India News (इंडिया न्यूज), Haryana: अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने साल 2016 में हरियाणा के सरकारी स्कूलों में चार लाख फर्जी छात्रों के मामले में शुक्रवार (28 जून) को एफआईआर दर्ज की। अधिकारियों ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर 2 नवंबर 2019 को मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए दावा किया था कि जांच के लिए भारी जनशक्ति की आवश्यकता हो सकती है और जांच राज्य पुलिस को दी जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने हाल ही में याचिका खारिज कर दी जिसके बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की।
बता दें कि, हाईकोर्ट को 2016 में बताया गया था कि आंकड़ों के सत्यापन से पता चला है कि सरकारी स्कूलों में विभिन्न कक्षाओं में 22 लाख छात्र हैं। लेकिन वास्तव में केवल 18 लाख छात्र ही पाए गए और चार लाख फर्जी दाखिले थे। कोर्ट को यह भी बताया गया कि समाज के पिछड़े या गरीब तबके के छात्रों को स्कूल और मिड डे मील योजना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कुछ लाभ दिए जा रहे हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सतर्कता को चार लाख अस्तित्वहीन छात्रों के लिए धन की संदिग्ध हेराफेरी की जांच के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया था। पीठ ने जिम्मेदारी तय करने और दोष सिद्ध होने पर कार्रवाई करने का आदेश दिया।
बता दें कि, सतर्कता ब्यूरो की सिफारिशों पर राज्य में सात एफआईआर दर्ज की गईं। अपने 2019 के आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच बहुत धीमी है। इसके बाद इसने उचित, गहन और त्वरित जांच के लिए जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया। इसने राज्य सतर्कता को 2 नवंबर, 2019 को अपने आदेश के एक सप्ताह के भीतर सभी दस्तावेज सौंपने को कहा था और सीबीआई को तीन महीने के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।
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