Ukraine Has Not Bowed Down To Russia Yet : क्या रूस यूक्रेन पर टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल कर सकता है? - India News
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Ukraine Has Not Bowed Down To Russia Yet : क्या रूस यूक्रेन पर टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल कर सकता है?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 24, 2022, 12:10 pm IST
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Ukraine Has Not Bowed Down To Russia Yet : क्या रूस यूक्रेन पर टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल कर सकता है?

Ukraine Has Not Bowed Down To Russia Yet

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Ukraine Has Not Bowed Down To Russia Yet:
यूक्रेन और रूस की शुरू हुई जंग को आज 29वां दिन है। वहीं रूस कई बार एटमी हमले की धमकी भी दे चुका है। बताया जाता है कि रूस के पास एक किलोटन से लेकर 100 किलोटन क्षमता के लगभग 2,000 छोटे न्यूक्लियर बम हैं, जिन्हें टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन कहा जाता है। अब सवाल ये उठ रहा है कि यदि युद्ध के हालात रूस के हाथों से बाहर निकलते नजर आए तो क्या पुतिन अपनी परमाणु शक्ति का इस्तेमाल करेंगे। तो चलिए जानते हैं इस मामले में एक्सपर्ट्सों का क्या कहना है। (Tactical Nuclear Weapon)

द न्यूयॉर्क टाइम्स रिपोर्ट मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेना पारंपरिक युद्ध से परमाणु युद्ध के ट्रांजिशन का अभ्यास कर चुकी है। (russia nuclear power) खासकर युद्ध के मैदान में भारी नुकसान के बाद रूस की सेना ऐसा कर सकती है। वहीं कागेर्नी एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशल पीस और यूनिवर्सिटी आफ हैमबर्ग अनुसार, ऐसी संभावना कम है लेकिन बढ़ रही है। युद्ध रूस के हिसाब से ठीक नहीं चल रहा है।

पश्चिमी देशों का दबाव भी बढ़ रहा है। हो सकता है पुतिन सैनिकों के बजाय किसी बंजर इलाके पर ऐसा बम गिरा दें। इस बारे में बात करना ही भयावह है, लेकिन ऐसी आशंका बढ़ रही है। वहीं अमेरिका एक्सपर्ट का कहना है कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करके रूस केवल अपना नुकसान करेगा। इससे यूक्रेन में बाहरी देशों का दखल बढ़ सकता है। पुतिन के हाथ से मामला भी निकल जाएगा।

क्या वेपन का इस्तेमाल युद्ध में फर्क पैदा करेगा?

Ukraine Has Not Bowed Down To Russia Yet

हालांकि, कई विश्लेषकों का मानना है कि इस युद्ध में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन क्या फर्क पैदा कर सकते हैं। बता दें कि टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन को बड़े सैन्य फॉर्मेशन (जैसे टैंक, आर्टिलरी, एयरक्राफ्ट कैरियर बैटल ग्रुप) के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया जाता है। इसके अलावा इन्हें अंडरग्राउंड बंकरों, किलेबंद सैन्य ठिकानों, या कमांड एंड कंट्रोल ठिकानों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए विकसित किया जाता है। ( russia nuclear weapons)

क्या रूस एटॉमिक कदम उठा सकता? (Ukraine Has Not Bowed Down To Russia Yet)

वहीं अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी को लगता है कि अगले कुछ दिनों में रूस कुछ एटॉमिक कदम उठा सकता है। क्योंकि रूस पश्चिमी देशों को संकेत देने और अपनी ताकत के प्रदर्शन के लिए अपने परमाणु हथियारों पर अधिक निर्भर हो सकता है। आपको बता दें कि यूक्रेन से युद्ध छिड़ने के बाद पुतिन एक से अधिक बार अपने परमाणु हथियारों का जिक्र कर चुके हैं। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के मुताबिक रूस को ये भी लगता है कि परमाणु हथियारों को लेकर तनाव बनाए रखने से नाटो को पीछे हटने का संकेत दिया जा सकता है।

क्या पुतिन न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल करने की गलती करेंगे?

वहीं रक्षा विश्लेषक का मानना है कि रूस टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल करेगा, इसके बहुत कारण नजर नहीं आते हैं। विश्लेषक कहते हैं कि अभी तक रूस के टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल करने की थ्यौरी पर शक है। कुछ विश्लेषक का मानना है कि ऐसा नहीं लगता कि पुतिन यूक्रेन के खिलाफ टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल करने की भीषण गलती करेंगे। उन्हें ना सिर्फ नाटो और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भारी प्रतिक्रिया का सामना करना होगा बल्कि रूस के अंदर भी नागरिकों का गुस्सा झेलना होगा, जिनके बहुत से रिश्तेदार यूक्रेन में रहते हैं।

परमाणु हथियारों के प्रयोग से पुतिन को क्या हासिल होगा?

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  • अमेरिका एक्सपर्ट का मानना है कि रूस इस युद्ध में अब परमाणु हथियारों का इस्तेमाल सिर्फ शहर के सर्वनाश के लिए कर सकता है। ऐसा करने से रूस को बहुत अधिक सैन्य कामयाबी हासिल नहीं होगी और इससे युद्ध के और भीषण होने और बाहरी देशों के दखल का खतरा बढ़ जाएगा। इससे युद्ध को लेकर पुतिन का तर्क कमजोर होगा। ऐसा करके वो उन लोगों और सांस्कृतिक स्थलों को नष्ट कर देंगे जिन्हें वो रूस के लिए सुरक्षित करने का दावा कर रहे हैं।
  • युद्ध को लेकर रूस में भी विरोध बढ़ रहा है। यदि पुतिन टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल करते हैं तो ये विरोध और भी बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में ये विरोध पुतिन के खिलाफ तख्तापलट तक पहुंच सकता है। बताया जा रहा है कि पुतिन के सामने तख्तापलट का भी गंभीर खतरा है क्योंकि रूस के बहुत से ताकतवर लोग युद्ध की दिशा से खुश नहीं है। वो अब इसे रूस के युद्ध के रूप में नहीं बल्कि पुतिन के युद्ध के रूप में देख रहे हैं।

क्या हार मान जाएगा यूक्रेन?  (Ukraine Has Not Bowed Down To Russia Yet)

रूस और यूक्रन युद्ध के शुरू हुए आज लगभग एक माह हो रहे हैं। इस दौरान एक करोड़ से अधिक यूक्रेनी बेघर हुए हैं। तीस लाख से अधिक ने देश छोड़ दिया है। कई हजार लोग मारे गए हैं। यूक्रेन के कई शहर मलबे का ढेर बन गए हैं। राजधानी कीव, बंदरगाह शहर मारियुपोल और खार्कीव जैसे रूसी सीमा के पास स्थित शहर दिन रात बमबारी का सामना कर रहे हैं। लेकिन युद्ध का कोई नतीजा नहीं निकल सका है। ना यूक्रेन पीछे हट रहा है और ना ही रूस।

वहीं पश्चिमी सैन्य विश्लेषक मानते हैं कि पिछले कुछ दिनों में रूस की सेनाएं आगे बढ़ने में नाकाम रही हैं। रूस ने उम्मीद की होगी कि यूक्रेनी हथियार डाल देंगे, लेकिन भारी तबाही के बावजूद उनका हौसला बरकरार है। यही नहीं, अगर यूक्रेन के दावों को सच माना जाए तो इस युद्ध में रूसी सेना को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

क्या न्यूक्लियर बम सबसे अधिक रूस के पास हैं?

  • इस समय दुनिया में सबसे अधिक परमाणु हथियार रूस के पास हैं। रूस के पास ऐसे परमाणु बम भी हैं जो पूरे के पूरे शहर का नामो-निशान तक मिटा सकते हैं। यूक्रेन पर हमले के तुरंत बाद रूस ने अपने देश के परमाणु हथियार तैनात करने का आदेश भी दे दिया था। यदि पश्चिमी देशों के अनुमानों को सही माना जाए तो रूस के पास करीब दो हजार टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन हैं, जिन्हें एयरक्राफ्ट से गिराया जा सकता है या पारंपरिक मिसाइलों पर लोड किया जा सकता है। रूस के पास ऐसे मिसाइल सिस्टम भी हैं जो पनडुब्बी या समुद्री जहाज से लॉन्च किए जा सकते हैं। इन पर भी ये टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन फिट बैठते हैं।
  • रूस का कैलिबर मिसाइल सिस्टम एसएन-30 समंदर में पनडुब्बी या जहाज से लॉन्च किया जा सकता है और ये 1500-2500 किलोमीटर दूर तक निशाने को भेद सकता है। इसके अलावा इस्कंदर मिसाइल सिस्टम पर ये न्यूक्लियर वेपन तैनात किए जा सकते हैं। इस्कंदर मिसाइलें जमीन से लॉन्च की जाती हैं। रूस बिना न्यूक्लियर वॉर हेड वाली हाइपरसोनिक मिसाइलें पहले से ही यूक्रेन पर लॉन्च कर चुका है। ये पहली बार है जब रूस ने युद्ध में इन बेहद उन्नत मिसाइलों का इस्तेमाल किया है।

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छोटे न्यूक्लियर बमों से कितना खतरा ?

डिफेंस एक्सपर्ट्स मुताबिक 100 किलोटन का परमाणु बम 1.8 किलोमीटर के दायरे में सब-कुछ तबाह कर देता है। जबकि तीन किलोमीटर के दायरे में भारी तबाही होती है। पांच किलोमीटर के दायरे तक भारी नुकसान होता है और बम गिरने से आठ किलोमीटर दूर तक नुकसान होता है। बम का असर इस बात पर निर्भर करेगा कि वो कहां और किन परिस्थितियों में गिरा है। यदि भारी आबादी वाले इलाके पर बम गिरता है तो हिरोशिमा से कम क्षमता वाला बम भी उससे कई गुना भारी तबाही मचा सकता है।

किस तरह के परमाणु हथियार दुनिया के लिए घातक हैं?

  • आमतौर पर दो तरह के परमाणु हथियार होते हैं। एक स्ट्रेटेजिक परमाणु हथियार और दूसरे टैक्टिकल परमाणु हथियार। रूस और अमेरिका दोनों ने ही शीत युद्ध के दौरान बड़े पैमाने पर स्ट्रेटैजिक परमाणु हथियारों का विकास किया था। उदाहरण के तौर पर रूस ने अब तक जिस सबसे बड़े परमाणु हथियार का परीक्षण किया है वो हिरोशिमा पर दागे गए अमेरिकी परमाणु बम से तीन हजार गुना ताकतवर है। वहीं अमेरिका का परीक्षण किया गया सबसे ताकतवर परमाणु हथियार हिरोशिमा पर दागे गए बम से एक हजार गुना ताकतवर है।
  • ये माना जाता है कि इस समय रूस के पास जो सबसे विनाशक परमाणु हथियार है वो 800 किलोटन क्षमता का हो सकता है। यूक्रेन युद्ध में ऐसे स्ट्रैटेजिक बमों के इस्तेमाल की संभावना बेहद कम है क्योंकि इनसे सर्वनाश तय है। इन भारी परमाणु बमों का इस्तेमाल इसलिए भी असंभव माना जाता है क्योंकि यदि युद्ध में इनका इस्तेमाल शुरू हुआ तो धरती से जीवन ही समाप्त हो सकता है। लेकिन एक दूसरा पक्ष ये है कि आज अमेरिका और रूस दोनों के पास ही ऐसे छोटे परमाणु हथियार हैं जिनसे सीमित विनाश होगा और जिनके इस्तेमाल के बारे में सोचा जा सकता है।
  • यही वजह है कि पश्चिमी विश्लेषक ये मान रहे हैं कि रूस असाधारण हालात में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल कर सकता है। रूस के पास एक किलोटन (एक टन टीएनटी के विस्फोट के बराबर क्षमता) से लेकर 100 किलोटन के टैक्टिकल परमाणु हथियार हो सकते हैं।

Ukraine Has Not Bowed Down To Russia Yet

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