महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के नाम और सिंबल खोने के दो दिन बाद सोमवार को कहा कि चुनाव आयोग को भंग कर देना चाहिए और चुनाव आयुक्तों को लोगों द्वारा चुना जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि एक भी ऐसा उदाहरण नहीं है जहां पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न सीधे एक गुट को दिया गया हो, उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी जल्दी में यह फैसला देने की क्या जरूरत थी?
उद्धव ठाकरे ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप सब यहां क्यों हैं? मेरे पास कुछ भी नहीं है, मेरा सब कुछ चुरा लिया गया है आप अभी तक यहां क्यों है। अन्होनें आगे कहा कि भले ही दूसरे गुट ने हमारा नाम और प्रतीक ले लिया हो लेकिन वो हमसे हमारा ठाकरे नाम नहीं ले सकते हैं।
साथ ही उन्होंने कहा कि भले ही दूसरे गुट ने हमारा नाम और प्रतीक ले लिया हो लेकिन वो हमसे हमारा ठाकरे नाम नहीं ले सकते हैं। मैं भाग्यशाली हूं कि मैंने बालासाहेब ठाकरे के परिवार में पैदा लिया था, विरोधी गुट दिल्ली की मदद से भी इसे नहीं प्राप्त कर सकते हैं।
ईसी (इलेक्शन कमीशन) के फैसले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा- यह हमारे कार्यकर्ताओं, सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों और लाखों शिवसैनिकों सहित बालासाहेब और आनंद दीघे की विचारधाराओं की जीत है। यह लोकतंत्र की जीत है। यह देश बाबासाहेब अंबेडकर की ओर से तैयार किए गए संविधान पर चलता है। हमने उस संविधान के आधार पर अपनी सरकार बनाई, चुनाव आयोग का आज जो आदेश आया है, वह मेरिट के आधार पर है। मैं चुनाव आयोग का आभार व्यक्त करता हूं।
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