अपना आगे का रास्ता तय करने के लिए कई मुश्किल निर्णय लेने पड़ सकते हैं।
  • वहीं यदि अंतरराष्ट्रीय सियासत में रूस कमजोर होता है तो सीधे तौर पर भारत भी कमजोर होगा, इसमें कोई शक नहीं है। भारत के सामने फिर कोई विकल्प नहीं होगा। यदि रूस कमजोर होगा या अलग-थलग पड़ जाएगा तो भारत को सीधे अमेरिका के पक्ष में जाकर बैठना होगा। ये बहुत अच्छी स्थिति नहीं होगी।

क्या भारत को अमेरिका पर विश्वास है?  (Today Is The 30Th Day Of Ukraine Russia War)

भारत को अच्छा लगता अगर अमेरिका के पास रूस और चीन को एक साथ काउंटर करने की क्षमता होती, लेकिन ऐसा नहीं है। सबसे बड़ी कमी ये हो सकती है कि अमेरिका के पास यहां डिप्लॉय करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होंगे। यही नहीं भारत-प्रशांत क्षेत्र और क्वाड से अमेरिका का ध्यान हटना भी एक वजह हो सकती है। भारत के सामने सवाल ये भी है कि यदि चीन के साथ तनाव बढ़ा तो क्या अमेरिका उसकी मदद करने आगे आएगा?

क्या भारत का अमेरिका के साथ सुरक्षा समझौता है?

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  • भारत हाल ही में चीन के खिलाफ बने गठबंधन क्वाड का सदस्य है, लेकिन क्वाड कोई सैन्य गठबंधन नहीं हैं और ना ही इसके सदस्यों के बीच कोई सैन्य समझौता है। यहां यह समझना भी जरूरी है कि भारत दूसरे क्वाड सदस्य देशों जैसा नहीं है। यहां तथ्य ये है कि क्वाड देशों में जापान ऐसा है जिसके अमेरिका के साथ मजबूत सुरक्षा समझौते हैं।
  • जापान ने 1960 में ये समझौता किया था। तब से ही जापान अमेरिकी सुरक्षा के दायरे में है। इसलिए जापान रूस की आलोचना कर सकता है। आस्ट्रेलिया भी आसानी से रूस की आलोचना कर सकता है क्योंकि अमेरिका, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच भी सुरक्षा समझौता है जिसे एंजस कहा जाता है। भारत क्वाड का एकमात्र ऐसा सदस्य देश है जिसका अमेरिका के साथ कोई भी समझौता नहीं है।
  • ऐसे में जब अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा की बात आती है तो भारत अकेला ही खड़ा होता है। इसी वजह से भारत रूस की आलोचना करने का स्पष्ट स्टैंड नहीं ले पाता है। भारत के लिए अपने राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं।

क्यों भारत को अमेरिका अपनी तरफ खींच रहा?

  • अमेरिका ने भारत के साथ रक्षा सौदों की पेशकश तो की है लेकिन इनमें उसके सबसे उन्नत हथियार शामिल नहीं है। अमेरिका अपने शीर्ष हथियार भारत को नहीं बेचता है। अब तक अमेरिका ने भारत को पुराने पड़ चुके हथियार और तकनीक बेचने के ही प्रस्ताव दिए हैं। अमेरिका भारत को अपनी तरफ खींचने का दबाव बनाता रहा है और हाल के दिनों में भी अमेरिका ने ऐसी कोशिशें की हैं।
  • अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि भारत के रूस के साथ लंबे समय तक ऐतिहासिक रक्षा संबंध रहे हैं। ये रिश्ते ऐसे समय में मैच्योर हुए हैं जब अमेरिका और उसके सहयोगी देश भारत के साथ इस तरह के रिश्तों के लिए तैयार थे, लेकिन तब समय और जरूरतें अलग थीं। अब समय बदल गया है। अब हम भारत के साथ मजबूत सुरक्षा सहयोग के लिए पहले से अधिक इच्छुक और सक्षम हैं। ये द्विपक्षीय रिश्ता है जो बीते 25 सालों में कई तरह से और गहरा हुआ है। इन्हीं सब वजहों से भारत रूस को नहीं छोड़ पा रहा है।

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