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India News (इंडिया न्यूज), Pakistan Minorities: पाकिस्तान में साल 1947 के बाद से ही अल्पसंख्यकों का बुरा हाल है। जिसको पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने कभी नहीं कबूला है। इस बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने सोमवार (24 जून) को स्वीकार किया कि देश के अल्पसंख्यकों को धर्म के नाम पर लक्षित हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही राज्य उनकी रक्षा करने में विफल रहा है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के एक सत्र के दौरान ख्वाजा ने कहा कि अल्पसंख्यकों की रोजाना हत्या की जा रही है। पाकिस्तान में कोई भी धार्मिक अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है। यहां तक कि मुसलमानों के छोटे संप्रदाय भी सुरक्षित नहीं हैं। दरअसल, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने ईशनिंदा के आरोपों से संबंधित भीड़ द्वारा हाल ही में की गई हत्या की घटनाओं की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हमलों को चिंता और शर्मिंदगी का विषय बताते हुए, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए एक प्रस्ताव की मांग की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई पीड़ितों का ईशनिंदा के आरोपों से कोई संबंध नहीं था। लेकिन उन्हें व्यक्तिगत प्रतिशोध के कारण निशाना बनाया गया। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने अल्पसंख्यक भाइयों और बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्हें इस देश में रहने का उतना ही अधिकार है जितना कि बहुसंख्यकों को। पाकिस्तान सभी पाकिस्तानियों का है, चाहे वे मुस्लिम, ईसाई, सिख या किसी अन्य धर्म के हों। हमारा संविधान अल्पसंख्यकों को पूर्ण सुरक्षा की गारंटी देता है। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कड़े विरोध के कारण सरकार प्रस्ताव पेश नहीं कर सकी।
बता दें कि,पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून दुनिया के सबसे सख्त कानूनों में से एक है और देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए इसका गहरा प्रभाव है। पाकिस्तान दंड संहिता में निहित ये कानून ईशनिंदा के विभिन्न रूपों के लिए मृत्युदंड सहित कठोर दंड का प्रावधान करते हैं। जिसमें इस्लाम, पैगंबर मुहम्मद का अपमान और कुरान का अपमान शामिल है। ईसाई, हिंदू और सिख सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों पर इन कानूनों के तहत असंगत रूप से आरोप लगाए जाते हैं और उन्हें दोषी ठहराया जाता है। यहां तक कि मुसलमानों के बीच अल्पसंख्यक संप्रदाय अहमदिया को भी उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। क्योंकि उन्हें पाकिस्तान के संविधान में मुसलमान नहीं माना जाता है।
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